सामान्य ज्ञान

निकिल धातु खाने वाला पेड़
08-Jun-2021 12:08 PM
निकिल धातु खाने वाला पेड़

ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस  के वैज्ञानिकों ने निकिल   धातु खाने वाले वृक्ष का पता लगाया। यह वृक्ष फिलीपींस के लुसोन द्वीप पर चट्टानी इलाके में खाली पड़े मैदानों में पाया गया है। इस क्षेत्र की मिट्टी में भारी धातुओं की अधिकता है। इसका नाम रिनोरेया निक्कोलीफेरा  है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ फिलीपींस-लॉस बनोस के अनुसार, 1.5 से 1.8 मीटर ऊंचे रिनोरेया निक्कोलीफेरा वृक्ष का तना सामान्यत: 13 सेंटीमीटर मोटा होता है। इस पर एक सेंटीमीटर से कम मोटाई वाले फल लगते हैं और इसकी पत्तियों में निकिल की मात्रा आम तौर पर पत्तियों में पाई जाने वाली मात्रा से हजार गुना अधिक होती है।
मेलबार्न विश्वविद्यालय  के वैज्ञानिकों के अनुसार रिनोरेया निक्कोलीफेरा की तरह के पौधे मिट्टी में पाई जाने वाली धातुओं से मिट्टी की सफाई कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस पौधे को अन्यत्र उगाने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि ये पौधे दूसरे पर्यावरण और वातावरण में विकसित नहीं होते। उनका विकास रुक जाता है।

क्या है संविधान के अनुच्छेद 21 में 
संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वस्थ वातावरण में जीवन जीने के अधिकार को मान्यता दी गई है। ऐसा उस समय हुआ, जब रूरल लिटिगेसन एंड एंटाइटलमेंट केंद्र बनाम राज्य  ्रढ्ढक्र १९८८ स्ष्ट २१८७ (देहरादून खदान केस के रूप में प्रसिद्ध) केस सामने आया था।  यह भारत में अपनी तरह का पहला मामला था, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत पर्यावरण और पर्यावरण संतुलन संबंधी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में खनन (गैरकानूनी खनन ) को रोकने के निर्देश दिए थे। वहीं एमसी मेहता बनाम भारतीय संघ ्रढ्ढक्र १९८७ स्ष्ट १०८६  के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदूषण रहित वातावरण में जीवन जीने के अधिकार को भारतीय संविधान के अनु्छेद 21 के अंतर्गत जीवन जीने के मौलिक अधिकार के अंग के रूप में माना था।
बहुत अधिक शोर-शराबा भी समाज में प्रदूषण पैदा करता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद १९ (१) ड्ड व अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को बेहतर वातावरण और शांतिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है। पीए जैकब बनाम कोट्टायम पुलिस अधीक्षक ्रढ्ढक्र १९९३ द्मद्गह्म् १, के मामले में केरला उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि भारतीय संविधान में अनु्च्छेद   १९ (१) (ड्ड) के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी नागरिक को तेज आवाज में लाउड स्पीकर व अन्य शोर-शराबा करने वाले उपकरण आदि बजाने की इजाजत नहीं देता है। इस प्रकार अब शोर-शराबे, लाउड स्पीकर आदि से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को अनु्च्छेद १९ (१) (ड्ड)  के तहत नियंत्रित किया जा सकता है।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news