सामान्य ज्ञान
अरबी में लिखी गई अल- बरूनी की कृति ‘किताब-उल-हिन्द’ की भाषा सरल और स्पष्ट है। यह एक विस्तृत ग्रंथ है जो धर्म और दर्शन त्योहारों खगोल-विज्ञान कीमिया रीति-रिवाजों तथा प्रथाओं सामाजिक जीवन भार-तौल तथा मापन विधियों मूर्तिकला कानून मापतंत्र विज्ञान आदि विषयों के आधार पर अस्सी अध्यायों में विभाजित है।
अल- बरूनी ने प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया जिसमें आरंभ में एक प्रश्न होता था फिर संस्कृतवादी परंपराओं पर आधारित वर्णन और अंत में अन्य संस्कृतियों के साथ एक तुलना। आज के कुछ विद्वानों का तर्क है कि इस लगभग ज्यामितीय संरचना जो अपनी स्पष्टता तथा पूर्वानुमेयता के लिए उल्लेखनीय है का एक मुख्य कारण अल- बरूनी का गणित की ओर झुकाव था। अल- बरूनी ने लेखन में भी अरबी भाषा का प्रयोग किया था। उन्होंने संभवत: अपनी कृतियां उपमहाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए लिखी थीं।
वह संस्कृत पाली तथा प्राकृत ग्रंथों के अरबी भाषा में अनुवादों तथा रूपांतरणों से परिचित था-इनमें दंतकथाओं से लेकर खगोल-विज्ञान और चिकित्सा संबंधी कृतियां सभी शामिल थीं।
क्षुरिकोपनिषद
क्षुरिकोपनिषद, कृष्ण यजुर्वेद से सम्बन्धित उपनिषद है। इसके मंत्र तत्व-ज्ञान के प्रति बंधक घटकों को काटने में क्षुरिका (छुरी-चाक़ू) के समान समर्थ हैं। इसमें कुल पच्चीस मंत्र हैं।
यहां कहा गया है कि सबसे पहले योग-साधना के लिए स्वच्छ आसन और स्थान पर बैठकर प्राणायाम की विशेष क्रियाओं- पूरक, कुम्भ और रेचक-का अभ्यास करके शरीर के सभी मर्मस्थानों में प्राण का संचार करना चाहिए। उसके उपरान्त नीचे से ऊपर की ओर उठते हुए ब्रह्मरन्ध्र में स्थित परब्रह्म तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए।