सामान्य ज्ञान

वैनगंगा नदी
07-Jun-2021 12:35 PM
वैनगंगा नदी

वैनगंगा नदी, गोदावरी नदी की सहायक नदी है।  पश्चिमी भारत की यह एक प्रमुख नदी है।  इसका शब्दिक अर्थ है- पानी का तीर।
ऐसा प्रतीत होता है इस नाम की उत्पत्ति गंगा और वेणु या बेन से हुई थी, जो एक राजा थे और उन्होंने पौराणिक काल में दमोह पर शासन किया था। इस नदी का उद्गम दक्षिण-मध्य मध्य प्रदेश के सतपुड़ा  पठार पर सिवनी नगर क्षेत्र से लगभग 28कि.मी. दूर प्रताबपुर या मुंडारा गांव के निकट स्थित एक पहाड़ महादेव हिल्स के हुआ है। यह दक्षिण की ओर 580 किमी लंबा मार्ग तय कर महाराष्टï्र राज्य में का$गज़नगर के पूर्वोत्तर में वर्धा नदी (गोदावरी का एक प्रमुख सहायक जलस्रोत) से मिलती है।
वैनगंगा नदी महादेव पर्वत में पश्चिम से पूर्व दिशा में मुड़ती हुई तराई के चारों ओर चक्कर लगाते हुए एक चौड़ा अर्धवृत्त बनाती है। मैदानों में नदी का तलछट एक चौड़ा रेतीला विस्तार है, लेकिन जगह-दगह पर चट्टानी उभार हैं। वर्धा व पेनगंगा से मिलने के बाद और अंतत: गोदावरी से मिलने से पहले यह नदी प्रह्निïता के नाम से जानी जाती है। अपने इस अंतिम 229 किमी लंबे जलमार्ग पर यह नदी महाराष्टï्र और आंध्र प्रदेश राज्य के बीच सीमा का काम करती है।
वैनगंगा कई धाराओं से जल ग्रहण करती है, इनमें प्रमुख हैं बालाघाट में बाघ, बावनथाडि, कान्हां (कन्हन); भंडारा में छूलबंद, चंदा में गढ़वी तथा मंडला में थांवर।  यह नदी सिवनी, बालाघाट, भंडारा और चंदा जि़लों से होकर बहती है। वैनगंगा नदी घाटी वनाच्छादित है और यहां की जनसंख्या महाराष्टï्र राज्य के नागपुर शहर के आसपास उत्तरी औद्योगिक क्षेत्र को छोडकर अपेक्षाकृत विरल है। ज़्यादातर जनसंख्या नदी तट पर केंद्रित है, जहां चावल व्यापक रुप से सिंचित है। प्रमुख नदी तटीय शहरों में कांपटी, भंडारा, तुमसर, बालाघाट और पाउनी शामिल हैं।
 

प्राक्कलन समिति
1. इस समिति में लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं। इसमें राज्यसभा के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है।
2. समिति के सदस्यों का चुनाव प्रत्येक वर्ष आनुपातिक प्रतिनिधित्व  के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है।
3. इसके सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष होता है।
4. यह समिति सरकारी खर्च में कैसे कमी लाई जाए, संगठन में कैसे कुशलता लाई जाए तथा प्रशासन में कैसे सुधार किए जाएं आदि विषयों पर रिपोर्ट देती है।
5. प्राक्कलन समिति के प्रतिवेदन पर सदन में बहस नहीं होती है, परंतु यह समिति अपना कार्य वर्ष भर करती है और अपना दृष्टिïकोण सदन के समक्ष रखती है।
 

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