राजनीति
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 19 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा कुछ सीटें झटक कर अपने को मुख्य लड़ाई में साबित करने की फिराक में है। पार्टी उपचुनाव में जोर शोर से भाग ले रही है। बसपा ने इस चुनाव में भी सोशल इंजीनियरिंग का ही फार्मूला चुना है। इसके लिए अपने बड़े नेताओं की फौज को प्रत्याशी चयन के लिए लगाया था। हर एक सीट पर बहुत सोच विचार कर ही उम्मीदवार उतारा गया है।
बसपा के एक नेता ने बताया कि, उपचुनाव में पार्टी के बड़े नेताओं के कंधे पर चुनाव जीताने की जिम्मेदारी है। बसपा के पास इस चुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ है। पुराने इतिहास को देखें तो जहां पर उपचुनाव हो रहे हैं वो सीटें ज्यादातर बसपा के पास ही रही हैं। चाहे घाटपुर हो या बंगमऊ, बुलंदशहर -- यह सब सीटें बसपा के खाते में एक दो बार रह चुकी हैं। यहां पर उसे गणित सेट करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। लेकिन इस बार पार्टी ने सारे उम्मीदवार जीताऊ ही उतारे हैं। प्रदेश में जिस प्रकार से माहौल है उससे लोग बसपा के शासन को याद कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चुनाव के लिए शीर्ष नेतृत्व के निर्देशन में हर एक सीट पर रणनीति तैयार की गयी है। राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली के अलावा सांसद विधायक भी पूरा फोकस उपचुनाव पर ही कर रहे हैं। चुनाव वाले क्षेत्र में विभिन्न समाज के लोगों ने डेरा डालकर रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है।
राजनीतिक पंडित बताते है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा तीसरे स्थान पहुंचकर 19 सीटें ही जीत पायी थी। इससे कार्यकतार्ओं का मनोबल टूटा था। उसकी भरपाई पार्टी इस उपचुनाव से करना चाहती है। यह बसपा के लिए बड़ा अवसर होगा। इससे आगे आने वाले चुनाव पर असर पड़ सकता है।
वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि बसपा 2012 से लगातार सत्ता से दूर है। भाजपा के सभी जातियों पर सेंधमारी का प्रयास कर रही उसके चलते बसपा के लिए चिंता का विषय जरूर है कि उसका वफादार वोटर उसके पास टिका रहे। इसके लिए पार्टी ने जमीनी स्तर पर तमाम कार्ययोजनाएं बनायी हैं। 2022 का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। विपक्ष की जगह कई सालों से खाली पड़ी है। विपक्ष में एक जगह बनाना और भाजपा को चुनौती देना बहुत महत्वपूर्ण है। इस चुनाव के जरिए यह परखा जा रहा है। बसपा अपनी ओर कितनी जातियों के वोटर को आकर्षित कर सकती है। क्योंकि सोशल इंजीनियरिंग में बसपा 2007 में सफल हो चुकी है। बसपा के दलित वोट उसकी ओर कितने बचे है। सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से वह अन्य जातियों को अपनी ओर कितना खींच पाती है। इसकी भी परीक्षा इस उपचुनाव में होगी। (आईएएनएस)
औरंगाबाद (बिहार), 19 अक्टूबर| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद पर जोरदार सियासी हमला बोला। उन्होंने बिना किसी के नाम लिए कहा कि पति (लालू) जब अंदर (जेल) गए तो पत्नी (राबड़ी देवी) को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन महिलाओं के विकास के लिए कुछ नहीं हुआ। औरंगाबाद के रफीगंज और गया के शेरघाटी में अलग-अलग चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के शासनकाल पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि पति-पत्नी के राज में क्या होता था, सबको मालूम है। लेकिन जब हम लोगों को काम करने का मौका मिला तब कानून का राज कायम किया। सभी क्षेत्रों में काम हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा, उस समय कितने तरह के अपराध होते थे? क्या-क्या नहीं होते थे, शाम होते लोग घर से बाहर नहीं निकलना चाहता थे। लेकिन जब हमलोगों को काम करने का मौका मिला तो सभी क्षेत्रों में काम हुआ।
उन्होंने चारा घोटाला में लालू के जेल जाने के संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा, पति जब जेल गए तो पत्नी को बैठा दिया। लेकिन महिलाओं के लिए कुछ किया क्या। जब हमलोग आए तो पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी।
नीतीश कुमार ने कहा कि किसी की उपेक्षा नहीं की। हाशिये के तबके के लिए विशेष काम हुआ। आज बिहार के काम की चर्चा देश ही नहीं, दुनियाभर में हो रही है और कुछ लोग उसमें खोट निकालने में लगे हैं।
उन्होंने कहा, महिला सशक्तीकरण पर बल दिया। अल्पसंख्यकों के लिए काम किया। बेटियों को साइकल दी तो उनका आत्मविश्वास बढ़ा। हमने बिना भेदभाव के हर तबके के विकास के लिए काम किया है। महिलाओं को बराबर का अवसर दिया। (आईएएनएस)
पटना, 19 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी राजनीतिक दल अपने पूरे दमखम के साथ जुट गए हैं, यही कारण है कि नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गया है। इसी दौरान बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुली बहस की चुनौती दी है। तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री विकास को लेकर कहीं भी बहस कर लें। तेजस्वी यादव ने सोमवार को पटना में पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुली चुनौती दी कि वे राज्य के प्रमुख के रूप में पिछले 15 वर्षों में उनकी किसी भी उपलब्धि पर उनसे बहस करें।
उन्होंने कहा, मैं आग्रह पूर्वक चुनौती देता हूं कि नीतीश कुमार पिछले 15 वर्षों में अपनी किसी भी उपलब्धि पर मेरे साथ बहस करें। हमें इस नई परंपरा को शुरू करना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र की स्थापना पहली बार बिहार के वैशाली में हुई थी। मुख्यमंत्री उम्मीदवारों के बीच बहस होनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि लोग राज्य सरकार से बहुत नाराज हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि हम बहुत ही सहज बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैंै। तेजस्वी यादव बेरोगजारी और पलायन को लेकर सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं और हर चुनावी सभा में इस मुद्दे को उछाल रहे हैं।
इधर, बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नित्यानपंद राय ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए कहा कि वे तेजस्वी के साथ किसी भी मुद्दे पर कहीं भी बहस को लेकर तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार राजग के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, इस कारण वे व्यस्त हैं।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी।
उल्लेखनीय है कि राजद इस चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरी है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 19 अक्टूबर| कुछ समय के लिए पंजाब में राजनीतिक परिदृश्य से गायब होने के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू ने आखिरकार सोमवार को यहां विधानसभा सत्र के उद्घाटन के दिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। राज्य सरकार ने एक दिन के बजाय दो दिनों के लिए विशेष सत्र बुलाया है। इस सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों को नकारने के लिए राज्य द्वारा कानून बनाने के मुद्दे पर चर्चा होगी।
पिछले जुलाई में पंजाब के राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद से राजनीति गलियारे में ज्यादा नजर नहीं आने वाले सिद्धू ने विधानसभा पहुंचने से पहले अपने मित्र और पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान और विधायक परगट सिंह से मुलाकात की।
लेकिन सिद्धू ने विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ अभिवादन का आदान-प्रदान नहीं किया। हालांकि, उन्हें अपने अन्य पार्टी के दूसरे सहयोगियों के साथ कुछ समय बातचीत करते देखा गया।
