विचार / लेख

देश का नेता कैसा हो, रंगा सामी जैसा हो
11-May-2021 6:50 PM
देश का नेता कैसा हो, रंगा सामी जैसा हो

एन रंगासामी मुख्यमंत्री पुदुचेरी

-प्रकाश दुबे

दो नावों की सवारी सबको नहीं सुहाती। वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी बड़ोदरा और वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़े। प्रधानमंत्री मोदी साल 2019 में सिर्फ बनारस से। भाजपा के केरल प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्रन दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़े। सबरीमाला मुद्दे पर इतना प्रचार करने के बावजूद कोनी विधानसभा क्षेत्र से पटखनी खाई। पुदुचेरी वासी एन रंगासामी ने अपने नाम से अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस पार्टी बना रखी है। प्रधानमंत्री तक अपने नाम से उनके जैसी अलग पार्टी नहीं बना सके। अखिल भारतीय क्या? मोहल्ला स्तर तक की नहीं। मोदी जैसी लोकप्रियता साबित करने के जोश में एन रंगासामी दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़े। तीस विधायकों वाले पुदुचेरी में अपनी ऑल इंडिया कांग्रेस और भाजपा की काकटेल सरकार के मुख्यमंत्री तो बन गए। यनम विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय श्रीनिवास अशोक ने बुरी तरह पछाड़ा। पुदुचेरी में दोपहिये पर प्रचार करने वाले रंगासामी ने यनम में पदयात्रा-प्रचार किया था।

आरोपों की खेती

न हमें आपकी याददाश्त की परीक्षा लेना है और न सामान्य ज्ञान की। विधानसभा चुनाव प्रचार के किस्से याद हैं। महामारी याद है। किसान आंदोलन कितने दिन से चल रहा है? याद नहीं। जिन्हें याद रखना चाहिए, वे भी भूल गए कि तीन कृषि विधेयक रद्द कराने की किसानों की मांग की समीक्षा करने  मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने समिति बनाई थी। रपट आई। बोबड़े सेवानिवृत्त हो चुके हैं। रपट और उस पर सरकारी कार्रवाई का पता नहीं। कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर इन दिनों असम का मुख्यमंत्री तलाश करने में व्यस्त हैं। एक और रपट तैयार होनी थी। गणतंत्र दिवस की हिंसा से पहले और बाद में बार-बार आरोप लगा कि किसानों के आंदोलन के पीछे खालिस्तानी षडय़ंत्र है। बकौल पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव-जांच जारी है। अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा। आरोप लगाने वाली दिल्ली पुलिस बारात की दुलकी घोड़ी की चाल चल रही है। सच सब जानते हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री तो बखूबी वाकिफ हैं। 

वोट आयात

बंगाल के चुनाव नतीजों से कुछ लोगों का दिमाग सातवें आसमान पर है। जग जीतने वाली मुद्रा में उछलने वाले इन लोगों को पता नहीं है, कि अगले चुनाव में नतीजे बदल सकते हैं। कैसे? तैयारी शुरू हो चुकी है। राजभक्त नौकरशाह सुनील अरोड़ा मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद से मुक्त होने के पहले बुनियादी काम निबटाकर गए हैं। सुनील-सुशील की जोड़ी यानी पूर्व और वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने रपट तैयार की। रपट विदेश मंत्रालय पहुंच चुकी है। आयोग ने विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को भारत में अपने राज्यों में वोट देने का अधिकार देने की सिफारिश की है। दुनिया भर में फैले भारतीय परदेश के वर्तमान घर में बैठे भारत के भाग्य विधाता बन सकेंगे। फिलहाल कोरोना बचाव की सामग्री के आयात पर ध्यान है। आयोग की सिफारिश फुर्सत से विचार होगा। परदेश से जयकारा करना अलग बात है। एक बार फिर ट्रम्प सरकार नारों के बावजूद डोनाल्ड ट्रम्प की फजीहत देख चुके हैं। 

आ सूचना आ

अपनों पर नजर रखने के लिए दुनिया का सबसे पुराना खुफिया महकमा है-आइबी। अंगरेजी में पूरा नाम इंटेलिजेंस ब्यूरो।133 बरस पहले अंगरेजों ने हिंदुस्तान के मुक्ति आंदोलन की टोह लेने तथा स्वाधीनता  का जोश नेस्तनाबूद करने के लिए इस विभाग को बनाया। छह साल पहले छह महीने के लिए अजीत डोभाल भी यह महकमा संभाल चुके हैं। विधानसभा चुनाव की मतगणना से कुछ पहले आइबी के नाम से विजय अनुमान प्रसारित हुए। आइबी के पैड पर प्रसारित आंकलन में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 201 से 205 और भाजपा को 92 से 96 के बीच उम्मीद्वारों की जीत की संभावना जताई गई थी। लैटरहैड पर प्रतीक चिह्न उकेरा हुआ था। पूर्वानुमान सत्य के बहुत करीब रहा। ब्यूरो और साइबर सेल ने आइबी के नाम से अनुमान जारी करने की प्रवीणता हासिल करने वाली शक्ति का स्रोत जानने की कोशिश नहीं की। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद सदमे में हैं। उनसे पूछने के बजाय दिलचस्प सत्य बताए देते हैं। आईबी को हिंदी में आसूचना ब्यूरो कहते हैं।  

  (लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news