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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस वार्ता में आज नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि देश में कोरोना महामारी के कारण मृत्यु दर में ठहराव देखा जा रहा है जो अच्छी बात है.
संक्रमण के मामले अब कम होने लगे हैं और मामले कम होने की रफ़्तार पहली लहर के मुक़ाबले तेज़ है.
फरवरी में रोज़ाना छह लाख तक कोरोना टेस्टिंग की जा रही थी लेकिन ज़रूरत बढ़ने पर हमने इसे रोज़ाना 18 लाख तक बढ़ाया. इसी के साथ हमने कुछ दिनों में 19 लाख 80 हज़ार तक टेस्ट किए जो विश्व रिकॉर्ड है.
वैक्सीन के उत्पादन को लेकर डॉक्टर वीके पॉल ने बताया कि फिलहाल हर महीने कोवैक्सीन की डेढ़ करोड़ डोज़ का उत्पादन हो रहा है. सरकार की योजना इसे बढ़ाकर हर महीने 10 करोड़ डोज़ करने की है.
कोविशील्ड की दो डोज़ के बीच के अंतराल को बढ़ाने के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि वैक्सीन कम पड़ रही है और ये फ़ैसला दबाव में आ कर लिया गया है, लेकिन ये दुख की बात है.
ये फ़ैसला पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर किया गया है और वैज्ञानिकों के समूह की राय पर लिया गया है.
उन्होंने ब्रिटेन के फ़ैसले का ज़िक्र किया और कहा कि जिस वक़्त ब्रिटेन ने वैक्सीन के बीच के अंतर को लेकर फैसला किया था वो उस वक़्त के डेटा पर आधारित था.
ब्रिटेन के फ़ैसले के पीछे की वजह के बारे में उन्होंने बताया कि डेटा में पाया गया था कि असल ज़िंदगी में यह 60 से 65 फीसदी तक प्रभावी है और इससे संक्रमण होने से रोका जा सकता है. इसी के आधार पर अंतराल बढ़ाने के लिए फ़ैसला लिया गया है.
वैक्सीन की कमी और कोविशील्ड की दो डोज़ के बीच के अंतराल को लेकर किसी तरह के कयास न लगाए जाएं. हमें वैक्सीन को लेकर भारत की संस्थाओं की रीसर्च और कोशिशों का सम्मान करना चाहिए.
म्यूकरमायकोसिस को लेकर बताया गया कि ये अधिकतर उन्हें प्रभावित करता है जिन्हें डायबिटीज़ है. ऐसा व्यक्ति अगर कोविड संक्रमित हो जाता है तो उसे फंगल इन्फेक्शन हो सकता है जो घातक हो सकता है. ऐसे लोगों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से भी ख़तरा पैदा हो सकता है. ऐसे मेंजितना ज़रूरत हो उतना ही स्टेरॉयड इस्तेमाल करें और ज़िम्मेदारी से करें.