सिद्धू ने आखिरी बार फरवरी 2019 में विधानसभा सत्र में भाग लिया था।
पोर्टफोलियो आवंटन को लेकर मुख्यमंत्री से मतभेद के बाद कांग्रेस के नेता ने 14 जुलाई, 2019 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू स्थानीय निकायों के प्रभारी थे लेकिन उन्हें ऊर्जा विभाग में शिफ्ट कर दिया गया था।
पिछले महीने, सिद्धू ने अपने गृहनगर अमृतसर की सड़कों पर संसद द्वारा पारित 'काले' कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन शुरू करके लोगों के साथ अपने संपर्क को फिर से शुरू किया।
उन्होंने तीन कृषि कानूनों के बारे में भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वे कृषक समुदाय को बर्बाद कर देंगे। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 19 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दल राज्य की सत्ता तक पहुंचने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। सभी दलों की चाहत सत्ता में भागीदारी की है।
चुनाव को लेकर दल हो या गठबंधन अपने नेता या मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रख चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। कई मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी तो खुद चुनावी मैदान में योद्धा भी बने हैं। इस चुनाव में जहां सत्ता तक पुहंचने के लिए विभिन्न पार्टियों ने चार अलग-अलग गठबंधन बनाकर चुनावी मैदान में हैं वहीं बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए छह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री का चेहरा हैं वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेतृत्व वाले विपक्षी दल के महागठबंधन राजद नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के दावे के साथ चुनावी मैदान में है। तेजस्वी खुद राघोपुर से चुनावी मैदान में उतरे हैं।
पिछले चुनाव से राज्य की सियासी परिसिथतियां भी बदली हैं। पिछली बार 2015 में विधानसभा चुनाव के जदयू और राजद ने साथ महागठबंधन बनाकर जब चुनाव लड़ा था तब महागठबंधन की ओर से नीतीश कुमार का चेहरा मुख्यमंत्री के लिए सामने रखा गया था, जबकि राजग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे के साथ चुनाव लड़ा और चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री तय करने की बात कही थी।
इस चुनाव में एक बार फिर भाजपा और जदयू साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं और मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार हैं।
वैसे, इस चुनाव में नीतीश के रास्ते इतने आसान नहीं है। इस चुनाव में छह मुख्यमंत्री के चेहरे हैं।
तेजस्वी और नीतीश के अलावे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), बसपा के साथ छह दलों का गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया है। इधर, जनअधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव को प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनावी मैदान में जोर लगाए हुए है।
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अपने अध्यक्ष चिराग पासवान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है, हालांकि चिराग ने अब तक खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया है। वैसे, लोजपा इस चुनाव में अकेले 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात करते हए आर-पार की लड़ाई लड़ रही है।
इधर, इस चुनाव में प्लुरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी भी खुद को मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित कर चुनावी मैदान में है। पुष्पम प्रिया चौधरी ने स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित करते हुए खुद को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर रखा है।
बहरहाल, सभी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए चुनावी मैदान में खूब पसीना बहा रहे हैं। लेकिन इस लोकतंत्र में जनता किनके कामों और चेहरे पर मुहर लगाती है, यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा जब चुनाव परिणाम आएंगे। (आईएएनएस)
लखनऊ, 19 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित दुर्जनपुर गांव में कोटा की दुकान के आवंटन के दौरान फायरिंग के मुख्य आरोपित धीरेंद्र प्रताप सिंह के पक्ष में लगातार बैरिया से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह की तरफ से हो रही बयानबाजी पर प्रदेश नेतृत्व के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी नाराजगी जताई है। नड्डा ने इस प्रकरण पर विधायक सुरेंद्र सिंह को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। नड्डा ने भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से फोन पर बातचीत में साफ कहा है कि विधायक जांच को प्रभावित करने का प्रयास न करें। यह ठीक नहीं होगा।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, नड्डा ने विधायक को सख्त चेतावनी दी है। वह विधायक सुरेंद्र सिंह की हरकतों से बेहद नाराज हैं। इसी कारण उन्होंने स्वतंत्रदेव सिंह को फोन किया है। इस दौरान उन्होंने विधायक के आचरण पर भारी नाराजगी जताई। उन्होंने सख्त लहजे में कहा है कि हम ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं करेंगे। विधायक लगातार इस केस में बयान देते फिर रहे हैं। पार्टी को विधायक के ऐसे बयान बर्दाश्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बलिया कांड की जांच से विधायक दूर रहें तो बेहतर होगा। अगर उन्होंने जांच प्रभावित करने का प्रयास किया तो फिर कठोर कार्रवाई होगी।
इससे पहले लखनऊ में रविवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने बैरिया के विधायक सुरेंद्र सिंह को तलब किया था। माना जा रहा है कि इस प्रकरण में विधायक और समर्थकों पर भी कार्रवाई हो सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी उनसे कहा कि इससे पार्टी और सरकार की छवि खराब होती है।
सुरेंद्र सिंह ने भाजपा अध्यक्ष से कहा कि उन पर घटना के आरोपियों को बचाने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। विधायक की बयानबाजी को विपक्ष तुरंत लपक रहा है। प्रियंका गांधी ने विधायक के बयान पर भाजपा को काफी घेरा है।
गौरतलब है कि 15 अक्टूबर को बलिया के रेवती थाना इलाके के दुर्जनपुर गांव के पंचायत भवन में राशन दुकान आवंटन की प्रक्रिया चल रही थी। हनुमानगंज और दुर्जनपुर के राशन दुकान के चयन को लेकर दो पक्षों में हंगामा हो गया। इस दौरान देखते ही देखते ईंट-पत्थर चलने लगे। धीरेंद्र प्रताप सिंह पर आरोप है कि उसने फायरिंग कर दी। इसमें जयप्रकाश पाल (45) की मौत हो गई। धीरेंद्र प्रताप सिंह को इस मामले में रविवार को लखनऊ से गिरफ्तार कर आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। (आईएएनएस)
पटना, 17 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को होने वाले मतदान के पहले अब राज्य में सरगर्मी तेज हो गई है। इस बीच, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को लेकर भी अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल दलों के बीच बयानबाजी तेज हो गई। पटना में शनिवार को भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट कहा कि लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान को भ्रम में नहीं रहना चाहिए। भाजपा नीतीश कुमार के साथ है।
बिहार में भाजपा के सभी नेता एक-एककर चिराग पासवान की लोजपा को लेकर अपनी सफाई दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार में लोजपा राजग से अलग हटकर चुनाव लड़ रही है।
