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वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल: विराट और विलियम्सन का सपना और संभावनाएँ
18-Jun-2021 12:40 PM
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल: विराट और विलियम्सन का सपना और संभावनाएँ

-अभिजीत श्रीवास्तव

लंबे इंतज़ार के बाद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फ़ाइनल आज से भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच इंग्लैंड के साउथैम्पटन में खेला जा रहा है. अगले पाँच (या छह) दिनों के दरम्यान ये तय होगा कि लगभग 12 करोड़ रुपए की प्राइज मनी किसकी झोली में जाएगी.

विराट और विलियम्सन की टीमें इंग्लैंड में कैसा खेलती हैं? क्या पिच तेज़ गेंदबाज़ों को मदद देगी या स्पिनरों को? क्या बारिश बनेगी विलेन? या देखने को मिलेगा रोमांचक मुक़ाबला? रिकॉर्ड्स क्या कहते हैं? वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में विराट और विलियम्सन के बीच टक्कर में किसकी टीम होगी दूसरे पर हावी? किस टीम का पलड़ा दिख रहा है भारी?

पिच
सबसे पहले बात साउथैम्पटन के पिच की, जिस पर पहले दो दिन अमूमन तेज़ गेंदबाज़ों को मदद मिलती है. इसके बाद जैसे ही यह सूखना शुरू करती है, तो भारत के घरेलू मैदानों की तरह यह स्पिन गेंदबाज़ी के माकूल बन जाती है.

हेड ग्राउंड्समैन साइमन ली ने भी कहा है कि यह पिच तेज़ गेंदबाज़ों को मदद दे सकती है.

ईएसपीएन क्रिकइन्फ़ो से बातचीत में वे कहते हैं कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फ़ाइनल एकतरफा न हो और बेहतरीन गेंदबाज़ी और शानदार बल्लेबाज़ी दोनों ही देखने को मिले.

उन्होंने कहा, "पिच पर पेस, बाउंस के साथ-साथ गेंद तेज़ी से कैरी भी करेगी. इस पिच पर खेली गई एक गेंद भी दर्शक मिस नहीं करना चाहेंगे."

साइमन ली कहते हैं, "यहाँ तेज़ गेंदबाज़ों को पेस और बाउंस से मदद मिलती है, तो सीम मूवमेंट भी काफ़ी कारगर साबित होता है. लेकिन इस मैदान पर पिच जल्द ही सूख भी जाती है. लिहाजा स्पिनर्स को भी बराबर मदद मिलेगी."

कुछ ऐसा ही पूर्व क्रिकेट दिग्गज सुनील गावस्कर भी दोहराते हैं.

वे कहते हैं, "बीते कुछ दिनों से मौसम के गरम रहने की वजह से मुझे उम्मीद है पिच तेज़ी से ख़राब होगी और इससे भारत के स्पिनरों के पास मौक़ा होगा."

क्या मौसम बनेगा विलेन?
जून के महीने में इंग्लैंड में गर्मी का मौसम होता है और अमूमन यहाँ भारी बारिश देखने को मिलती है.

साउथैम्पटन में मौसम के मिजाज के अस्थिर रहने की संभावना है. स्थानीय मौसम विभाग ने रुक-रुक कर तेज़ बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना जताई है.

ऐसे में संभव है कि बारिश फ़ाइनल के पहले दो दिन का मज़ा बिगाड़ दे. ये भी संभव है कि इस फ़ाइनल टेस्ट के दौरान बारिश कई बार ख़लल पैदा करे.

आईसीसी ने इस टेस्ट के लिए एक रिजर्व दिन रखा है. लिहाजा यह रिजर्व दिन मैच का नतीजा दिलाने में कारगर साबित हो सकता है.

कैसे तय होगा विजेता, नियमों में क्या है बदलाव?
इवेंट बड़ा है तो आईसीसी ने इसकी पूरी तैयारी की है. फ़ाइनल का नतीजा निकले इसके लिए नियमों में कुछ बदलाव भी किए गए हैं.

गेंद: भारतीय टीम अपनी घरेलू पिचों पर एसजी गेंद से खेलती है, जबकि न्यूज़ीलैंड की टीम कुकाबुरा से लेकिन फ़ाइनल उन्हें ग्रेड-1 ड्यूक्स क्रिकेट बॉल से खेलना होगा.

रिज़र्व दिनः इंग्लैंड में मौसम लगातार बदलता रहता है और संभव है कि फ़ाइनल पर भी इसका असर पड़े. तो आईसीसी ने इसके इंतजाम में टेस्ट मैच के लिए एक दिन रिजर्व रखा है. यानी अगर पाँच दिनों के दरम्यान अगर किसी दिन का खेल ख़राब जाता है या ओवर कम फेंके जाते हैं, तो रिजर्व दिन का इस्तेमाल किया जा सकेगा.

ड्रॉ या टाईः अगर मैच ड्रॉ या टाई रहा तो भारत- न्यूज़ीलैंड संयुक्त विजेता घोषित किए जाएंगे.

प्लेइंग टाइमः हाँ अगर पाँच दिन के दरम्यान 60 मिनट से कम प्लेइंग टाइम का नुकसान होता है तो इसे पाँचवे दिन खेल का समय बढ़ा कर पूरा कर लिया जाएगा. छठे दिन का खेल होगा या नहीं इसकी घोषणा पाँचवे दिन के आख़िरी घंटे से पहले की जाएगी.

शॉर्ट रनः नियमों के मुताबिक़ मैच के दौरान अगर कोई किसी बल्लेबाज़ ने शॉर्ट रन लिया या किसी शॉर्ट रन पर आपत्ति होती है, तो ऐसे में ग्राउंड अंपायर, थर्ड अंपायर की मदद ले सकते हैं. शॉर्ट रन पर अगर बैटिंग या फील्डिंग कप्तान कोई रिव्यू लेता है, तो उसके पास पहले ग्राउंड अंपायर से पूछने का मौक़ा होगा कि क्या बल्लेबाज ने शॉर्ट रन लेने का प्रयास किया है.

साउथैम्पटन में भारतीय टीम
टेस्ट चैम्पियनशिप का फ़ाइनल पहले लॉर्ड्स में खेला जाना था, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए इसे साउथैम्पटन शिफ़्ट कर दिया गया. यह इंग्लैंड के उन स्टेडियमों में है, जहाँ 10 से भी कम टेस्ट खेले गए हैं.

महज 6 टेस्ट मैचों को आयोजित करने वाले इस मैदान पर दो टेस्ट पहले बैटिंग करने वाली टीम, तो एक टेस्ट पहले फील्डिंग करने वाली टीम जीती है. बाक़ी तीन मैच ड्रॉ रहे हैं. भारतीय टीम ने यहाँ दो मैच खेले हैं, दोनों ही इंग्लैंड के ख़िलाफ़ और दोनों में ही भारत की हार हुई है.

साउथैम्पटन में टेस्ट के नतीजे
वर्ल्ड चैंपियनशिप का यह फ़ाइनल पहले लंदन के लॉर्ड्स में आयोजित होने वाला था, लेकिन इसका वेन्यू बदल कर क़रीब 80 किलोमीटर दूर साउथैम्पटन के रोज बाउल स्टेडियम कर दिया गया.

इंग्लैंड में टेस्ट मैच कुल 10 स्टेडियमों में आयोजित किया जाता है और रोज बाउल उन चार स्टेडियमों में से है, जहाँ अब तक खेले गए मैचों की गिनती दहाई के आँकड़े को भी नहीं छू सकी है.

जहाँ लॉर्ड्स में 140 टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं, वहीं रोज बाउल में अब तक कुल छह टेस्ट ही खेले गए हैं.

सभी छह मैच कोई न कोई विदेशी टीम इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ही खेली है. पहली बार है कि जब कोई दो विदेशी टीमें यहाँ आपस में टेस्ट खेल रही हैं.

इन छह मैचों में दो बार इंग्लैंड जीता है, तो एक बार उसे हार का सामना करना पड़ा है. केवल एक विदेशी टीम को यहाँ जीतने का सौभाग्य प्राप्त है. वेस्टइंडीज़ ने बीते वर्ष विजडन ट्रॉफी का पहला टेस्ट जुलाई में इंग्लैंड से चार विकेट से जीता था.

जिन दो टेस्ट मैचों में इंग्लैंड को जीत मिली है, उसमें उसने भारतीय टीम को हराया था.

अगर बात इस मैदान पर सबसे कम स्कोर बनाने वाली टीम का करें, तो वो रिकॉर्ड भी भारत के नाम ही दर्ज है.

कौन है सबसे सफल भारतीय क्रिकेटर?
भारतीय एकादश के कुछ क्रिकेटरों को इस पिच पर खेलने का अनुभव है. विराट कोहली ने यहाँ दो टेस्ट खेले हैं और 42.75 की औसत से 171 रन बनाए हैं. रहाणे ने भी दो मैच खेले हैं और 56.00 की औसत से 168 रन बनाए हैं.

वहीं चेतेश्वर पुजारा ने तो इस मैदान पर 2018 में 132 रनों की नाबाद पारी खेली थी. वे इस पिच पर शतक लगाने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं. पुजारा ने भी दो टेस्ट खेले हैं और उन्होंने 54.33 की औसत से 163 रन बनाए हैं.

