विचार / लेख

कभी न भुलाने वाला वह गौरव
02-Jun-2021 5:08 PM
कभी न भुलाने वाला वह गौरव

-पुष्य मित्र

मनमोहन सिंह के हाथ जोड़ लेने के पीछे वही स्वाभिमान था। जो आने वाले दिनों में बढ़ता गया। मैं मनमोहन सिंह का बहुत प्रशंसक नहीं हूं। वे भारत में विनाशकारी बाजारवाद के अगुआ रहे हैं। आज हमारा देश जिन नीतियों पर चल रहा है, उसकी शुरुआत उन्होंने ही की और इन नीतियों के जरिये हमारे देश में अमीर और अमीर हुए, गरीब और गरीब। मगर उनका दुर्भाग्य और देश का सौभाग्य था कि उनकी दस साल की सरकार पर लगातार साम्यवादी और समाजवादी नियंत्रण रहा। पहले वाम दलों का, फिर सोनिया गांधी के नेतृत्व में बने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का। इसलिए वे सब्सिडी का खात्मा, सरकारी कंपनियों की बिक्री और कारपोरेट को खुली छूट उस तरह से नहीं दे पाये, जैसा वे चाहते थे या कहें तो जैसा विश्व बैंक चाहती है।

कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो एक देश के रूप में आपको कभी न भूलने वाला गौरव देती हैं। आजादी के बाद कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्हें आज भी लोग देश के गौरव के रूप में याद करते हैं। जैसे- नेहरू का गुटनिरपेक्ष देशों के नेता के रूप में उभरना, शास्त्री जी की यह कोशिश कि वे अपने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बना लें, इंदिरा गांधी के प्रयासों से बांग्लादेश की आजादी, इसके अलावा लोग दो परमाणु परीक्षणों को भी उस कड़ी में जोड़ते हैं। मगर जब मैं आजादी के इतिहास के बाद किसी ऐसी घटना की कड़ी तलाशता हूं जो एक देश के रूप में दुनिया में भारत को प्रतिष्ठित करती हो तो मुझे 2004 दिसंबर की वह घटना याद आती है, जब सुनामी के भीषण प्रकोप के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। उस आपदा से उबरने के लिए पूरी दुनिया भारत को मदद करने के लिए तैयार खड़ी थी, मगर उन्होंने बड़ी विनम्रता से कह दिया कि हमें लगता है कि हम इस आपदा से खुद निपटने में सक्षम हैं, अगर फिर भी ऐसा लगा कि हम अपने लोगों की मदद नहीं कर पा रहे तो आपकी मदद स्वीकार कर लेंगे।

मनमोहन सिंह के इस बयान को उस वक्त काफी हैरत के साथ देखा गया था। उस वक्त लोग इस बात को स्वाभाविक मानते थे कि आपदा के वक्त में दुनिया भर के मुल्क सहायता तो करते ही हैं। 1991 में उत्तरकाशी के भूकंप और 1993 में लातूर के भूकंप के वक्त हमें खूब अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिला था। 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद हमारे ऊपर कई मुल्कों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये थे। मगर जनवरी, 2001 में जब गुजरात में भूकंप आया तो फिर कम से कम 20 मुल्कों ने हमें इस आपदा से निपटने के लिए सहयोग किया। मगर 2004 की सुनामी जो कि इन आपदाओं के मुकाबले काफी बड़ी आपदा थी, के वक्त हमारी सरकार ने दुनिया भर के आगे हाथ जोड़ लिये। कहा, एक बार हमें कोशिश कर लेने दीजिये। नहीं होगा तो मांग लेंगे। उस साल हमारी सरकार ने न सिर्फ खुद अपने लोगों को राहत और पुनर्वास उपलब्ध कराया, बल्कि श्रीलंका की भी मदद की।

इस घटना के बाद भारत जैसे मुल्क में ‘नो एड पॉलिसी’ की शुरुआत हुई। आपदाओं के वक्त सरकार हर बार विदेशी मुल्कों के सामने हाथ जोड़ती रही। फिर चाहे वह 2005 का कश्मीर का भूकंप हो, 2013 में उत्तराखंड की भीषण बाढ़ या 2014 की कश्मीर की बाढ़। हर बार हमारी सरकार ने अपने दम पर इन आपदाओं का सामना किया और अपने लोगों को राहत पहुंचायी। कश्मीर में आये भूकंप के वक्त तो भारत सरकार ने अपने इलाके में राहत चलाने के साथ-साथ पीओके के लिए भी मदद उपलब्ध कराया। गुटनिरपेक्ष आंदोलन की अगुवाई के बाद मुझे भारत सरकार का यह फैसला सबसे अधिक गौरवान्वित करता है।