भूपेंद्र यादव ने भाजपा के चुनावी गीत 'मोदी जी की लहर' का वीडियो लांच कार्यक्रम में चिराग को स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा, "बहुत स्पष्ट है, लोजपा हमारे गठबंधन का हिस्सा नहीं है और हम चिराग पासवान को बताना चाहते हैं कि उन्हें किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए। भाजपा-जदयू एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं और नीतीश कुमार हमारे मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं।"
विपक्षी दलों के महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार राजद नेता तेजस्वी यादव के 10 लाख लोगों को नौकरी देने के वादा के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "लोग रोजगार का वादा कर रहे हैं, लेकिन खुद का रोजगार नहीं है। चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए लोग संघर्ष क्या जानें।"
उन्होंने महागठबंधन को अपवित्र गठबंधन बताते हुए कहा कि वे न तो दलितों के नेता हैं और और न ही अगड़े और पिछड़े के हैं। जीतन राम मांझी, मुकेश साहनी और उपेंद्र कुशवाहा ने उनका साथ छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि राजद के कमजोर नेतृत्व की मदद से, वामपंथी बिहार में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने शनिवार को कांग्रेस की वंशवादी राजनीति पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने किसी नेता का नाम लिए बगैर सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी पर कटाक्ष किया। नड्डा ने कहा, "चाहे कांग्रेस हो या कोई दूसरी क्षेत्रीय पार्टी, लोग अपने भाई-बहन, मां-बेटे को बचाने में व्यस्त हैं।"
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तराखंड भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।
नड्डा ओर से की गई यह टिप्पणी महत्व रखती है, क्योंकि यह कांग्रेस की ओर से बॉलीवुड अभिनेता से राजनेता बनें शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को टिकट देने के तुरंत बाद की गई है, जिसे व्यापक रूप से कांग्रेस को कैडर में परिवार को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है।
अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर कटाक्ष करते हुए नड्डा ने कहा, "अगर एक पार्टी का कार्यालय किसी राजनेता के घर से चलता है तो वह पार्टी केवल उस व्यक्ति से संबंध रखती है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि दूसरी पार्टियों की बात करें तो उनका परिवार ही पार्टी बन गया है, जबकि भाजपा के मामले में पार्टी ही उनका परिवार है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जहां तक वर्चुअल संबोधन (जनता को ऑनलाइन संबोधित करना) की बात है, तो अन्य राजनीतिक दलों ने भाजपा की नकल करना शुरू कर दिया है। नड्डा ने कहा कि हालांकि भाजपा की तुलना में उनके वर्चुअल संबोधन में कुछ ही लोग शामिल होते हैं।
नड्डा ने दावा किया, "अन्य राजनीतिक दल हमारी नकल कर रहे हैं। जब हमारी वर्चुअल बैठकें होती हैं तो लाखों लोग हमारे साथ जुड़ते हैं, लेकिन जब अन्य राजनीतिक दल वर्चुअल बैठकें करते हैं, तो हजारों लोग कम हो जाते हैं।"
अपने संबोधन के दौरान नड्डा ने राष्ट्रव्यापी बंद की अवधि के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति, सामाजिक न्याय और भाजपा की 'मदद' के प्रयासों पर प्रकाश डाला।(आईएएनएस)
पटना, 17 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं। इस दौरान राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेतृत्व वाले महागठबंधन ने बिहार में सरकार को बदलने का संकल्प लेते हुए शनिवार को अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है। 'प्रण हमारा, संकल्प बदलाव का' नाम वाले इस संकल्प पत्र को जारी करते हुए राजद से तेजस्वी यादव ने एक बार फिर सत्ता में आने के बाद 10 लाख लोगों को रोजगार देने का संकल्प दोहराया। इस मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित महागठबंधन के तमाम नेता मौजूद रहे।
संकल्प पत्र जारी करते हुए राजद के नेता तेजस्वी ने कहा कि सत्ता में आने के बाद नौकरी के लिए भरे जाने वाले आवेदनों में फीस माफ किया जाएगा तथा परीक्षा केंद्र जाने के लिए किराया भी माफ किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अगर उनके महागठबंधन को सत्ता में आने का मौका देती है तब नियोजित शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग 'समान काम, समान वेतन' को पूरा किया जाएगा। महागठबंधन के संकल्प पत्र में सत्ता में आने के बाद कृषि ऋण माफ करने का संकल्प लिया गया है जबकि राज्य में कपर्ूी श्रम आपदा केंद्र खोलने का वादा किया गया है।
तेजस्वी ने इस मौके पर एकबार फिर नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि अभी केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सका। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप आएंगें।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर होगी।
उल्लेखनीय है कि राजद इस चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरी है। (आईएएनएस)
पटना, 16 अक्टूबर| बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को दावा करते हुए कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) स्वयं निर्णय लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हुई है। उन्होंने लोजपा के सरकार बनाने के दावे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो पार्टी बिहार में एक सीट भी नहीं जीत सकती है, वह सरकार बनाने का दावा कर भ्रम फैला रही है। पटना में मोदी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि लोजपा के नेता झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने लोजपा नेता के दावे को झूठा व बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह से टेलीफोन पर मेरी बातें हुई हंै, लोजपा नेता और गृह मंत्री के बीच चुनाव को लेकर कभी कोई बात नहीं हुई।
मोदी ने कहा, "सीटों की संख्या को लेकर विवाद था, भाजपा जितनी सीटें दे रही थी, लोजपा उससे काफी अधिक सीटें मांग रही थी, जिसके कारण वार्ता टूटी और लोजपा स्वयं निर्णय लेकर गठबंधन से अलग हुई। जो पार्टी बिहार में एक सीट भी नहीं जीत सकती है, वह सरकार बनाने का दावा कर भ्रम फैला रही है।"
मोदी ने कहा कि, "लोजपा नेता कहते हैं कि वह नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। इसका सीधा मतलब है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के निर्णय का विरोध कर बिहार में भाजपा की सरकार बनने देना नहीं चाहते हैं।"
भाजपा नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि, "आखिर यह कैसी राजनीति है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हैं और दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा समर्थित नीतीश कुमार का विरोध करते हैं।"
मोदी ने स्पष्ट किया कि लोजपा वोट कटवा है और उसका एक ही मकसद है कि बिहार में राजग की सरकार नहीं बने। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बिहार में राजग की बहुमत की सरकार बनेगी। (आईएएनएस)
भोपाल, 16 अक्टूबर| मध्य प्रदेश के 28 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उप-चुनाव के लिए शुक्रवार को नामांकन भरने का अंतिम दिन है। यहां मतदान तीन नवंबर को होना है। गुरुवार तक राज्य में 216 उम्मीदवारों ने 282 नामांकन पर्चे दाखिल किए थे। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में गुरुवार को 92 अभ्यर्थियों के 122 नाम निर्देशन-पत्र जमा किए गए। इस प्रकार अब तक कुल 216 अभ्यर्थियों ने 282 नाम निर्देशन-पत्र जमा किये हैं। शुक्रवार को नामांकन जमा करने की आखिरी तारीख है।
निर्वाचन के तय कार्यक्रम के अनुसार, नाम निर्देशन-पत्र 16 अक्टूबर तक जमा होंगे। नाम निर्देशन-पत्रों की जांच (स्क्रूटनी) 17 अक्टूबर को की जाएगी। नाम वापसी की प्रक्रिया 19 अक्टूबर तक होगी। मतदान तीन नवम्बर और मतगणना 10 नवम्बर को होगी।
