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कोरोना महामारी से बचाव के लिये जमानत या पैरोल पर छोड़े जाएंगे 7 हजार कैदी
13-May-2021 10:45 PM
कोरोना महामारी से बचाव के लिये जमानत या पैरोल पर छोड़े जाएंगे 7 हजार कैदी

   कल से शुरू होगी कार्रवाई   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर 13 मई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेलों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए एक बार फिर कैदियों को अंतरिम जमानत और पैरोल पर छोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। छत्तीसगढ़ में इस पर कार्रवाई कल शुक्रवार से शुरू हो जाएगी। इस बार रिहाई के दायरे में धारा 307 के आरोपियों को भी लिया गया है। अनुमान है कि प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंद करीब 7 हजार कैदियों को इसका लाभ मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पांच दिन पहले अपने एक फैसले में ऐसे विचाराधीन कैदी जिनकी अधिकतम सजा 7 साल संभावित है उन्हें 90 दिन तक की अंतरिम जमानत देने के लिए कहा है। इसके अलावा कुछ श्रेणी के कैदी जो इनसे अधिक लंबी सजा के चलते जेल में बंद हैं उन्हें राज्य सरकार पैरोल पर रिहा कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों से यह भी कहा है कि जिन मामलों में किसी आरोपी को सात साल से कम सजा होनी है उनको जेल भेजने के बजाय जमानत देने पर विचार किया जाये।

राज्य विधिक सहायता प्राधिकरण द्वारा सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश के परिपालन में सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा विधिक सहायता समितियों को पत्र जारी किया है। 12 मई को जारी किए गए पत्र में कैदियों की रिहाई के लिए बनाई गई हाई पावर कमिटी के गाइडलाइन का ब्यौरा देते हुए आवश्यक प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा गया है।

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा के निर्देश पर अवर सचिव द्वारा जारी इस पत्र में बताया गया है कि ऐसे कैदी जो कम से कम 15 दिन से जेल में बंद हैं और ट्रायल पर हैं और उनकी सजा 7 साल से कम है उसे रिहा किया जा सकता है। ऐसे वृद्ध जिनकी उम्र 60 से अधिक है और विचाराधीन मामलों में 3 माह से ज्यादा जेल में है और अभी अधिकतम सजा 10 साल की है उनको भी अंतरिम जमानत दी जा सकती है। इसी तरह से धारा 307 आईपीसी के अंतर्गत 6 माह से अधिक समय तक निरुद्ध विचाराधीन कैदियों को भी जिसमें पांच 7 साल से सजा कम हो उनको भी रिहा किया जा सकता है। ऐसे कैदी जिन पर 304 बी के तहत मामला दर्ज है और 6 माह से अधिक समय से जेल में हैं, यदि उनके विरुद्ध और कोई गंभीर अपराध दर्ज नहीं है तो उन्हें भी रिहा किया जा सकता है।

यह स्पष्ट किया गया है कि एसिड अटैक, रेप, भ्रष्टाचार के आरोपियों, देश विरोधी गतिविधियों, दंगे आतंक और भ्रष्टाचार के मामले में लिप्तता के मामलों में यह लाभ नहीं दिया जाएगा। पैरोल पर रिहाई के लिए सरकार की गाइडलाइन है। उस पर सरकार को कार्रवाई करनी है। पैरोल का लाभ एक साल की सजा पूरी होने के बाद किसी कैदी को दी जाती है। पिछले साल मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए आरोपियों को जमानत देने की प्रक्रिया छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शुरू की थी, जिसे बाद में निचली अदालतों ने भी लागू किया। एक अनुमान के अनुसार इस साल भी बड़ी संख्या में कैदियों को लाभ मिलेगा और इनकी संख्या 7 हजार से अधिक हो सकती है। 

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