अंतरराष्ट्रीय
मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ महातिर मोहम्मद ने कहा है कि अरब-इसराइल संघर्ष का समाधान मुस्लिम देशों की संयुक्त कार्रवाई और जो फ़लस्तीनियों के हक़ों के साथ उनके संघर्ष समर्थन करते हैं, की मदद से किया जा सकता है.
महातिर मोहम्मद ने कहा कि अगर आप प्रतिशोध की भावना से लड़ रहे हैं तो इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों का समर्थन करने वालों और इस्लामिक देशों कोफ़लस्तीनियों के समर्थन में साथ आना चाहिए.
महातिर मोहम्मद ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि अरब वर्ल्ड और फ़लस्तीनी एक साथ बैठकर इसराइल को लेकर कोई ठोस रणनीति बनाएंगे. मुझे उम्मीद है कि मुस्लिम वर्ल्ड वर्तमान हालात को देखते हुए जागेगा. इसराइल का हमला मानवता के ख़िलाफ़ है. दुनिया को लगता है कि फ़लस्तीनी इसराइल को उकसा रहे हैं लेकिन आज तो सच यह है कि फ़लस्तीनी अपनी मस्जिद में नमाज़ अदा कर रहे थे और इसराइल ने इन पर हमला किया.''
96 साल के महातिर मोहम्मद ने कहा कि अल-अक्शा मस्जिद में फ़लस्तीनी नमाज़ अदा कर रहे थे और ऐसे में इसराइली सुरक्षाबलों के हमले का कोई मतलब नहीं था.
महातिर मोहम्मद ने कहा, ''नमाज़ पढ़ रहे लोग किसी के लिए ख़तरा कैसे हो सकते हैं? अरब के देशों को अपने में लड़ने के बजाय फ़लस्तीनियों के बारे में सोचना चाहिए. पूरी दुनिया देख रही है कि इसराइल मानवाधिकारों की चिंता बिल्कुल नहीं कर रहा है.’' (bbc.com)