राज्य में भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने सभी 28 क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे है। वहीं सपाक्स और सपा भी कुछ स्थानों पर उम्मीदवार उतार रही है। कुल मिलाकर इस उप-चुनाव में कई स्थानों पर सीधे मुकाबले की बजाय त्रिकोणीय होने के आसार बन रहे है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 16 अक्टूबर| बिहार का चुनाव यूं तो जाति और मजहब के नाम पर होता रहा है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में यहां 'राम' और 'रावण' की भी एंट्री हो गई है। बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल (युनाइटेड) ने पटना के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव को राम और रावण के बीच का बताया है। इसे लेकर अब सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला बाहुबली विधायक अनंत सिंह और साफ सुथरी छवि के राजीव लोचन के बीच माना जा रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले मुंगेर के सांसद और जदयू के नेता ललन सिंह ने चुनावी प्रचार के दौरान कहा कि मोकामा विधानसभा सीट पर राम बनाम रावण की लड़ाई है।
उन्होंने महागठबंधन समर्थित राजद के प्रत्याशी अनंत सिंह को रावण का प्रतीक बताया, जबकि जदयू के प्रत्याशी राजीव लोचन सिंह को राम का प्रतीक कहा। जीत के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, जब भी राम और रावण का मुकाबला होता है तो किसकी जीत होती है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है।
अनंत सिंह पहली बार विधायक जदयू की टिकट पर ही बने थे। जब इसकी याद सांसद को दिलाई गई तब उन्होंने कहा, वह रावण हैं इसलिए वे रावण की पार्टी में चले गए। अब ठीक हो गया।
उल्लेखनीय है कि अनंत सिंह की पहचान दबंग की रही है। इनकी पहचान उनके क्षेत्र में 'छोटे सरकार' की रही है। पिछले वर्ष अनंत के नदवां गांव स्थित घर से एके-47 राइफल बरामद की गई थी और इसी मामले में वे पटना के बेउर जेल में बंद हैं। यही कारण है कि अनंत सिंह सात अक्टूबर को नामांकन भरने भी कैदी वैन पर सवार होकर जेल से आए थे।
इधर, जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन भी कहते हैं कि 2005 के बाद से बिहार में जंगल राज का सफाया किया जा रहा है। जो कुछ चीजें बच गई हैं, उनका भी इस चुनाव में सफाया तय है। उन्होंने कहा कि राम सदाचार के प्रतीक हैं जबकि रावण अनाचार, भ्रष्टाचार का प्रतीक रहा है।
उल्लेखनीय है कि 2005 से 2015 तक अनंत सिंह जदयू के टिकट पर मोकामा से तीन बार विधानसभा का चुनाव जीते। 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अनंत सिंह पर हत्या के आरोप लगने पर जदयू ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वहीं राजीव लोचन की छवि साफ सुथरी रही है। कहा जाता है कि प्रत्येक चुनाव में वे पर्दे के पीछे रहकर राजग प्रत्याशी की यहां मदद करते रहे हैं।
इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कटाक्ष करते हुए कहा, जब तक अनंत सिंह जदयू में थे तब तक वह राम थे, जैसे ही राजद में आए तो वे रावण हो गए। जिनके घर खुद शीशे के हैं उन्हें किसी दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 10 नवंबर को पता चल जाएगा कि कौन रावण है, कौन राम। उन्होंने कहा कि रावण सरकार का अब अंत निकट आ गया है। (आईएएनएस)
भोपाल, 16 अक्टूबर| मध्य प्रदेश के उज्जैन में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से हुई 14 लोगों की मौत और अन्य अपराधों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि, शिवराज आए और माफिया राज वापस लाए। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा प्रदेश में शिवराज सरकार के आते ही शराब माफिया, अपहरण माफिया, अपराध माफिया, भूमाफिया, ड्रग माफिया, सारे तरह के माफिया फिर से सक्रिय हो गए।
उन्होंने आगे कहा कि, उज्जैन में शराब माफिया द्वारा 14 लोगों की जान लेने के बाद अब जबलपुर में एक 12 वर्ष के बालक का अपहरण। अब अपहरण माफिया भी सक्रिय। पूरी सरकार चुनावों में लगी, अभियानों, केम्पेन में लगी हुई है, प्रदेश में सरकार नाम की चीज नहीं, कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर, बहन-बेटियां भी असुरक्षित, जनता भगवान भरोसे।
मुख्यमंत्री चौहान द्वारा खुद को जनता का पुजारी बताए जाने वाले बयान पर तंज कसते हुए कमल नाथ ने कहा कि जनता को भगवान व खुद को पुजारी बताने वालों के असली भगवान माफिया-मिलावटखोर बन चुके हैं। (आईएएनएस)
पटना, 16 अक्टूबर| केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को यहां विपक्षी दलों के महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव पर जोरदार निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजद का जन्म ही भ्रष्टाचार के आरोपियों को बचाने के लिए हुआ है। पटना में एक संवाददाता सम्म्ेालन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने राजद और तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा, उन्हें अपनी विरासत दिखाने में शर्म आ रही है, क्योंकि विरासत दिखाएंगे तो खौफ, अपराध, लूट और भ्रष्टाचार की याद आएगी। लेकिन क्या तस्वीर छिपाकर विरासत को भूला जा सकता है?
उल्लेखनीय है कि राजद के कई पोस्टरों से पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की तस्वीर नहीं लगाई गई है।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव में मुद्दे स्पष्ट हैं। एक ओर बिहार के विकास की सोच है, एक तरफ जनता के विकास की भागीदारी की सोच, दूसरी तरफ परिवार के जागीर के विस्तार की सोच है।
रविशंकर प्रसाद ने बिना किसी के नाम लिए कहा कि वो राजद के जन्म के कारणों की बात करते हैं। घोटाले में जेल जाने की नौबत आई, इस्तीफे का दबाव बढ़ा, तब जनता दल के मुख्यमंत्री रहे नेता ने राजद बनाई।
उन्होंने एक संस्मरण की चर्चा करते हुए कहा, राजद राज में मुझे गोली लगी थी। प्रमोद महाजन भी थे। प्रमोद महाजन केंद्रीय मंत्री थे। इसके बावजूद दो महीने तक कोई पुलिसवाला हमारा बयान लेने नहीं आया। जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तब जाकर एक इंस्पेक्टर हमारा बयान लेने आया।
इस मौके पर भाजपा नेताओं ने बिहार सरकार के 15 साल के विकास का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया।
प्रसाद ने राजग सरकार की उपलब्धियांे की चर्चा करते हुए कहा कि, नीतीश कुमार की सरकार बेटियों को साइकिल दे रही है तो केंद्र की राजग सरकार बेटियों को एयरफोर्स का फाइटर प्लेन दे रही है। यह है महिलाओं के प्रति हमारी सोच।
उन्होंने कहा कि, यह गर्व की बात है कि देश की तीन पहली फाइटर पायलटों में से एक दरभंगा की बेटी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही बिहार के 40 हजार गांवों तक आप्टिकल फाइबर पहुंचाएगी।
इस मौके पर जदयू और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता भी उपस्थित थे। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 16 अक्टूबर| मध्य प्रदेश में होने वाले उप-चुनाव का प्रचार जोर पकड़ चुका है और कांग्रेस उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा मांग प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सचिन पायलट की है। पार्टी अभी तक इन नेताओं के दौरों का कार्यक्रम तय नहीं कर पाई है और असमंजस में है कि आखिर इन नेताओं को प्रचार में उतारा जाए या नहीं।
राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं इनमें 25 सीटें ऐसी हैं जहां के कांग्रेस विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था और अब वे भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। वहीं तीन स्थानों पर विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है।