इस फैसले को मैं उस घटना से जोड़ता हूं। 2001 की भूकंप के वक्त हम लोग राहत अभियान में भाग लेने के लिए गुजरात गये थे। वहां कच्छ के इलाके में राहत बांटते वक्त हमने देखा था गुजरात के पटेलों का स्वाभिमान। अमूमन हर जगह पटेलों ने हमारे आगे हाथ जोड़ लिये। हमें जरूरत नहीं, हम कैसे भी कर लेंगे। गरीबों को बांटिये। जबकि उनके घर भी ध्वस्त पड़े थे, लोगों की मौतें हुई थीं। परेशानी और अभाव उनके सामने भी था। मगर वे हाथ जोडक़र मना कर देते थे। 15 दिन तक चले उस राहत अभियान में हमने ज्यादातर भोजन पटेलों के घर किया। पारंपरिक गुजराती भोजन, मगर वे परिवार जो हमें भोजन कराते, वे भी राहत का एक दाना लेने के लिए तैयार नहीं थे।

बाद में मुझे समझ आया कि मनमोहन सिंह के हाथ जोड़ लेने के पीछे वही स्वाभिमान था। जो आने वाले दिनों में बढ़ता गया। मैं मनमोहन सिंह का बहुत प्रशंसक नहीं हूं। वे भारत में विनाशकारी बाजारवाद के अगुआ रहे हैं। आज हमारा देश जिन नीतियों पर चल रहा है, उसकी शुरुआत उन्होंने ही की और इन नीतियों के जरिये हमारे देश में अमीर और अमीर हुए, गरीब और गरीब। मगर उनका दुर्भाग्य और देश का सौभाग्य था कि उनकी दस साल की सरकार पर लगातार साम्यवादी और समाजवादी नियंत्रण रहा। पहले वाम दलों का, फिर सोनिया गांधी के नेतृत्व में बने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का। इसलिए वे सब्सिडी का खात्मा, सरकारी कंपनियों की बिक्री और कारपोरेट को खुली छूट उस तरह से नहीं दे पाये, जैसा वे चाहते थे या कहें तो जैसा विश्व बैंक चाहती है। जो मौका बाद में नरेंद्र मोदी की सरकार को मिला, क्योंकि इस सरकार पर जनसरोकारी कार्यों का कोई दबाव नहीं है। इसके वोटरों को इस बात से कोई मतलब नहीं कि देश आर्थिक रूप से बेहतर हो। तबाह हो जाये तो हो जाये, उन्हें फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने तो यह सरकार मुसलमानों को दबाकर रखने के लिए चुनी है।

तो खैर, भले मुझे मनमोहन सिंह की नीतियां पसंद नहीं हैं, मगर उनका यह फैसला मुझे अच्छा लगा। इसने मुझे गौरवान्वित किया। बाद में नरेंद्र मोदी सरकार ने इस नीति का इस्तेमाल विपक्षी दलों वाली राज्य सरकारों को दबाने में किया। 2018 में जब केरल में बाढ़ आयी तो यूएई ने राज्य सरकार को 700 करोड़ की सहायता का ऑफर किया। मगर उसे लेने से मोदी जी की सरकार ने इसलिए मना कर दिया कि हमारी अपनी पॉलिसी नो एड की है।

पर अब सरकार ने एक तरह से उस पॉलिसी को ताक पर रख दिया है। अब हर किसी की मदद का स्वागत है। यह मदद इसलिए है कि हमने सही वक्त पर अपनी तैयारी नहीं की और अपने लोगों को बचाने में विफल रहे। लिहाजा हमने स्वास्थ्य उपकरणों के साथ-साथ हर तरह की मदद को स्वीकार करना शुरू कर दिया है।

कहा जा रहा है कि भारत सरकार ने मदद नहीं मांगी है। मदद खुद आ रही है। मगर सरकारें कब मदद मांगती हैं। मदद तो खुद आती हैं। हां, आपमें वह आत्मविश्वास है तो पूरी विनम्रता से इनकार कर दीजिये। अगर नहीं है तो स्वीकार करना ही होगा। कहा जा रहा है कि मदद सरकार नहीं ले रही, रेड क्रॉस सोसाइटी ले रही है। मगर क्या यह सच नहीं कि इन मदद को स्वीकार करने के लिए रेड क्रॉस सोसाइटी को अधिकृत केंद्र सरकार ने ही किया है। इस तरह हम माने न माने मगर पिछले सोलह सालों का गौरव बोध अब खत्म हो गया है। सरकार ने नो एड पॉलिसी को बायपास करने रास्ता निकाल लिया है। हमारे हवाई अड्डे पर मदद के लिए सामान लेकर उतरा हर विमान यही कह रहा है कि भारत अब वह मुल्क नहीं जो कभी मदद का ऑफर करने वाली हर विदेशी पहल के आगे हाथ जोड़ लेता था। अभी रहने दीजिये, एक बार कोशिश कर लेने दीजिये। अब इसे वैधता देने के लिए तो भाजपा की आईटी सेल ने कई तरह के तर्क गढ़े हैं। वे ऐसा करते रहते हैं। मगर सच तो यही है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news