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ईस्टर आइलैंड
19-Jun-2021 12:20 PM
ईस्टर आइलैंड

दक्षिण अमेरिकी देश चिली से 2500 मील दूर स्थित द्वीप ईस्टर आईलैंड है। पिट केरियन द्वीप के पास स्थित ईस्टर आइसलैंड अपनी विचित्रता और डरावने स्थल के लिए दुनियाभर में मशहूर है। ईस्टर द्वीप दुनिया की सबसे रहस्यमय जगहों में से एक है। प्रशांत महाद्वीप में सुदूर स्थित ईस्टर द्वीप पर प्राचीनतम विशाल शिलाओं के मानव सिरों वाली प्रतिमाएं अब तक सारी दुनिया के लिए आश्चर्य से भरपूर हैं। यह दुनिया में मुख्य भूमि से सबसे दूर स्थित इंसानी आबादी वाला द्वीप है। ईस्टर आइलैंड दक्षिणी प्रशांत महासागर में 64 वर्ग मील क्षेत्र में फैला हुआ है।  

 ईस्टर आइसलैंड का स्पेनिश नाम इसला डी पैसकुआ है। स्थानीय भाषा में रापा नुई कहलाने वाले इस द्वीप पर एक ही पत्थर से तराशी हुई विशालकाय इंसानी मूर्तियां जगह-जगह बिखरी हुई है, जिन्हे मोआई कहा जाता है। इनमें से सबसे बड़ी मूर्ति 33 फिट ऊंची और लगभग 75 टन भारी है। यहां पर एक अधूरी मूर्ति भी दिखाई देती है जो अगर पूरी हो जाती तो 69 फिट ऊंची और लगभग 270 टन भार की होती। यह मूर्तियां लगभग 1200 साल पुरानी मानी जाती है और यूनेस्को ने इस स्थान को विश्व विरासत की सूची में रखा है। यहां पर जुलाई और अगस्त के महीनों में तापमान कम होने पर सबसे अधिक पर्यटक देखे जा सकते है।

 मुख्य प्रशांत महासागर से 1500 मील दूर समुद्री चट्टानों के बीच छिपे इस द्वीप पर कभी प्राचीन पॉलीनेजिया सभ्यता के लोग रहते थे। सात अजूबे वाले इस निर्जन द्वीप पर 7 मीटर ऊंची विशाल मानव आकृतियों के लिए ये तक कहा जाता रहा है कि इनका निर्माण किसी प्राचीन मानव सभ्यता के लिए असंभव लगता है।

 यह मूर्तियां किसने और क्यों बनाई, के सवाल को लेकर दुनियाभर में विभिन्न विश्वास है। कुछ लोगों का कहना है कि इन्हे दूसरे ग्रह से आए जीवधारियों ने तैयार किया था, तो वहीं कुछ का विश्वास है कि इन्हें इस द्वीप पर बस गये दक्षिण अमेरिकी आदिवासियों ने अपने मृत पुरखों की याद में गढ़ा था। यह सिद्धांत अब कुछ ज्यादा ही स्पष्ट हो रहा है। दरअसल हाल ही में इस द्वीप में शोध के लिए पहुंचे ब्रिटिश पुरातत्वविदों के एक दल ने इसका सूत्र तलाश लिया है। 
शोधकर्ताओं का कहना है कि निश्चित रूप से यह मूर्तियां आदिवासियों के अनुष्ठान का अंग थीं। ज्वालामुखी में मिली छोटी सी कुल्हाड़ी की बढिय़ा स्थिति यह साफ़ करती है कि संभवत: यह ज्वालामुखी को आदिवासियों की ओर से चढ़ाई गई भेंट थी क्योंकि इसने उन्हें पुकाओ बनाने के लिए पत्थर उपलब्ध कराए।

अब एक हजार से अधिक प्रतिमाओं की खुदाई में पता चला है कि इन प्रतिमाओं का सिर्फ सिर ही नहीं जमीन के नीचे कई फीट की गहराई तक इनका पूरा धड़ भी बना हुआ है। इस्टर आइलैंड स्टैच्यू प्रोजेक्ट के तहत इन रहस्मयीय चट्टानों के निचले सिरे ढूंढने के लिए प्रतिमाओं वाले स्थान की खुदाई की गई। इसमें पाया गया कि कई फिट गहरे तक इन प्रतिमाओं का पूरा धड़ बना हुआ है। इसके गर्भ में जाने के लिए चौड़ी सीढिय़ां भी बनी हुई हैं। रापा नुई तकनीक से इस प्राचीन स्थल की खुदाई की गई। इन प्रतिमाओं के नीचे कई गुप्त तहखाने भी हैं जहां प्राचीनकाल में कुछ रस्में निभाई जाती रही होंगी। इन प्रतिमाओं के जमीन के नीचे के हिस्से में लाल रंग के पेंट के निशान भी मिले हैं। इन पर कुछ ख़ास किस्म के निशान बनाए गए हैं जैसे कुछ लोगों ने इस पर अपनी पहचान अंकित कर रखी हो। इस निशान को विज्ञानियों की भाषा में वाका कहते हैं। 

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