यह उप-चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है और कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी का सपना संजोए हुए है। पार्टी ने स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है उसमें प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सचिन पायलट के नाम हैं। इन तीनों नेताओं की राज्य में सबसे ज्यादा मांग कांग्रेस के उम्मीदवार कर रहे हैं। अब से पहले तक राहुल गांधी मध्य प्रदेश के चुनाव में सक्रिय भागीदारी निभा चुके हैं जबकि प्रियंका गांधी की सक्रियता कम ही रही है और सचिन पायलट के सीमित दौरे हुए हैं, मगर इस उपचुनाव में तीनों की मांग सबसे ज्यादा है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में तीनों नेताओं के नाम हैं और उम्मीदवार भी इनकी मांग कर रहे हैं। राज्य में ग्वालियर-चंबल इलाके की कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां गुर्जर मतदाताओं का प्रभाव है इसीलिए सचिन पायलट की भी मांग है। पार्टी राहुल गांधी और सचिन पायलट के प्रचार में उतारने पर किसी भी तरह के असमंजस में नहीं है, मगर प्रियंका गांधी को लेकर असमंजस बना हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर चुनाव में हार होती है तो विपक्षी दल इसे प्रियंका की लोकप्रियता से जोड़कर प्रचारित करेगा।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस के तीनों युवा नेताओं की उप-चुनाव में ज्यादा सक्रियता नजर नहीं आने वाली क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हों, इन नेताओं की सिंधिया से राजनीतिक तौर पर दूरी बढ़ गई हो, मगर खुले तौर पर सभी एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा नहीं खोलना चाहते। इसलिए इन नेताओं के दौरों के कार्यकम को अंतिम रुप नहीं दिया जा रहा है। बीते छह माह के सियासी हाल पर गौर करें तो सिंधिया ने भी कांग्रेस के तीनों नेताओं और तीनों नेताओं ने सिंधिया पर हमला नहीं बोला है।
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का मानना है कि कांग्रेस कभी भी गांधी परिवार के मामले में जोखिम नहीं लेती, इस परिवार के प्रतिनिधियों को उन्हीं क्षेत्रों में प्रचार के लिए भेजा जाता है जहां जीत की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए राहुल व प्रियंका को लेकर असमंजस है। दूसरी ओर सचिन पायलट और सिंधिया की दोस्ती जग जाहिर है। इस स्थिति में कांग्रेस ग्वालियर-चंबल इलाके में पायलट का उपयोग करने के साथ यह कोशिश करेगी कि दोनों में दूरी बढ़े और पायलट उनके ही गढ़ में आकर सिंधिया को ललकारें। (आईएएनएस)
पंकज मुकाती
इंदौर, 15 अगस्त (‘छत्तीसगढ़’)। पैसा कैसा सिर चढक़र बोलता है, ये नारायण पटेल ने साबित कर दिया। कांग्रेस छोडक़र भाजपा में गए मान्धाता विधायक ने आज खुलकर बिकने-खरीदने की बात मान ली। उनकी नामांकन रैली में कांग्रेसियों के बिकाऊ नहीं टिकाऊ नारे लगाए। इस पर भडक़े नारायण पटेल बोले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास इतना पैसा है कि पूरी कांग्रेस खरीद ले।
विश्लेषकों का कहना है कि इस बयान ने जरिये नारायण पटेल ने ये भी बता दिया कि जो भी विधायक भाजपा में गये हैं सबको महाराज के पैसों से खरीदा गया है। भाजपा प्रत्याशी नारायण पटेल की भड़ास निकाली। पटेल ने कहा- ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास इतनी संपत्ति है कि आधी कांग्रेस क्या, पूरी कांग्रेस ही खरीद लें।
बुधवार को नामांकन रैली जब कांग्रेस कार्यालय के सामने से गुजरी तो कांग्रेसियों ने नारेबाजी कर दी। माहौल बिगड़ता देखकर भाजपा के वरिष्ठ नेता कांग्रेस कार्यालय के सामने पहुंचे और कार्यकर्ताओं को समझाने लगे। हालांकि, भाजपा कार्यकर्ता भी पार्टी के नारे लगाते हुए कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ गए थे।
मांधाता सीट से कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक नारायण पटेल ने कहा कि यह तो घिसी-पिटी बात हो गई है। इनके पास कोई मुद्दा नहीं है। इनके खिलाफ हमारे 25 विधायकों ने इस्तीफा दिया। हमारे सिंधिया के पास इतनी संपत्ति है कि आधी क्या वे पूरी कांग्रेस खरीद लें।
इतनी बड़ी स्टेट है उनकी। ऐसे लोगों के लिए इनके पास इतने ही शब्द रह गए हैं। 15 माह में कोई विकास तो नहीं किया। अब कांग्रेसियों के पास कोई मुद्दा नहीं है तो ये ऐसी बातें कर रहे हैं।
सांसद नंद कुमार सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस के 25 विधायकों ने जनहित में इस्तीफे दिए यह उनका त्याग है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास विधायकों को सुनने, समझने के लिए टाइम तक नहीं था जब सरकार गिरी तो आरोप लगा रहे हैं। वहीं, कालसन माता मंदिर परिसर की चुनावी सभा में कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गांव, गरीब किसानों के लिए योजना बनाते हैं। इसलिए वे प्रदेश के नायक है। दूसरी तरफ तत्कालीन मुख्यमंत्री खलनायक और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सिर्फ कार्टून है।
राजनीति के पोस्टर ब्यॉय पोस्टर से भी बाहर ... भाजपा ने समझ लिया कि सिंधिया एक बड़ी भूल है, उनके खिलाफ उठ रही गद्दार की आवाजों के बाद पार्टी ने चुनाव अभियान से सिंधिया को दूर कर दिया, बड़े आयोजन में तो वे पहले भी किनारे कर दिए गए
इंदौर से पंकज मुकाती की विशेष रिपोर्ट
इंदौर, 14 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’)। ज्योतिरादित्य सिंधिया। महाराज सिंधिया। अब किसी काम के नहीं रहे। भाजपा ने तो अब सार्वजनिक रूप से से स्वीकार ही लिया। जो कुछ अंदरखाने चल रहा था, वो अब सामने आ गया। भाजपा ने सिंधिया को अपने चुनावी रथ से उतार ही दिया। गद्दार और महाराज दोनों ही तमगे भाजपा नेताओं को नहीं सुहाए। अंतत: भाजपा ने अपने चुनाव अभियान रथ से इस पोस्टर बॉय को निकाल दिया। रथ से तो उतारे ही गए, स्टार प्रचारकों की सूची में भी उन्हें दसवें नंबर पर रखा गया है।
भारतीय जनता पार्टी ने 2018 का विधानसभा चुनाव ‘माफ करो महाराज’ के नारे पर लड़ा। अब सिंधिया भाजपा में आ गए हैं। पर भाजपा ने अपना नारा वही रखा-हमारा नेता शिवराज, माफ करो महाराज। स्टार प्रचारकों की सूची में सिंधिया से उपर कैलाश विजयवर्गीय भी है। जबकि पार्टी ने विजयवर्गीय को प्रदेश के मामलों से लगभग किनारे कर दिया है। यानी भाजपा के किनारे कर दिए गए नेता से भी नीचे हैं सिंधिया।
सूत्रों के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारी विरोध को देखते हुए भाजपा ने उन्हें चुनाव अभियान से दूर रखने का फैसला लिया। शिवराज के साथ ग्वालियर के सदस्यता अभियान में जिस तरह से महल के खिलाफ और सिंधिया गद्दार के नारे गूंजे, उसी दिन भाजपा ने समझ लिया कि भूल हो गई। जिसे जनता का नेता समझा वो तो पोस्टर बॉय भी नहीं निकला।
ग्वालियर के बाद इंदौर, सांवेर, बदनावर कई जगह गद्दार वाले नारे लगे। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने जितने भी भूमिपूजन और शिलान्यास किये उसे सिंधिया को नहीं बुलाया गया। भाजपा को अब ये भरोसा हो गया है कि सिंधिया का साथ हार की गारंटी है।
ग्वालियर से जुड़े रहे प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक का भी मानना है कि गद्दारी के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया की सामंती ठसक भी भाजपा कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आ रही है। सिंधिया अक्सर सभाओं में कहते हैं, आप महाराज को वोट दे रहे हैं।
भाजपा जो पूरी जि़ंदगी सामंतशाही से लड़ती रही उसके मंच पर ऐसा प्रदर्शन वो कैसे बर्दाश्त करेगी। ग्वालियर से जुड़े प्रभात झा और जयभान सिंह पवैया भी इससे नाराज चल रहे हैं।