बात अगर गेंदबाज़ी की करें, तो मोहम्मद शमी इस मैदान पर सात विकेट लेकर सबसे सफल भारतीय गेंदबाज़ हैं. उनके बाद रवींद्र जडेजा ने पाँच विकेट लिए हैं तो जसप्रीत बुमराह और ईशांत शर्मा ने चार-चार विकेट लिए हैं.

न्यूज़ीलैड के कौन खिलाड़ी सबसे दमदार?
न्यूज़ीलैंड के लिए इंग्लैंड का यह मैदान टेस्ट मैचों के मामले में नया है. ब्लैक कैप्स की टीम पहली बार यहाँ टेस्ट मैच में उतरेगी. लेकिन ऐसा नहीं है कि वो इस ग्राउंड से अनजान हैं. उन्हें यहाँ तीन वनडे मैचों में दो जीतने का अनुभव है.

भले ही न्यूज़ीलैंड के लिए इस मैदान पर ये पहला टेस्ट मैच है. न्यूज़ीलैंड की टीम इस बार भी गेंदबाज़ी स्क्वॉड के साथ मैदान में होगी.

तो बल्लेबाज़ी में कप्तान केन विलियम्सन और मध्यक्रम में रॉस टेलर समेत टॉम लैथम, टॉम ब्लंडल जैसे ओपनर मौजूद हैं. हाल के दिनों में इन दोनों ने टीम को अच्छी शुरुआत दी है.

इसके बाद खुद कप्तान केन विलियम्सन आते हैं, जो फ़िलहाल टेस्ट की रैंकिंग में नंबर-1 पर विराजमान हैं. न्यूज़ीलैंड का मिडिल ऑर्डर टीम इंडिया की तरह ही मज़बूत है. दिग्गज रॉस टेलर के अलावा हेनरी निकोल्स, बीजे वॉटलिंग इस टीम के मज़बूत स्तंभ हैं.

टीम इंडिया को जिस एक कीवी क्रिकेटर पर विशेष ध्यान रखना होगा, वो हैं ख़ब्बू बल्लेबाज़ डेवोन कॉनवे जिन्होंने अपने करियर के पहले ही टेस्ट में दोहरा शतक बनाया और दूसरे टेस्ट में भी 80 रनों की अहम पारी खेली. यह उनका तीसरा टेस्ट मैच है.

टीम इंडिया को न्यूज़ीलैंड से सबसे बड़ी चुनौती उसके बॉलिंग डिपार्टमेंट से मिलेगी. क्योंकि इंग्लैंड की कंडीशन न्यूज़ीलैंड के लिए ज़्यादा आरामदायक है, जैसा कि मेजबान टीम के साथ दो टेस्ट की सिरीज़ के दौरान देखने को भी मिला.

न्यूज़ीलैंड के पास ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी, नील वैगनर, काइल जैमिसन जैसे तेज़ गेंदबाज़ हैं, तो वहीं मिशेल सैंटनर जैसा स्पिनर भी है. ट्रेंट बोल्ट और टिम साउदी का भारत के ख़िलाफ़ शानदार रिकॉर्ड भी रहा है, तो जैमिसन ने हाल के दिनों में काफ़ी शानदार प्रदर्शन किया है.

इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दो टेस्ट खेल कर न्यूज़ीलैंड की टीम यहाँ के मौसम में ढल गई है और जिस तरह से इसने घरेलू टीम को घुटने टेकने पर मजबूर किया है.

भारत vs न्यूज़ीलैंडः टेस्ट में किसका पलड़ा भारी?
बात अगर दोनों टीमों के बीच टेस्ट मैचों की करें, तो ये 1955 से लेकर अब तक कुल 59 बार टेस्ट मुक़ाबले में भिड़ी हैं. भारत ने कुल 21 टेस्ट मैच में जीत हासिल की है, जबकि न्यूज़ीलैंड 12 मैच में जीत पाया है. शेष 26 टेस्ट ड्रॉ रहे हैं.

जहाँ न्यूज़ीलैंड की धरती पर भारत को पाँच जीत हासिल हुई. वहीं भारत में खेलते हुए न्यूज़ीलैंड दो टेस्ट जीत सका है. यानी रिकॉर्ड के मुताबिक़ पलड़ा भारतीय टीम का ही भारी रहा है.

अपनी घरेलू पिच पर दोनों ही टीमें बेहतरीन रिकॉर्ड रखती हैं और मेज़बान की पिचों पर मैच जीतना मेहमान टीम के लिए आसान नहीं रहा है. 2010 से अब तक न्यूज़ीलैंड में खेले गए सिरीज़ में भारत की हार हुई है तो भारतीय पिचों पर ब्लैक कैप्स की.

