अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी ईंधन कोलोनियल पाइपलाइन ने साइबर अपराध से जुड़े गैंग डार्कसाइड को साइबर हमले के कारण कथित रूप से क़रीब पांच लाख डॉलर (क़रीब तीन करोड़ 66 लाख रुपये) की फिरौती दी है.
कोलोनियल पर पिछले हफ़्ते के अंत में साइबर हमला हुआ था जिसके कारण पांच दिनों तक उसकी सेवाएं बाधित हो गईं जिसका असर अमेरिका में ईंधन की आपूर्ति पर पड़ने लगा था.
सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स, ब्लूमबर्ग और वॉल स्ट्रीट जरनल ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि हैकर्स को फिरौती की रकम दी गई है.
कोलोनियल ने गुरुवार को इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है.
शुक्रवार को जापान की बड़ी कंज़्यूमर तकनीकी कंपनी तोशिबा ने कहा था कि फ्रांस में उसके यूरोपीय यूनिट में इसी साइबर अपराध से जुड़े गैंग का हमला हुआ था. हालांकि, कंपनी ने कहा कि हमले में कोई डाटा लीक नहीं हुआ है और उन्होंने इस घटना के दौरान बहुत कम मात्रा में डाटा खोया है.
ईंधन पाइपलाइन पर हमले के कारण पूरे अमेरिका में डीज़ल, पेट्रोल और जेट ईंधन की आपूर्ति प्रभावित रही. ईंधन के दाम बढ़ गए. सोमवार को सरकार ने कई राज्यों में आपातकाल की घोषणा कर दी गई.
पाइपलाइन बंद होने के छठे दिन पेट्रोल पंपों पर गाड़ियों की लाइन लगने लगी और बुधवार को अमेरिका में पेट्रोल के दाम बढ़ गए. पूरे दक्षिण पूर्वी इलाक़े में कई पंपों पर तेल ख़त्म हो गया था.
ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ अमेरिका के मुताबिक़ एक गैलन की औसत कीमत 3.008 डॉलर (करीब 220 रुपये) पर पहुंच गई जो अक्टूबर 2014 के बाद से सबसे ऊंची कीमत है.
कोलोनियल ने शुरुआत में कहा था कि वो हैकर्स को फिरौती की रकम नहीं देगी.
कंपनी ने साइबर हमले के बाद कहा था कि बुधवार शाम से कार्य संचालन फिर से शुरु हो जाएगा लेकिन सप्लाई चेन को सामान्य होने में कई दिनों का वक़्त लग सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने लोगों को गुरुवार को भरोसा दिलाया था कि इस हफ़्ते के अंत तक ईंधन की आपूर्ति सामान्य हो जाएगी.
“हमारा मक़सद पैसा कमाना है”
साइबर सुरक्षा कंपनियों ने बीबीसी को बताया कि डार्कसाइड कंपनियों के कंप्यूटर नेटवर्क में घुसपैठ करती है और संवेदनशील डाटा चुराती है.
इसके बाद हैकर्स कंपनी को बताते हैं कि उन्होंने डाटा की कॉपी बना ली है, अगर वो फिरौती की रकम नहीं देते तो डाटा इंटरनेट पर लीक कर दिया जाएगा.
डार्कसाइड इस तरह के साइबर हमले के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करता है और फिर अपने सहयोगियों को सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग देता है. इस गैंग को फिरौती की रक़म का हिस्सा दिया जाता है.
कोलोनियल पर हुए साइबर हमले को लेकर ये कयास लगाए जा रहे थे कि ये राजनीतिक मक़सद से किया गया है. इसके बाद डार्कसाइड ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, “हमारा मक़सद सिर्फ़ पैसा कमाना है ना कि समाज के लिए मुश्किलें पैदा करना.”
इस ग्रुप ने ये भी बताया कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसके सहयोगियों ने कोलोनियल पर साइबर हमला किया है.
साथ ही ग्रुप ने कहा कि भविष्य में समाज को प्रभावित करने वाले किसी कदम से बचने के लिए ग्रुप में संतुलन लाएगा और उसके सहयोगी जिस किसी भी कंपनी पर साइबर हमला करना चाहते हैं उसकी जांच करेगा.
शुक्रवार को रॉयटर्स ने ख़बर दी थी कि डार्क वेब पर डार्कसाइड की वेबसाइट नहीं चल रही थी. कोलोनियल पाइपलाइन की वेबसाइट भी ऑफ़लाइन हो गई थी.
बीबीसी के साइबर रिपोर्टर जो टाईडी का विश्लेषण
कोलोनियल पाइपलाइन का इन अपराधियों को फिरौती देना राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
इस हफ़्ते उन्होंने संघीय साइबर सुरक्षा को और मज़बूत करने वाले एक आदेश को पर हस्ताक्षर किए थे ताकि अमेरिका को भविष्य में होने वाले हमलों से ज्यादा सुरक्षित रखा जा सके.
साइबर सुरक्षा क्षेत्र के कुछ लोगों की नज़र में उनकी ये कोशिश विफल हो रही है.
बाइडन प्रशासन कंपनियों को अपने कंप्यूटर नेटवर्क को हमले से बचाने के लिए लाखों खर्च करने के लिए कैसे प्रोत्साहित कर सकता है जब उनके सामने कोलोनियल का उदाहरण है जिसने इस मुसीबत से निकलने के लिए फिरौती दे दी है.
इस ख़बर के बाद से साइबर सिक्योरिटी से जुड़े क्षेत्र में उन लोगों की संख्या बढ़ जाएगी तो फिरौती देने पर पाबंदी चाहते हैं.
लेकिन, कई बार इन हमलों के कारण कंपनियां, नौकरियां और ज़िंदगियां तक ख़तरे में पड़ जाती हैं इसलिए नीति निर्माताओं के लिए कोई भी फ़ैसला लेना मुश्किल होता है.
फिरौती पर पाबंदी के पक्ष में एक और बात जाती है कि कोलोनियल के पैसा देने के बाद भी साइबर अपराधी बहुत-बहुत धीरे कंपनी की सेवाओं में सुधार कर रहे हैं. सब कुछ सामान्य होने में बहुत वक़्त लग रहा है.
डार्कसाइड के हैकर्स इस बात का दावा नहीं करते हैं कि वो कंपनी की सेवाएं जल्द से जल्द सामान्य कर देंगे. इससे सवाल उठते हैं कि उनकी फिरौती की मांग पूरी की जानी चाहिए या नहीं. (bbc.com)