सिंधिया खेमे के मंत्रियों की जासूसी के बाद तरीके से संगठन से सिंधिया को किया किनारे
सिंधिया के समर्थकों को भी अब लगने लगा है कि उन्होंने गलती कर दी। यदि वे इस बार हार गए तो पूरी राजनीति खत्म। कांग्रेस में लौटकर भी कुछ हासिल होना नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया समर्थकों को मंत्री जरूर बनाया। पर पूरे सूत्र अपने हाथ रखे। मंत्रियों के विभाग में शिवराज ने बड़ी चालाकी से अपने अफसरों को नियुक्त किया। एक तरह से मंत्रियों के हाथ बाँध दिए गए। साथ ही उनकी जासूसी भी करवाई गई।
सिंधिया कभी ग्वालियर-चबल में जीताऊ चेहरा नहीं रहे ये सच भी सामने आ गया
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सों में ये माना जाता है कि ग्वालियर और गुना में उनकी चलती है। पर हकीकत में ऐसा नहीं है। गुना की चार में से तीन सीटें काँग्रेस के पास है इसमें से भी दो दिगिवजय सिंह के परिवार के पास है। यानी गुना में सिंधिया का कोई वजूद नहीं। वे खुद यहाँ से लोकसभा हार चुके हैं। ग्वालियर में पिछले बीस साल से कोई कांग्रेसी लोकसभा चुनाव नहीं जीता। यदि इस इलाके में सिंधिया की इतना ही वजूद होता तो 2018 के विधानसभा चुनाव के ठीक बाद वे सवा लाख मतों से लोकसभा नहीं हारते।
राजनीति के पोस्टर ब्यॉय पोस्टर से भी बाहर ... भाजपा ने समझ लिया कि सिंधिया एक बड़ी भूल है, उनके खिलाफ उठ रही गद्दार की आवाजों के बाद पार्टी ने चुनाव अभियान से सिंधिया को दूर कर दिया, बड़े आयोजन में तो वे पहले भी किनारे कर दिए गए
इंदौर से पंकज मुकाती की विशेष रिपोर्ट
इंदौर, 14 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’)। ज्योतिरादित्य सिंधिया। महाराज सिंधिया। अब किसी काम के नहीं रहे। भाजपा ने तो अब सार्वजनिक रूप से से स्वीकार ही लिया। जो कुछ अंदरखाने चल रहा था, वो अब सामने आ गया। भाजपा ने सिंधिया को अपने चुनावी रथ से उतार ही दिया। गद्दार और महाराज दोनों ही तमगे भाजपा नेताओं को नहीं सुहाए। अंतत: भाजपा ने अपने चुनाव अभियान रथ से इस पोस्टर बॉय को निकाल दिया। रथ से तो उतारे ही गए, स्टार प्रचारकों की सूची में भी उन्हें दसवें नंबर पर रखा गया है।
भारतीय जनता पार्टी ने 2018 का विधानसभा चुनाव ‘माफ करो महाराज’ के नारे पर लड़ा। अब सिंधिया भाजपा में आ गए हैं। पर भाजपा ने अपना नारा वही रखा-हमारा नेता शिवराज, माफ करो महाराज। स्टार प्रचारकों की सूची में सिंधिया से उपर कैलाश विजयवर्गीय भी है। जबकि पार्टी ने विजयवर्गीय को प्रदेश के मामलों से लगभग किनारे कर दिया है। यानी भाजपा के किनारे कर दिए गए नेता से भी नीचे हैं सिंधिया।
सूत्रों के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारी विरोध को देखते हुए भाजपा ने उन्हें चुनाव अभियान से दूर रखने का फैसला लिया। शिवराज के साथ ग्वालियर के सदस्यता अभियान में जिस तरह से महल के खिलाफ और सिंधिया गद्दार के नारे गूंजे, उसी दिन भाजपा ने समझ लिया कि भूल हो गई। जिसे जनता का नेता समझा वो तो पोस्टर बॉय भी नहीं निकला।
ग्वालियर के बाद इंदौर, सांवेर, बदनावर कई जगह गद्दार वाले नारे लगे। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने जितने भी भूमिपूजन और शिलान्यास किये उसे सिंधिया को नहीं बुलाया गया। भाजपा को अब ये भरोसा हो गया है कि सिंधिया का साथ हार की गारंटी है।
ग्वालियर से जुड़े रहे प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक का भी मानना है कि गद्दारी के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया की सामंती ठसक भी भाजपा कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आ रही है। सिंधिया अक्सर सभाओं में कहते हैं, आप महाराज को वोट दे रहे हैं।
भाजपा जो पूरी जि़ंदगी सामंतशाही से लड़ती रही उसके मंच पर ऐसा प्रदर्शन वो कैसे बर्दाश्त करेगी। ग्वालियर से जुड़े प्रभात झा और जयभान सिंह पवैया भी इससे नाराज चल रहे हैं।
सिंधिया खेमे के मंत्रियों की जासूसी के बाद तरीके से संगठन से सिंधिया को किया किनारे
सिंधिया के समर्थकों को भी अब लगने लगा है कि उन्होंने गलती कर दी। यदि वे इस बार हार गए तो पूरी राजनीति खत्म। कांग्रेस में लौटकर भी कुछ हासिल होना नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया समर्थकों को मंत्री जरूर बनाया। पर पूरे सूत्र अपने हाथ रखे। मंत्रियों के विभाग में शिवराज ने बड़ी चालाकी से अपने अफसरों को नियुक्त किया। एक तरह से मंत्रियों के हाथ बाँध दिए गए। साथ ही उनकी जासूसी भी करवाई गई।
सिंधिया कभी ग्वालियर-चबल में जीताऊ चेहरा नहीं रहे ये सच भी सामने आ गया
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सों में ये माना जाता है कि ग्वालियर और गुना में उनकी चलती है। पर हकीकत में ऐसा नहीं है। गुना की चार में से तीन सीटें काँग्रेस के पास है इसमें से भी दो दिगिवजय सिंह के परिवार के पास है। यानी गुना में सिंधिया का कोई वजूद नहीं। वे खुद यहाँ से लोकसभा हार चुके हैं। ग्वालियर में पिछले बीस साल से कोई कांग्रेसी लोकसभा चुनाव नहीं जीता। यदि इस इलाके में सिंधिया की इतना ही वजूद होता तो 2018 के विधानसभा चुनाव के ठीक बाद वे सवा लाख मतों से लोकसभा नहीं हारते।
हाजीपुर, 14 अक्टूबर| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव बुधवार को राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन पर्चा दाखिल किया। पटना से तेजस्वी हाजीपुर पहुंचे और हाजीपुर अनुमंडल कार्यालय में राघोपुर क्षेत्र के लिए नामांकन पर्चा दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के 'हनुमान' कहे जाने वाले विधायक भोला यादव भी साथ थे।
नामांकन दाखिल करने के बाद तेजस्वी यादव ने एक बार फिर नीतीश सरकार पर निशना साधा। उन्होंने अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (जो न्यायिक हिरासत में हैं) को याद करते हुए कहा कि आज उनकी कमी सबको खल रही थी। बिहार के लोग उन्हें याद कर रहे हैं।
तेजस्वी ने कहा कि राघोपुर की जनता ने उन्हें पहली बार विधायक बनाया, तो उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकेगी और अब एक नई सरकार बिहार में बनेगी।
नीतीश कुमार द्वारा बिना अनुभव के नेता बताए जाने पर तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने (नीतीश कुमार) ही ने तो उपमुख्यमंत्री बनाया था।
इससे पहले पटना आवास से हाजीपुर निकलने से पहले तेजस्वी ने अपनी मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और अपने बड़े भाई तेजप्रताप यादव के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
उल्लेखनीय है कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव फिर से राघोपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भाई और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप इस चुनाव में समस्तीपुर जिले के हसनपुर से नामांकन का पर्चा दाखिल किया है। पिछले चुनाव में वे महुआ क्षेत्र से विधायक थे।
राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा है। राघोपुर में मतदान दूसरे चरण में होना है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 14 अक्टूबर. बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसे तो करीब सभी प्रमुख राजनीतिक दल के योद्धा चुनावी अखाड़े में उतरकर ताल ठोंक रहे हैं, लेकिन इस अखाड़े में एक ऐसा योद्धा भी है, जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुका है, लेकिन उनके अपने क्षेत्र में कुछ करने की तमन्ना उसे फिर से पटना ले आई और वो चुनावी मैदान में उतर आए।
पटना के रहने वाले मनीष बरि यार आज चुनावी मैदान में सियासत का पाठ पढ़ रहे हैं। मनीष बरियार वाणिज्य मंत्रालय में ए ग्रेड की नौकरी छोड़कर इस चुनाव में बांकीपुर से चुनावी मैदान में हैं और लोगांे के बीच पहुंचकर वोट मांग रहे हैं।
