अंतरराष्ट्रीय
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन ज़ायद अल नाह्यान ने इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर चिंता ज़ाहिर की है. उन्होंने उन परिवारों के लिए संवेदना व्यक्त की है जिनके अपनों ने इस हिंसक संघर्ष में जान गंवा दी है.
संयुक्त अरब अमीरात ने कहा है कि तनाव को जल्द से जल्द कम किया जाना चाहिए, हिंसक कार्रवाई रोकी जानी चाहिए और इसके लिए सभी पक्षों को मिलकर हल निकालना होगा.
संयुक्त अरब अमीरात ने इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच राजनीतिक वार्ता शुरू किये जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.
संयुक्त अरब अमीरात द्वारा जारी किये गए बयान में कहा गया है कि “इस सप्ताह जो हिंसक संघर्ष देखने को मिला है, वो शांति पूर्वक ढंग से, बातचीत के ज़रिये ही हल किया जा सकता है. इसकी शुरुआत की जानी चाहिए. हम चाहते हैं कि पड़ोसी देश एक दूसरे से शांति और परस्पर सम्मान बनाये रखें. इस वक़्त दोनों पक्षों के नेताओं को चाहिए कि वो स्थिति को सामान्य करें और भड़काने वाली कोई कार्रवाई ना करें, तभी तनाव कम किया जा सकता है.”
पिछले साल अगस्त में, इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच रिश्तों को सामान्य करने को लेकर सहमति बनी थी जिसकी घोषणा अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी. यूएई ने तमाम विरोधो के बावजूद इसराइल से राजनयिक रिश्ता कामय कर लिया था. यूएई के बाद बहरीन ने भी इसराइल से औपचारिक संबंध कायम कर लिया था.
तब एक संयुक्त बयान में डोनाल्ड ट्रंप, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और अबु धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद अल नाह्यान ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि "इस ऐतिहासिक सफलता से मध्य-पूर्व में शांति बढ़ेगी."
तब ये भी कहा गया था कि इस समझौते के परिणामस्वरूप इसराइल वेस्ट बैंक के बड़े हिस्सों को मिलाने की अपनी योजना स्थगित कर देगा.
इस समझौते से पहले इसराइल का खाड़ी के अरब देशों के साथ कोई आधिकारिक राजनयिक संबंध नहीं था.
इस समझौते के बाद अमेरिका में यूएई के राजदूत यूसुफ़ अल ओतैबा ने एक बयान में कहा था कि ये कूटनीति और क्षेत्र के लिए एक जीत है. ये अरब-इसराइल रिश्तों में एक महत्वपूर्ण बढ़त है जो तनाव कम करेगी और सकारात्मक बदलाव के लिए नई ऊर्जा का निर्माण करेगी.
लेकिन मौजूदा संघर्ष के दौरान, फ़लस्तीनियों के समर्थन में इसराइल में रहने वाले अल्पसंख्यक अरब समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और इसराइल की सरकार ने इस संकट के दौरान उन्हें एक मुसीबत बताया है, साथ ही देश में आंतरिक अशांति की वजह बताया है. ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार, इसराइल में रहने वाले 400 से ज़्यादा अरब लोगों को फ़लस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शन करने के लिए गिरफ़्तार किया गया है.
जिस वक़्त इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच यह समझौता हुआ था, तब फ़लस्तीनी अधिकारियों ने इसे लेकर नाराज़गी जताई थी.
फ़लस्तीनी नेतृत्व ने उस समय एक बयान में कहा था कि इस समझौते से फ़लस्तीनियों के अधिकारों और अरब की ओर से उठाये गए संयुक्त क़दमों को नुक़सान पहुँचेगा. (bbc.com)