विचार / लेख
-कनक तिवारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचनाओं का मैं विरोध करूंगा, 135-137 करोड़ के देश को एक व्यक्ति कैसे संभाल लेगा। लेकिन उनमें हिम्मत देखिए। संभाल रहे हैं। ऐसा प्रधानमंत्री इतिहास में कभी नहीं हुआ। देश में लाखों मर रहे हैं। खप रहे हैं लेकिन उनमें इतना दार्शनिक भाव है कि हम सब को हिम्मत दे रहे हैं कि मृत्यु तो एक क्षण भंगुर चीज है। इसकी परवाह मत करो ।जीवन अमर है और तुम्हारी आत्मा अमर है। हम अमर आत्मा के देश हैं। देह तो हमारी दुश्मन है। उन्होंने पूरे देश में घूम-घूम कर लोगों को लोकतंत्र के बारे में साहस के बारे में बीमारी के बारे में इतना बताया।
अब लोग ही मूर्ख हैं तो प्रधानमंत्रीजी क्या करेंगे! उन्होंने बंगाल में भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति को गवर्नर बनाया है। जो लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए वहां उन जगहों पर भी जाकर घूमेंगे जहां हिंसा नहीं भी हो रही है ।और एक सच्ची रिपोर्ट मौजूदा सरकार के खिलाफ देंगे ताकि देश में प्रधानमंत्री का जलजला कायम रहे।।
विदेशों को एक भारतीय दानवीर की तरह उन्होंने सारी वैक्सीन और सारी दवाइयां पहले ही भेज दीं और थाली और घंटी बजा कर देश को आश्वस्त कर दिया कि हमारे यहां बीमारी नहीं होगी। अब यह चीन की बीमारी धोखा देकर आ गई तो भोले भाले प्रधानमंत्री क्या करेंगे! जिस तरह वह हमारे देश की धरती में चीन घुस गया और जा नहीं रहा है उसी तरह यह बीमारी भी है! एक भोले व्यक्ति को कोई झूठा धोखेबाज तो कभी गुमराह सकता है।
हम अपने प्रधानमंत्री की दयाशीलता के साथ उदारता के साथ भोलेपन के साथ रहेंगे। उन्होंने देश को स्वास्थ्य मंत्री दिया जो कोरोना की भयानक बीमारी के दौरान हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए हर भारतीय पुरुषों को मटर छीलने की प्रेरणा भी देता रहा। और हम भी मटर छील रहे हैं। हमने तो बहुत मटर छील कर घर में रख लिए हैं। जब तक कोरोना रहेगा तब तक हम मटर की सब्जी खा सकते हैं। हम हर्षवर्धन जी से अपना हर्ष इतनी मात्रा में वर्धन कर चुके हैं। रविशंकर प्रसाद जैसे अत्यंत वाचाल और तार्किक व्यक्ति को उन्होंने अपना कानून मंत्री बनाया है। ऐसे कानून मंत्री देश में अब तक हुए ही नहीं है। ऐसी चीजें ढूंढ कर लाते हैं जो संविधान और कानून की किसी किताब में नहीं है लेकिन मनुष्य के लिए आदर्श में हैं।
कितनी तारीफ करें ।आपके एक से एक प्रवक्ता हैं। प्रधानमंत्री जी के पक्ष में बोलने वाले संबित पात्रा ने तो इतिहास रच दिया है। महाभारत काल में संजय ने जो धृतराष्ट्र को बताया था वही मुद्रा संजय के नए संस्करण संबित पात्रा की होती है और प्रधानमंत्री को धृतराष्ट्र की भूमिका में समझते हैं कि प्रधानमंत्री का क्या दोष। उनके मंत्री उनके सौ पुत्रों की तरह हैं। अब कोई दुर्योधन की भूमिका करे तो उसका क्या भरोसा है। हम अपने प्रधानमंत्री के साथ रहेंगे। उनका गला खराब हो गया है कि मन की बात भी नहीं कर पा रहे हैं लेकिन मन की बात करने के लिए गला अच्छा हो इसकी क्या जरूरत है। हम तो उनकी बात अपने मन के कानों से सुन रहे हैं। सुनते रहेंगे। वे हैं तो सब कुछ मुमकिन है।