मनीष का दावा है कि उनको लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। वे कहते है कि लोग सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों से किसी न किसी कारण से नाराज हैं, यही कारण है कि वे ऐसे विकल्प की तलाश में हैं जो राजनीति से नहीं अपने बीच से आया व्यक्ति हो।
मनीष कहते हैं, पिछले काफी दिनों से वे शिक्षक का काम कर रहे हैं। वे कहते हैं कि उन्हें नौकरी में कभी मन नहीं लगा। प्रारंभ से ही उनकी तमन्ना अपनी जन्मभूमि की सेवा करने की रही है। और जब वह स्थल गंगा के किनारे हो तो कोई भी चाहेगा उनकी अंतिम यात्रा भी इसी स्थान से निकले।
पटना के ए एन कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर मनीष ने कैट की परीक्षा दी और उनका चयन भारतीय विदेश व्यापार संस्थान में हो गया। इसके बाद उनका चयन ऑगेर्नाइजेशन लीडरशिप प्रोग्राम के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (यूके) में हो गया। मनीष भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में ए ग्रेड अधिकारी की नौकरी भी की, लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा और वे पटना लौट आए। यहां वे शिक्षक की भूिमका में उतर आए छात्रों को प्रबंधन की शिक्षा देने लगे।
उन्होंने आईएनएस से कहा, मैं यहां वोट की राजनीति में नहीं आया हूं। मैं यहीं का जन्मा हूं। मेरी कर्मभूमि भी बांकीपुर रही है। मैं लोगों के बीच पहुंच रहा हूं और लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहा हूं। मैं निर्दलीय खड़ा हूं।
उन्होंने बताया कि उनकी पृष्ठभूमि मध्यम वर्ग की रही है। उन्होंने कहा कि आज राजनीति में लोग पैसे कमाने के लालच में पहुंच रहे है, जो कहीं से समाजवाद नहीं है। वे तर्क देते हुए कहते हैं कि लोगों को कुछ पैसा कमाकर राजनीति में आना चाहिए, जिससे उनकी स्वयं की जरूरतें पूरी हो सके और जनप्रतिनिधि बनकर लोगों की सेवा करते रहें।
राजनीति पुष्ठभूमि के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे कॉलेज में छात्र संगठन का चुनाव लड़ चुके हैं। समाजसेवा और लोगों को शिक्षित करना उनका उद्देश्य है।
मनीष बरियार को बिहारी होना गर्व है। उन्होंने कहा, बिहार राज्य भारत का सच्चे मायनों में प्रतिनिधित्व करता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के लोगों ने बहुत कुछ हासिल किया है। हालांकि, बिहार को उतना खास हासिल नहीं हुआ, जितनी उम्मीद की जाती है। बिहार में बदलाव लाने के लिए लोगों को आगे आने होगा।
वे कहते है कि बिहार जैसे राज्य में विकास की अपार संभावनाएं है और इसके लिए बिहार के लोगों को पहल करनी होगी।
बहरहाल, मनीष देश की राजनीति का पाठशाला कहे जाने वाले बिहार की राजनीति से अपने सियासी सफर की शुरूआत की है, लेकिन राजनीति के धुरंधरों के बीच मनीष नेताओं के दांव-पेंच से कैसे पार पाएंगें, यह देखने वाली बात होगी। (आईएएनएस)
पटना, 13 अक्टूबर। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में बागी तेवर दिखाने वाले नेताओं पर जेडीयू ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले 15 नेताओं को जेडीयू ने 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया है। पार्टी लाइन का मानना है कि ये नेता पार्टी से बगावत कर दूसरे पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही कई दूसरी पार्टियों की मदद भी कर रहे हैं। जेडीयू ने रामेश्वर पासवान, प्रमोद चंद्रवंशी, अरुण कुमार, तजम्मल खां, अमरेश चौधरी, शिवशंकर चौधरी, सिंधु पासवान, करतार सिंह, राकेश रंजन, ददन पहलवान, सुमित सिंह, भगवान सिंह कुशवाहा, रणविजय सिंह, कंचन गुप्ता और मुंग़ेरी पासवान को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
इधर, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार का दौर शुरू हो चुका है। महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने भी अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। राजद ने इस सूची में 30 नेताओं को जगह दी है, जिनको बिहार की 243 सीटों पर महागठबंधन और राजद के लिए प्रचार करना है। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सबसे पहला नाम बिहार के पूर्व सीएम और लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी का है। इसके अलावा उनके परिवार से दोनों बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव और तेज प्रताप यादव समेत डॉक्टर मीसा भारती को भी स्टार प्रचारकों की सूची में जगह मिली है।
बिहार चुनाव 2020 अब बेहद करीब है. ऐसे में सभी पार्टियां जोर शोर से मतदाताओं तक पहुंच कर उन्हें लुभाने में जुटी हैं। प्रत्याशियों का ऐलान हो रहा है। साथ ही अब राजनीतिक दल डिजिटल माध्यम से भी चुनाव प्रचार करने लगे हैं। ऐसा ही एक वीडियो सॉन्ग बनाकर बीजेपी ने ट्विटर पर शेयर किया। इसका टाइटल रखा बिहार में ई बा मतलब बिहार में यह हुआ। इसमें बिहार में अब तक एनडीए सरकार में हुए विकास कार्यों का दावा किया गया है। लेकिन कुछ देर में ही बिहार में ई बा वीडियो ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। कुछ लोग इसके समर्थन में आए तो कुछ नीतीश कुमार सरकार को घेर रहे हैं। उनके साथ ही तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव भी लोगों के निशाने पर हैं। बिहार में ई बा ट्रेंड पर एक यूजर ने लॉकडाउन के दौरान घर लौट रहे बिहार के लोगों की फोटो शेयर कर सरकार पर निशाना साधा।
बिहार चुनाव इस बार तीन चरणों में होने हैं। इनकी शुरुआत 28 अक्टूबर से हो रही है। साथ ही 10 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
पटना, 13 अक्टूबर| बिहार चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया अब तेज हो गई है। दूसरे चरण के लिए मंगलवार को बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने पटना साहिब से जबकि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और राजद के तेजप्रताप यादव ने समस्तीपुर जिले के हसनपुर से नामांकन का पर्चा दाखिल किया। मंत्री नंदकिशोर पटना साहिब से सातवीं बार राजग प्रत्याशी के रूप में नामाकंन का पर्चा दाखिल किया। पर्चा दाखिल करने के बाद उन्होंने कहा कि पटना साहिब से वे सातवीं बार नामांकन का पर्चा दाखिल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "मेरे लिए पटना साहिब सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र का नाम नहीं, अपितु यह मेरा घर है। इस क्षेत्र के सभी लोग मेरे परिवार के लोग हैं। इनके सुख-दुख में साथ रहना मेरा पारिवारिक और नैतिक दायित्व है।"
इधर, तेजप्रताप यादव भी हसनपुर से नामांकन का पर्चा दाखिल किया, उनके साथ राजद के नेता और उनके भाई तेजस्वी यादव भी थे। तेजप्रताप यादव के नामांकन दाखिल करने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि, "हमें हसनपुर की जनता पर पूरा विश्वास है कि भारी मतों से इनको जीत मिलेगी और हम सरकार बनाने जा रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि, "सरकार बनी तो पहली कैबिनेट की बैठक में सरकार 10 लाख बेरोजगार नौजवानों को रोजगार और स्थायी सरकारी नौकरी देगी।"
इधर, तेजप्रताप ने भी कहा कि, "हसनपुर की जनता उनके साथ है और उनकी जीत पक्की है।" उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि, "तेजस्वी सरकार तय है।"
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में तेजप्रताप महुआ विधानसभा क्षेत्र से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने अपना क्षेत्र बदल लिया है।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर होगा, जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी।
