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-जेके कर
दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर कम हो रही है. याद रहे कि इस बार की कोरोना लहर अपने साथ आतंक के साये को भी लेकर आई है. ऐसे में सवाल किया जा रहा है कि लॉकडाउन कब तक जारी रहेगा. इसका जवाब हमें खुद ही तलाशना पड़ेगा क्योंकि छत्तीसगढ़ में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या में पिछले 12 दिनों में कोई खास कमी नहीं आई है. 1 मई' 2021 को राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या 1 लाख 21 हज़ार 099 की थी जबकि 13 मई'2021 को यह 1 लाख 19 हज़ार 450 है. 1 मई को राज्य में कुल 60,863 टेस्ट हुये थे जिसमें से 15,902 कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे. वहीं 13 मई को कुल 67,738 टेस्ट किये गये जिसमें से 9,121कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं.
13 मई'2021 की रात जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुल एक्टिव केसों की संख्या 1 लाख 19 हज़ार 450 है. आज अस्पताल से 1,455 मरीज तथा होम आइसोलेशन से 10,819 मरीज डिस्चार्ज हुये हैं. इस तरह से कुल 12,274 डिस्चार्ज हुये हैं. दूसरी तरफ 9121 कोरोना के नये मामलें सामने आये हैं.
गणितीय गणना के अनुसार यदि डिस्चार्ज होने वालों की संख्या इतनी ही रहती है तो 13 मई को जितने एक्टिव केस थे उन्हें डिस्चार्ज होने में करीब दस दिन (9.73 दिन) लगने वाले हैं. साथ ही साथ 9121 या उससे कम मरीज रोज जुड़ते जायेंगे.
सरकारी दावों के अनुसार 12 मई की स्थिति में राज्य में 318 वेन्टीलेटर बेड, 852 आईसीयू बेड, 750 एचडीयू बेड, 6364 ऑक्सीजन बेड तथा 11,883 अन्य बेड उपलब्ध थे. इस तरह से सरकारी दावों को माने तो 12 मई की स्थिति में 20,167 बिस्तर उपलब्ध हैं. खुद सरकारी विज्ञ्पत्ति में कहा गया है कि 12 दिन पहले मरीजों को खाली बेड नहीं मिल पा रहे थे. जबकि सरकार द्वारा जारी विज्ञ्पत्ति के अनुसार 1 मई' 2021 को राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या 1 लाख 21 हज़ार 099 की थी. गौरतलब है कि 13 मई'2021 को यह 1 लाख 19 हज़ार 450 है. इससे माना जाना चाहिये कि अस्पताल में बिस्तरों की संख्या को पहले की तुलना में बढ़ाया गया है.
यह ठीक है कि छत्तीसगढ़ में पाजिविटी की दर घटकर 13 रह गई है. लेकिन यदि केवल इसे ही पैमाना माना जाये तो हम रणनीतिक तौर पर गलत साबित हो सकते हैं. जाहिरा तौर पर एक्टिव मरीजों का ईलाज़ करना पड़ता है तथा इनमें से कई होम आइसोलेशन में रहते हैं एवं कईयों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. फिर से खतरनाक स्थिति उत्पन्न न हो जाये इसके लिये जरूरी है कि अस्पताल में भर्ती कुल मरीजों की संख्या तथा रोज आने वाले नये कोरोना के मरीजों की संख्या पर ध्यान केन्द्रित किया जाये.
बता दें कि इन होम आइसोलेशन वाले मरीजों में से कुछ को जब 5-7 दिन बाद साइटोकाइन स्टोर्म का सामना करना पड़ता है तो उन्हें अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है या कड़े चिकित्सीय निगरानी में रहना पड़ता है. इस कारण से इन संभावित साइटोकाइन स्टोर्म से पीड़ित मरीजों के लिये स्वास्थ्य सुविधा तैय्यार रहना चाहिये. साइटोकाइन स्टोर्म में शरीर का प्रतिरोधक क्षमता ही शरीर हो नुकसान पहुंचाने लगता है जिसका ईलाज़ घर पर करना असंभव सा है. इस अवस्था में शरीर के कई अंग प्रभावित होने लगते हैं तब चिकित्सीय देखभाल की जरूरत आन पड़ती है.
इसके अलावा जब संक्रमण के कुछ दिनों के बाद फेफड़ों में संक्रमण या निमोनिया हो जाता है तब भी ऑक्सीजन एवं अन्य दवाओं की जरूरत पड़ती है. फेफड़े जब संक्रमित होकर काम करना बंद कर देते हैं तब हृदय को प्रभावित करने लगते हैं. इस कारण से कोरोना के बाद हृदयाघात के मामले भी देखे गये हैं.
उल्लेखनीय है कि कोविड19इंडिया के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में मात्र 59 लाख 41 हज़ार 724 कोरोना वैक्सीन के डोज़ लग चुके हैं तथा छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 2 करोड़ 87 लाख 24 हज़ार की है. इसी वेबसाइट के अनुसार छत्तीसगढ़ में रिकवरी रेशियो 85.3% है अर्थात् प्रत्येक कोरोना के 100 मरीजों में से 85 स्वस्थ्य हो चुके हैं तथा फैटालिटी रेशियो 1.3% है याने कोरोना के 100 मरीजों में से 1 दुर्भाग्यवश मौत के मुंह में समा गये हैं.
इन कारणों से लॉकडाउन कब तक पर सवाल नहीं करना चाहिये बल्कि जब तक स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोरोना के मरीजों का भार पड़ना कम न हो जाये तथा वे इस काबिल न हो जाये कि वे कोरोना के संभावित तीसरे झटके को झेलने लायक नहीं हो जाते हैं तब तक इंतजार करना चाहिये न कि सरकार या सरकारी अधिकारियों पर दबाव डालना चाहिये. लॉकडाउन उठाने का फैसला बगैर चिकित्सा विशेषज्ञों की राय लिये नहीं करना चाहिये अन्यथा लॉकडाउन उठाने में जल्दबाजी फिर से हमें वहां पहुंचा देगा जहां हम राज्य में कुछ दिनों पहले के कोरोना पीक के समय थे.