सामान्य ज्ञान
मामल्लेन नाम से भी प्रसिद्घ नरसिंह वर्मन पल्लव वंश के महानतम राजाओं में से एक थे। जिन्होंने लगभग वर्ष 630 से 669 के बीच शासन किया। लगभग 642-43 में वातापि पर आक्रमण और विजय उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी, जो चालुक्य राजा पुलकेशिन को हराकर हासिल की गई थी। अपने शासनकाल के 13 वें वर्ष में उन्होंने सीलोन वर्तमान श्रीलंका के खिलाफ सफल नौसैनिक अभियान का नेतृत्व किया था।
नरसिंह वर्मन को आज मुख्यत: दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में पूर्वोत्तर में स्थित अद्वितीय ऐतिहासिक नगर महाबलिपुरम के, जिसे मामल्लपुर या साता पैगोडा भी कहा जाता हैं, के लिए जाना जाता है। बंगाल की खाड़ी के किनारे चेन्नई भूतपूर्व मद्रास से 60 किमी दक्षिण में स्थित इस नगर के धार्मिक केंद्र की आधारशिला सातवीं शताब्दी में हिंदु पल्लव राजा नरसिंह वर्मन ने रखी थी। जिनके नाम पर इस नगर का नामकरण हुआ। इस क्षेत्र में मिले चीन,फारस और रोम के प्राचीन सिक्कों से इसके बंदरगाह होने का प्रमाण मिलता हैं। यहां पर सातवीं और आठवीं शताब्दी के कई मंदिर और स्मारक हैं,जिनमें अर्जुन की तपस्या या गंगावतरण के नाम से जानी जाने वाली एक पाषाणशिल्प रचना,मूर्तियों से सुसज्जित गुफा मंदिर और समुद्र तट पर स्थित एक शिव मंदिर प्रमुख हैं। इस नगर के पांच रथ,या एक चट्टïान से तराशे मंदिर उन सात मंदिरों के अवशेष हैं,जिनक ी वजह से इसे सात पैगोडा वाले नगर के नाम से जाना जाता था। अब यह सैरगाह और पर्यटन केंद्र हैं।
इस नगर के संस्थापक और कलाओं के महान संरक्षक नरसिंह वर्मन की स्मृति में यहां वास्तुकला तथा मंदिर निर्माण की शिक्षा देने वाला एक महाविद्यालय है।