इस चुनाव में राजद जहां कांग्रेस और वमापंथी दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरा है, वहीं भाजपा और जदयू सहित चार दल मिलकर चुनावी मैदान में दम दिखा रहे हैं। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 12 अक्टूबर| मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा उप-चुनाव का नजारा पिछले चुनावों के मुकाबले कुछ जुदा है। इस बार चुनाव में बाबाओं की टोली और भगवाधारी भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस के प्रचार में लगे हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने तो बड़ा मलहरा विधानसभा क्षेत्र से भगवाधारी राम सिया को उम्मीदवार ही बना दिया है।
राज्य में विधानसभा की 28 सीटों पर उप-चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में दोनों ही राजनीतिक दल पूरा जोर लगाए हुए हैं, मगर एक मामले में इस चुनाव में भाजपा से कांग्रेस आगे नजर आ रही है और वह है साधुओं की टोली और भगवाधारियों का प्रचार में उपयोग करना। आमतौर पर यह माना जाता रहा है कि भाजपा चुनाव में साधु-संत और भगवाधारियोंका उपयोग करती है मगर मध्यप्रदेश में इससे उलट तस्वीर नजर आ रही है। वैसे राज्य में भाजपा के पास दो बड़े भगवाधारी नेता उमा भारती और प्रज्ञा ठाकुर हैं, मगर दोनों ही नेताओं की सक्रियता चुनाव में कम ही नजर आ रही है।
एक तरफ जहां भाजपा साधु-संत और भगवाधारियों को सामने लाने से परहेज कर रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस के लिए कंप्यूटर बाबा की टोली 'लोकतंत्र बचाओ' यात्रा निकाल रही है और एक-एक विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करने का आव्हान कर रही है। इसी तरह मिर्ची वाले बाबा भी कांग्रेस के प्रचार में लगे हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने तो भगवाधारी राम सिया भारती को बड़ा मलहरा विधानसभा से उम्मीदवार ही बना दिया है तो साधना भारती, जो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, वह भी पार्टी के प्रचार में लगी हैं।
कंग्रेस के प्रवक्ता अजय यादव का कहना है कि, भाजपा हमेशा राजनीति में धर्म का लाभ लेने की केाशिश करती रही है, वहीं कांग्रेस ने कभी भी धर्म का इस्तेमाल नहीं किया। अब कांग्रेस खुले तौर पर अपनी भावनाएं व्यक्त कर रही है, प्रदेश के कांग्रेस मुखिया कमल नाथ की धार्मिक आस्थाएं किसी से छुपी नहीं है। उन्होंने छिंदवाड़ा में हनुमान जी की भव्य प्रतिमा बनवाई है तो राममंदिर के शिलान्यास से पहले उनके आवास और पार्टी कार्यालय में कार्यक्रम हुए थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, राज्य में दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतना लक्ष्य है, कांग्रेस भी हर मोर्चे पर सक्रिय है, यही कारण है कि उसने भी भाजपा के उस अस्त्र को हथियार बनाने की केाशिश की है, जिसके सहारे भाजपा ने बड़ा जनाधार पाया है। कांग्रेस के लिए बाबाओं की टोली घूम रही है, भगवाधारी भी सक्रिय हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस के इस अस्त्र का चुनाव में कितना लाभ मिलता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर| तमिल, तेलुगू और मलयालम की 200 फिल्मों में काम करने वाली दक्षिण भारत की मशहूर अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया। राष्ट्रीय महासचिव सी.टी, रवि और तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष मुरुगुन की मौजूदगी में उन्होंने भाजपा मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। खुशबू सुंदर ने सोमवार को ही कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दिया था। राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि खुशबू सुंदर किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने डीएमके से अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की और कांग्रेस में भी रहीं। अब वह भाजपा में शामिल हो रहीं हैं।
बता दें कि खुशबू सुंदर 2010 में द्रमुक पार्टी से जुड़ीं थीं। बाद में 2014 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। खुशबू सुंदर का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर भाजपा से जुड़ने का फैसला किया। (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 12 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी (आाप) धीरे-धीरे अपने पांव जमाने में लग गयी है। पार्टी दिल्ली में सत्ता हासिल करने के बाद यूपी में जमीन तलाशने की पुरजोर प्रयास में लग गयी है। सोशल मीडिया के जरिए सरकार को घेरने में लगे सपा, बसपा और कांग्रेस को इसी के दबाव के चलते जमीन पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आप के रणनीतिकारों का मानना है कि जब तक पार्टी यहां सत्ता पर काबिज नहीं होती है तब तक विपक्ष का विकल्प बनने की पूरी तैयारी कर रही है।
दिल्ली में सत्ता मिलने के बाद से ही पार्टी ने देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की ओर अपनी विशेष निगाह डालनी शुरू कर दी। आम आदमी पार्टी यूपी में अपने संगठन के विस्तार के लिए तेजी से सदस्यता अभियान चला रही है। इसके अलावा सूबे में सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए अरविंद केजरीवाल ने यूपी के प्रभारी संजय सिंह को मोर्चे पर लगाया है जो योगी सरकार को घेरने में तेजी से लग गए हैं।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने राजधानी लखनऊ में डेरा जमा लिया है। लगातार जनहित से जुड़े मुद्दे उठाकर वह सरकार की आंख में खटकने लगे हैं। इसका उनको खमियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। उनके ऊपर उप्र के कई जिलों में एफआईआर दर्ज हुई है। लेकिन वो पीछे नहीं हटे हैं। संजय सिंह न सिर्फ जनहित के मुद्दों पर पार्टी को सड़क पर उतार रहे हैं बल्कि संगठन को मजबूती और विस्तार भी दे रहे हैं।
राज्य में चाहे ब्राह्मणों की हत्या से शुरू हुई ब्राह्मण प्रेम की राजनीति हो, कोरोना में उपकरणों की खरीद का मुद्दा हो या फिर लखीमपुर में पूर्व विधायक की हत्या या फिर हाथरस कांड, सब मुद्दों पर आप ने आन्दोलन से लेकर गिरफ्तारियां दी। पार्टी की ओर से यह दिखाने का प्रयास किया गया मानों वही मुख्य विपक्षी दल है।
आप पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वैभव महेश्वरी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि, आम आदमी पार्टी ने लगभग सभी जिलों में कमेटी बना ली है। इसके अलावा जो गतिविधियां तेज हुई है, उसके माध्यम से संगठन निर्माण को गति मिल रही है। 370 विधानसभाओं में 20 सदस्यों की कमेटी गठित की गयी है। ब्लाकों और गांवों में संगठन को पहुंचाने पर जोर है। यही कमेटी के सदस्य ही पंचायत चुनाव के अच्छे प्रत्याशी तलाश कर चुनावी मैदान में उतारेंगे। विधानसभा चुनाव में जाने से पहले पार्टी अपना आन्तरिक सर्वे करेगी इसके बाद जनता के बीच जाएंगे। अभी विधानसभा चुनाव लड़ने की कोई घोषणा नहीं की गयी है।
उन्होंने कहा कि, आम आदमी जातिवादी राजनीति को तोड़ रही है। हम लोग मुद्दों की राजनीति करते हैं। यूपी का विपक्षी दल सोया हुआ है। सड़क पर दिखाई नहीं दे रहा है। जिलों में कोई सक्रियता नहीं है। हम लोगों ने मुद्दों को उठाकर विपक्ष की जगह भरने का प्रयास किया है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि, यूपी में डेढ़ साल चुनाव को बचे हैं। ऐसे में सभी दल मजबूत विपक्ष के रूप में खड़े होंने की कवायद करेंगे। चुनाव जमीन पर जीता जाता है। मैनेजमेंट केवल परसेप्शन बनाता है। लेकिन इससे सफलता नहीं मिलती है। ऐसे में जमीन में संगठन खड़ा करना बहुत जरूरी है। यूपी में क्षेत्रीय पार्टियां और जातीय पार्टी तो बनी है। लेकिन राजनीतिक नहीं बन पायी है। आम आदमी पार्टी मुद्दों पर बनी है। यूपी में बहुत सफर करना है। पार्टी जगह जरूर बना सकती है। लेकिन वह स्पेस वोटों में कितना तब्दील होगा, ये अभी कहा नहीं जा सकता। (आईएएनएस)