अंतरराष्ट्रीय
बर्लिन में राजनेताओं और विशेषज्ञों की बैठक “अफ्रीका राउंडटेबल” हुई जिसमें संबंधों को सुधारने के अलावा जलवायु परिवर्तन और महामारी की वजह से आए आर्थिक संकट को सुधारने पर भी चर्चा हुई.
डॉयचे वैलर पर क्रिस्टीना क्रिपफाल की रिपोर्ट
जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइनमायर ने बुधवार को शुरू हुए "अफ्रीका राउंडटेबल” के अपने शुरुआती उद्बोधन में जब यूरोप और अफ्रीका के बीच महान साझेदारी की बात कही तो एक तरह से उन्होंने इस बैठक के उद्देश्य को स्पष्ट कर दिया. ग्लोबल पर्स्पेक्टिव इनिशियेटिव यानी जीपीआई की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन सम्मेलन में उन्होंने कहा, "हमें, अफ्रीका और यूरोप को, बड़ी चुनौतियों से निबटने के लिए एक दूसरे के सहयोग की जरूरत है और हम इस प्रक्रिया में एक दूसरे से काफी कुछ सीख सकते हैं.”
स्टाइनमायर ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने, जलवायु परिवर्तन, प्रवासन, डिजिटलीकरण, चरमपंथ और वैश्वीकरण के मामले में आपसी सहयोग बहुत महत्वपूर्ण था. उन्होंने कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाने में पश्चिमी देशों के योगदान की जरूरत पर जोर दिया. नाइजीरिया के अर्थशास्त्री ओबी इजेवेस्ली ने कहा कि कोविड महामारी ने दुनिया को एक सीख दी है "स्वास्थ्य ही अर्थव्यवस्था है और अर्थव्यवस्था ही स्वास्थ्य है.” और बहस में शामिल सभी वक्ता उनकी इस बात पर पूरी तरह से सहमत थे.
नगोजी ओकोंजो इविएला ने फरवरी में ही इस बात की चेतावनी दे दी थी जब उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक का पदभार संभाला था. उन्होंने कहा था कि महामारी के बाद सब कुछ पहले जैसा नहीं रह पाएगा. ऑनलाइन परिचर्चा में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वो चाहती हैं कि आधारभूत चिकित्सा उत्पादों, वैक्सीन्स और कुछ अन्य ज़रूरी चीजों पर व्यापारिक व्यवधानों को खत्म किया जाना चाहिए.
अफ्रीका के लिए न्याय
सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल इस बात से सहमत थे कि महामारी के खात्मे के लिए वैश्विक स्तर पर टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण था और वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करने के लिए भी यह बहुत जरूरी है. लेकिन अफ्रीका की समस्या सिर्फ इतने से ही हल नहीं होने वाली हैं. साल का कहना था, "हमें मजबूत और नए तरीकों से अर्थव्यवस्था की तेजी के लिए काम करना होगा.”
मैकी साल का सुझाव था कि इन तरीकों में कर्ज सीमा नियमों में लचीलापन और विकासशील देशों के लिए बजट घाटे की सीमा शामिल है. अन्य सुझावों में जरूरी बुनियादी ढांचे में भारी निवेश और अफ्रीका में निवेश जोखिम को और पारदर्शी बनाने के तरीकों का आकलन करना शामिल है. कई प्रतिभागियों ने इस बात पर जोर दिया कि व्यापार निवेश के उच्च जोखिम ने इस महाद्वीप में अत्यावश्यक निवेश प्रक्रिया को बाधित किया है.
कई प्रतिभागियों का कहना था कि अफ्रीकी लोगों के लिए यह अत्यंत जरूरी है, हालांकि यूरोप और दूसरे अन्य देशों की तुलना में ये देश कोविड-19 से उतनी बुरी तरह से नहीं प्रभावित थे. परिचर्चा में शामिल लोगों ने जिस दूसरे मुद्दे पर सबसे ज्यादा चिंता जताई, वो था जलवायु परिवर्तन का स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर खतरा.
यूरोप का उत्तरदायित्व
अर्थशास्त्री इजेवेस्ली ने अफ्रीका में अर्थव्वयस्था की वृद्धि के महत्व को स्वीकार किया, खासकर अमीर देशों के साथ बराबर की साझेदारी को लेकर. लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि अफ्रीका को अपने विकास की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी. उनका कहना था कि ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि जर्मनी या फिर कोई अन्य यूरोपीय देश विकास को उड़ाकर अफ्रीका तक पहुंचा देगा.
बराबर की साझीदारी के लिए यूरोप को अपने विशेष उत्तरदायित्वों को समझना होगा. मसलन, जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में. यूरोपीय संसद में ग्रीन्स/ ईएफए समूह की प्रमुख स्का केलर ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु संकट में अफ्रीकी महाद्वीप का योगदान बहुत थोड़ा है, खासकर जब हम यूरोपियन यूनियन के देशों से तुलना करते हैं जो कि ऐतिहासिक रूप से ग्रीन हाउस कैसों का उत्सर्जन कर रहे हैं. उनके मुताबिक, "जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए यूरोपीय संघ को और मेहनत करनी होगी ताकि इस मामले में वैश्विक सहयोग को बढ़ाया जा सके.”
यूरोपीय आयोग के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट फ्रांस टिमरमैन्स का कहना था कि अफ्रीका के लिए ऊर्जा के नवीकृत स्रोतों के जरिए बड़े आर्थिक अवसर पैदा किए जा सकते हैं. उनके एक सवाल के जवाब में केलर का कहना था, "यह महत्वपूर्ण है कि हमें ऊर्जा के नवीकृत स्रोतों के साथ वह नहीं करना है जो हमने पहले ऊर्जा के खनिज स्रोतों के साथ किया जिनका उत्पादन तो बड़े स्तर पर अफ्रीकी महाद्वीप में हुआ और फिर उन्हें यूरोप भेज दिया गया.”
स्वच्छ ऊर्जा के बिना विकास नहीं
सिएरा लियोन के कृषि अर्थशास्त्री कांडे युमकेला का कहना था कि अफ्रीकी महाद्वीप के सभी लोगों के लिए स्वच्छ और पर्याप्त ऊर्जा के महत्व पर जोर नहीं दिया जा सकता. उनका कहना था, "ग्रामीण समुदाय के लोगों की आमदनी बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के एवज में लंबी अवधि का आर्थिक सहयोग देना बहुत ज़रूरी है. आप विश्वसनीय ऊर्जा के बिना गंभीर तरीके से हिफाजत नहीं कर सकते. बिना ऊर्जा के स्रोतों के आपके पास कोविड-19 से लड़ने के लिए ऑक्सीजन नहीं होगी. महिलाओं को प्रसव के दौरान जब रक्तस्राव होता है तो बिना रक्त का भंडारण किए आप मातृ मृत्युदर को कम नहीं कर सकते.”
युमकेला के मुताबिक, सिर्फ अशुद्ध ऊर्जा स्रोतों से खाना बनाने की वजह से हर साल दस लाख लोगों की जान जा रही है, जिनमें साठ फीसद महिलाएं और बच्चे हैं. वह कहती हैं, "सामाजिक सुरक्षा के लिए ऊर्जा और स्वास्थ्य दोनों का साथ होना बहुत जरूरी है.” (dw.com)