राष्ट्रीय

म्यांमार में फिर से शुरू हुए युद्ध ने हजारों को जंगलों में धकेला
17-Jun-2021 7:12 PM
म्यांमार में फिर से शुरू हुए युद्ध ने हजारों को जंगलों में धकेला

म्यांमार में तख्तापलट के बाद आम लोगों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. महिलाओं और बच्चों को अस्थायी शिविरों में पनाह लेनी पड़ी है. इन शिविरों की हालत दयनीय है.

  (dw.com)  

जंगल में बने कुछ शिविरों में कुछ दर्जन लोग हैं, जबकि कुछ कैंपों में हजार से अधिक लोग हैं. म्यांमार की मानसूनी बारिश से बचने के लिए परिवार के सदस्य एक ही प्लास्टिक के नीच सोते हैं. इन शिविरों में महिलाओं और बच्चों की महत्वपूर्ण संख्या है. पूर्वी म्यांमार के काया राज्य में हाल की लड़ाई से जान बचाकर भागे लोगों का कहना है कि भोजन की कमी है और रोग फैलने के संकेत हैं.

इसी साल 1 फरवरी को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सेना ने सत्ता से बेदखल कर दिया था. तख्तापलट के बाद से ही सेना देश पर नियंत्रण स्थापित करने में संघर्ष कर रही है. देश के अशांत सीमांत क्षेत्रों से सैन्य चुनौतियां बढ़ रही हैं. वहां जातीय अल्पसंख्यक समूहों के पास राजनीतिक शक्तियां हैं और गुरिल्ला सेनाएं हैं. उत्तर और पूर्व में अल्पसंख्यक समूहों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया और लड़ाई तेज कर दी है.

जंगल में रह रहे 26 साल के फाउंग कहते हैं, "कुछ बच्चे दस्त से पीड़ित हैं. हमें मुश्किल से साफ पानी मिल पाता है. हम लोगों को पानी और चावल लाने का मौका नहीं मिल पाता है." उन्होंने पेड़ के सहारे तिरपाल लगाकार सोने का इंतजाम किया है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि काया में हाल में हुई हिंसा में 1,10,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

उत्तरी और पश्चिमी म्यांमार में भी नई लड़ाई के साथ अब तक लगभग 2,00,000 लोग अपने घरों से भाग गए हैं. सेना ने काया राज्य में स्थानीय विद्रोहियों की करेन्नी पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) को आतंकवादी समूह कर दिया है. पीडीएफ पिछले एक महीने से लड़ाई लड़ रही है.  पीडीएफ के साथ संघर्ष में म्यांमार सेना के कुछ सैनिकों की मौत हो गई है, जबकि सैकड़ों घायल बताए जा रहे हैं.

हालांकि समूह ने कहा कि वह समुदायों की अपील के बाद हमले रोकेगा. जंगल में शरण लिए लोग अपनी जान जोखिम में डालकर अपने घरों को वापस जाने के लिए कम इच्छुक दिखाई दे रहे हैं. काया राज्य के डेमोसो शहर के पास एक गांव के रहने वाले जॉन कैनेडाई ने बताया, "युद्धविराम की अवधि के दौरान दूर-दराज के गांवों के कुछ लोग बस्ता भरकर चावल और सामान लाने के लिए गए थे. लेकिन लोग अपने गांव में रहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं."

2020 के नवंबर में हुए चुनाव को लेकर सेना संतुष्ट नहीं थी और वह चुनाव में धोखाधड़ी का मुद्दा उठा रही थी. हालांकि म्यांमार के राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने सेना की ओर से लगाए गए चुनावों में धोखाधड़ी होने के आरोपों से इनकार किया था. तख्तापलट के बाद से सू ची के अलावा 4,500 से भी ज्यादा लोगों को हिरासत में रखा गया है. (dw.com)

एए/सीके (रॉयटर्स)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news