अपनी घरेलू पिचों पर दोनों ही टीमें शेर हैं. लेकिन ये पहली बार न्यूट्रल वेन्यू पर आपस में भिड़ रही हैं. और सबसे अहम बात कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल तक के सफ़र में न्यूज़ीलैंड जहाँ बिना कोई सिरीज़ हारे पहुँची है वहीं भारतीय टीम को न्यूज़ीलैंड के हाथों ही 0-2 से हार का सामना करना पड़ा था.

भारतीय टीम ने 1971 में एक और 1986 में दो टेस्ट जीत कर सिरीज़ अपने नाम की तो 2002 में लॉर्ड्स टेस्ट हारने के बाद हेडिंग्ले में पारी के अंतर से इंग्लैंड को हराकर सिरीज़ ड्रॉ किया था. 2007 में तीन टेस्ट मैचों की सिरीज़ 1-0 से जीती. वहीं 2014 और 2018 में एक एक टेस्ट जीतने के बाद भी उसे सिरीज़ में हार का सामना करना पड़ा था.

ख़ास बात ये है कि जो सात जीत भारतीय टीम को इंग्लैंड में मिली हैं उनमें से चार बीते 10 सालों के दौरान हासिल हुई हैं.

बात अगर न्यूज़ीलैंड की करें तो उसने इंग्लैंड की सरजमीं पर 56 टेस्ट मैच खेले हैं. इनमें 30 मैचों में इंग्लैंड तो 6 टेस्ट में न्यूज़ीलैंड की जीत हुई है. यहाँ सबसे अहम बात यह है कि इसी महीने एजबेस्टन टेस्ट में इंग्लैंड को हरा कर सिरीज़ अपने नाम करने वाली न्यूज़ीलैंड की टीम का मनोबल काफ़ी ऊँचा है.

भारत को इंग्लैंड में इस साल अगस्त-सितंबर के महीने में पाँच टेस्ट मैचों की सिरीज़ खेलनी है. निश्चित ही वो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीत कर और रैकिंग में नंबर एक टीम बन कर ही इंग्लैंड के ख़िलाफ़ मैदान में उतरना चाहेगा.

वहीं न्यूज़ीलैंड की टीम नंबर-1 की रैंकिंग को बरकरार रखना चाहेगी. हालांकि भारत को जहाँ यह मुकाम हासिल करने के लिए इस फ़ाइनल को जीतना ही होगा वहीं न्यूज़ीलैंड की टीम मैच ड्रॉ रहने की स्थिति में भी पहले पायदान पर बनी रहेगी.

कौन किस पर है भारी?
इंग्लैंड को हरा कर न्यूज़ीलैंड की टीम का मनोबल काफ़ी ऊंचा है. इंग्लैंड में गेंदबाज़ी करना न्यूज़ीलैंड की टीम के लिए कमोबेश उनके घरेलू कंडीशंस के समान ही होता है. ऐसे में अगर मौसम उनके अनुकूल रहा तो पलड़ा निश्चित ही उनका भारी हो सकता है लेकिन पिच जैसे ही सूखने लगेगी तो भारतीय स्पिनर हावी हो सकते हैं.

न्यूज़ीलैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज रिर्चड हैडली कहते हैं, "दोनों देशों के बीच मौसम की भी अपनी भूमिका होगी. अगर ठंड अधिक होगी तो पलड़ा न्यूज़ीलैंड के पक्ष में भारी होगा. ऐसी परिस्थिति में ड्यूक्स गेंदें वैसे तो दोनों टीमों के स्विंग गेंदबाज़ों के पक्ष में काम करेगी और न्यूज़ीलैंड के पास टिम साउदी, बोल्ट और जैमीसन जैसे बेहतरीन स्विंग गेंदबाज़ हैं. ऐसे में ऑफ़ स्टंप से बाहर जाती गेंद दोनों टीमों के बल्लेबाज़ों के लिए चुनौती होगी."

"दोनों ही टीमों में बेहतरीन और उच्चकोटि के बल्लेबाज़ हैं लिहाजा ये मुक़ाबला दिलचस्प होगा. कौन जीतेगा ये कहना मुश्किल है. तो जो टीम इंग्लैंड के प्लेइंग कंडीशन में तेज़ी से सबसे अनुकूल तरीक़े से तैयार होगी उसका पलड़ा भारी होगा."

तो इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर फिल टफनेल का मानना है कि पलड़ा भारतीय टीम का भारी हो सकता है क्योंकि उसके पास रविचंद्रन अश्विन जैसे स्पिनर हैं. साथ ही वे कहते हैं कि भारतीय बल्लेबाज़ी भी न्यूज़ीलैंड से कुछ बेहतर है. (bbc.com)

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