विचार / लेख

कलमजीवी की मौत पर अपराध का राजनीतिक विदाई समारोह
14-May-2021 6:23 PM
कलमजीवी की मौत पर अपराध  का राजनीतिक विदाई समारोह

-प्रकाश दुबे

शहाबुद्दीन के समर्थकों ने राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद के बिहार के सिवान में पुतले जलाए। खबर है कि उनका गुस्सा ठंडा करने के लिए राजद नेता तेजस्वी आजकल में सिवान पहुंचेंगे। शहाबुद्दीन ने जवाहर लाल नेहरू विवि के मेधावी अध्यक्ष चंद्रशेखर की हत्या करा दी थी। भूपतियों-जमींदारों की शह पर शहाबुद्दीन गुंडई करता था। भूमिहीनों की पक्षधरता के कारण चंद्रशेखर को जान गंवानी पड़ी। जेल और घर के बीच आवाजाही के अभ्यस्त शहाबुद्दीन के इशारे पर दूकान पर कब्जा करने पहुंचे गुंडों का चंदा बाबू के छोटे व्यापारी ने विरोध किया। उसके दो बेटों को तेजाब से नहला कर मारा गया। तीसरे भाई को गोली मारी ताकि वह गवाही न दे सके। जेल में ऐश कर रहे शहाबुद्दीन के प्यादे के कहने पर पत्रकार राजदेव रंजन ने मनपसंद खबर छापी थी। उसकी भी हत्या हुई। शहाबुद्दीन इन दिनों तिहाड़ जेल में था। चंदा बाबू के बेटों की हत्या के मुकदमे में उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी। शहाबुद्दीन के खिलाफ करीब तीन दर्जन मामले विचाराधीन हैं। कोरोना संक्रमण के कारण 20 अप्रैल को तिहाड़ जेल से ले जाकर दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसकी एक मई 2021 को मौत हुई। सिवान के सुल्तान को अपने गांव प्रतापपुर में दो गज जमीन भी न मिली। दिल्ली में ही कोरोना नियमों का पालन करते हुए दफनाया गया। बरसों बिहार के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री रहे लालू प्रसाद 19 मार्च 2018 से जेल में थे। चारा घोटाले में सीबीआई अदालत ने उन्हें एक मामले में सजा सुनाई। बाकी मामले अदालत में हैं। 29 अप्रैल को रिहाई के बाद लालू प्रसाद ने कहा-शहाबुद्दीन की मौत मेरी निजी क्षति है। जेल में रहते हुए शहाबुददीन राजद के माननीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजनीतिक लिप्तता का जिक्र कर उनके जन्नतनशीन होने की दुआ की।

शहाबुद्दीन विधायक और कई बार राजद सांसद रहा। मृतक के बारे में बुरा नहीं कहने का रिवाज़ है। सिवान में सुल्तान की सल्तनत कैसे चलती रही? पुलिस महानिदेशक ने उसके दाउद इब्राहीम और आइएसआइ के संपर्कों की रपट दी। राबिनहुड कहे जाने पर वह प्रसन्न होता। लालू प्रसाद के राज में उसका सिवान में ऐसा दबदबा था जो भारत के राष्ट्रपति डा राजेन्द्र प्रसाद को नसीब नहीं हुआ। प्रथम राष्ट्रपति सिवान के जीरादेई में पैदा हुए थे। उनकी देश भर में प्रतिमाएं  होंगी। सिवान में सुल्तान की मूर्ति उभारने की तैयारी शुरु है। नीतीश-लालू की मिली जुली सरकार में अदालत के आदेश पर शहाबुद्दीन सिवान जेल में था। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी उनसे जेल में मिलने गए। चाय नाश्ता किया। सुल्तान के पिट्टू ने पत्रकारों को मोबाइल पर तस्वीरें भेजीं। तस्वीर के साथ खबर छपने पर रुतबा जगजाहिर होता। दैनिक हिंदुस्तान में पत्रकार राजदेव की खबर छपी। दांव उल्टा पड़ा। हत्या का अपराधी ऐश कर रहा है। राजदेव को धमकाया। बुलाया। डरकर नहीं गया। एक दिन शाम को उसे सिवान में सरेआम गोली मार दी। पत्रकार की मौत ने तूल पकड़ा। भारतीय प्रेस परिषद ने दो सदस्यों की जांच समिति बनाई। समिति ने सिवान पहुंचकर पत्रकारों से बात की। करीब सौ पत्रकार पहुंचे। पुलिस और प्रशासन के लोगों को बाहर कर दिया गया। सबने राजदेव की पत्रकारिता की तारीफ की। उसके परिवार को मुआवजा देने की सिफारिश की। बार बार पूछने के बावजूद हत्यारे और असली सरगना की जानकारी देने का साहस किसी ने नहीं किया।

जांच दल ने कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक से बात की। मासूमियत भरा उनका जवाब-मंत्री के जेल दौरे की हमें सूचना नहीं थी। लताड़ पिलाने पर कहा-आप लोग इलाके से वाकिफ नहीं हैं। विधि-व्यवस्था बनाए रखने की हम भरसक कोशिश करते हैं। जांच दल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर जानकारी दी। आश्वासन मिला-कानून का मखौल नहीं उड़ाने दिया जाएगा। प्रेस परिषद की तीखी रपट आने तक कैदी शहाबुद्दीन सिवान से भागलपुर जेल रवाना किया गया। गंगाजल (इस पर फिल्म बनी है) के लिए कुख्यात भागलपुर जेल के नाम से अपराधियों की रूह कांपती है। आधी रात के बाद कड़े बंदोबस्त में कैदी का वाहन गंगा का पुल कर भागलपुर में प्रवेश करने लगा तब स्थानीय विधायक समेत समर्थकों की भीड़ अपने हीरो-राबिनहुड का स्वागत करने मौजूद थी। बमुश्किल पुलिस उसे जेल के अंदर ले गई। राजदेव रंजन की हत्या के सिलसिले में माफिया का दाहिना हाथ लड्डन मियां और पांच अन्य लोग गिरफ्तार हुए। रोहित नाम के अभियुक्त ने स्वीकार किया-मैंने गोली दागी थी। दो फरवरी 2021 को अदालत में नरेन्द्र कुमार की गवाही थी। नरेन्द्र शहाबुद्दीन का निजी सहायक था। जेल का साथी। अदालत में बातचीत का रिकार्ड मय मोबाइल नंबर पेश किया गया। नरेन्द्र मुकर गया। कहा-मुझे नहीं मालूम कि यह किसका (शहाबुद्दीन) का मोबाइल नंबर है। पुलिस पहले भी जेल में शहाबुद्दीन के मोबाइल, हथियार आदि जब्त करती रही है। नरेन्द्र 20 वां गवाह था। उससे पहले दो गवाह मुकर चुके हैं। प्रेस परिषद की जांच समिति के मेरे साथ दूसरे सदस्य अमरनाथ कोसुरी का 20 अप्रैल को कोरोना से हैदराबाद में निधन हुआ। परिषद की रपट, बिहार सरकार का कानून सब अपनी जगह है। बिहार की मिली जुली सरकार ने आतिथ्य स्वीकार करने वाले अशोक चौधरी को दलबदल के बाद विधान परिषद में मनोनीत किया है। और हां,13 मई 2016 को राजदेव की हत्या हुई थी। उसे किसी ने याद नहीं किया। सुल्तान की गाली खाने वाले नेता श्रद्धांजलि देने आतुर हैं।

 पत्रकार फिर भी कवि शैलेन्द्र का अमर गीत दोहराएंगे-मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे।

  (लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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