अंतरराष्ट्रीय

जी-7 की सालाना बैठकः जी भर कर किए वादे और निंदा
14-Jun-2021 12:52 PM
जी-7 की सालाना बैठकः जी भर कर किए वादे और निंदा

दुनिया के सबसे धनी देशों में से सात ने दुनिया के गरीब देशों को कोविड वैक्सीन की एक अरब खुराक देने का फैसला तो किया है, साथ ही चीन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति की गहन जांच की भी मांग की है.

  (dw.com)

इंग्लैंड में हुई एक जी-7 की सालाना बैठक में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चीन की निंदा की गई. शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों की प्रताड़ना के अलावा जी-7 में हांग कांग की स्वायत्तता और चीन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच का मुद्दा भी गर्माया रहा. जी-7 के नेताओं ने ताइवान जैसे कई ऐसे मुद्दों पर एक साझा तीखा बयान जारी किया, जो चीन के लिए काफी संवेदनशील हैं.

चीन को चेतावनी
चीन को पश्चिमी देश बड़ी चुनौती मानते हैं और पिछले दशकों में उसका एक ताकत के रूप में उभरना अमेरिका सहित बाकी धनी देशों को विचलित करता रहा है. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वन्द्वी बताया है और उसके 'आर्थिक दुर्व्यवहार' व मानवाधिकार उल्लंघनों को आड़े हाथों लेने का संकल्प लिया है.

जी-7 के बयान में भी यही बात केंद्र में रही. उन्होंने कहा, "हम अपने मूल्यों का प्रसार करेंगे. इसमें चीन को मानवाधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रताओँ की सम्मान करने के लिए कहना भी शामिल है, खासकर शिनजियांग प्रांत के संबंध में. और, हांग कांग को अधिकार, स्वतंत्रता और उच्च स्तर की स्वयत्तता देना भी जो चीन व ब्रिटेन की साझा घोषणा में तय की गई है."

साथ ही, जी-7 देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोविड-19 की चीन में उत्पत्ति की दूसरे दौर की विशेषज्ञों द्वारा पारदर्शी जांच की भी मांग की. जनवरी में हुई पहले दौर की जांच के बारे में बाइडेन ने कहा कि चीन की प्रयोगशालाओं में जाने की इजाजत नहीं दी गई थी. उन्हेंने कहा कि अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि "कोविड-19 किसी चमगादड़ के कारण फैला, या किसी प्रयोगशाला में किसी प्रयोग में हुई गड़बड़ी के कारण."

लोकतंत्र बनाम तानाशाही
हालांकि, चीन को इस आलोचना का भान था, इसलिए जी-7 का बयान आने से पहले ही उसने कहा था कि वे दिन अब बीत चुके हैं जब कुछ देशों के एक छोटे से समूह में दुनिया की किस्मत के फैसले लिए जाते थे. चीन कहता रहा है कि बड़ी शक्तियां अब भी पुराने पड़ चुकी उसी साम्राज्यवादी मानसिकता से जकड़ी हुई हैं.

उधर चीन पर निशाना साधते हुए बाइडेन ने कहा कि लोकतांत्रिक सरकारें इस वक्त एकाधिकारवादी सरकारों के साथ मुकाबले में हैं और जी-7 को एक विकल्प बनना होगा. उन्होंने कहा, "हमारा मुकाबला चल रहा है, चीन के साथ नहीं, तानाशाहों के साथ, तानाशाही सरकारों के साथ. और तेजी से बदल रही 21वीं सदी में लोकतांत्रिक सरकारें उनका मुकाबला कर पाएंगी या नहीं... जैसा कि मैंने (चीनी राष्ट्रपति) शी जिनपिंग से कहा था, मैं विवाद नहीं चाहता. जहां हम सहयोग करते हैं, करेंगे. लेकिन, जहां हम असहमत हैं, वो मैं साफ-साफ कहूंगा."

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि चीन ने हाल के सालों में दस लाख से ज्यादा लोगों को उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में शिविरों में हिरासत में डाला है. चीन इन आरोपों का खंडन करता है.

महामारी के दौर में
शिखर वार्ता के आखरी दिन जी-7 देशों ने कोरोना वायरस से लड़ने का संकल्प लिया. गरीब देशों को अगले एक साल में एक अरब वैक्सीन की खुराक देने का वादा किया गया है. साथ ही, महामारी के दौर में ओलंपिक और पैरालंपिक प्रतियोगिताएं सफलतापूर्वक कराने में भी मदद का वादा किया गया. ओलंपिक इस साल जुलाई से जापान में होने हैं लेकिन बहुत से संगठन इन खेलों का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इन्हें महामारी के लिहाज से असुरक्षित माना जा रहा है.

इस बैठक में जलवायु परिवर्तन की भी चर्चा हुई और इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा माना गया. जी-7 देशों ने 2025 तक जीवाश्म ईंधनों से सब्सिडी खत्म करने का संकल्प दोहराया और इस दशक में महासागरों और जमीन की सुरक्षा की बात कही. जी-7 ने गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सौ अरब डॉलर सालाना उपलब्ध कराने का भी वादा किया गया.

जी-7 वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट कर का समर्थन किया गया, जिस पर हाल ही में वित्त मंत्रियों की बैठक में फैसला किया गया था. महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था की मदद के लिए 12 खरब डॉलर उपलब्ध कराने की योजना पर भी चर्चा हुई.

संकल्पों की आलोचना
स्वास्थ्य और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने जी-7 के संकल्पों की आलोचना की है. ऑक्सफैम में असमानता नीति के अध्यक्ष मैक्स लॉसन ने कहा, "जी-7 के नाम पर बट्टा लग गया है. जबकि दुनिया सदी के सबसे बड़े स्वाथ्य आपातकाल से गुजर रहे हैं और जलवायु परिवर्तन हमारे ग्रह को बर्बाद कर रहा है, तब वे समय की चुनौतियों से निपटने में नाकाम रहे."

कार्यकर्ताओं का कहना है कि जी-7 देशों ने यह नहीं बताया कि 2030 तक विश्व की 30 फीसदी भूमि और जल को बचाने के लिए जो ‘प्रकृति समझौता' हुआ है, उसके लिए धन कैसे दिया जाएगा. उन्होंने गरीब देशों को को एक अरब खुराक उपलब्ध कराने के फैसले की भी यह कहते हुए आलोचना की है कि ये नाकाफी हैं क्योंकि दुनिया को 11 अरब खुराक चाहिए.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने कहा कि टीकाकरण के लिए एक ज्यादा महत्वाकांक्षी योजना न बना पाना एक "अक्षम्य नैतिक विफलता" है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news