अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका चाहता है पाकिस्तान का साथ
20-Jun-2021 2:53 PM
अमेरिका चाहता है पाकिस्तान का साथ

 

अमेरिका सितंबर के बाद की स्थिति के लिए पाकिस्तान समेत कई दूसरे देशों से बात कर रहा है.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी इंडो-पैसिफ़िक अफ़ेयर्स के सहायक सचिव डेविड एफ़ हॉलवे ने कुछ दिनों पहले अमेरिकी सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति को बताया था कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटने के बाद भी अमेरिका पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा, क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल करने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका है.

कुछ दिनों पहले न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार में भी एक ख़बर छपी थी कि सैन्य अड्डे के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान में गतिरोध पैदा हो गया है.

इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि पाकिस्तान से हर स्तर पर बात हो रही है ताकि अमेरिकी सेना के हटने के बाद इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि अफ़ग़ानिस्तान दोबारा कभी भी अल-क़ायदा, आईएसआईएस या किसी और चरमपंथी संगठन का बेस ना बन सके जहां ये ये संगठन अमेरिका पर हमला कर सकें.

इन ख़बरों के सामने आने के बाद, पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया ने यह दावा किया था कि बलूचिस्तान के नसीराबाद ज़िले में बनाया जाने वाला एयर बेस वास्तव में अमेरिकी सेना के अनुरोध पर बनाया जा रहा है और एयर बेस का उपयोग अमेरिका ही करेगा.

इसके जवाब में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमदू क़ुरैशी ने कहा था कि पाकिस्तानी सैनिक अड्डे को अमेरिका को इस्तेमाल करने की इजाज़त देने की कभी बात हुई ही नहीं थी, इसलिए इसमें गतिरोध पैदा होने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

अब उसी बात को इमरान ख़ान ने दोहराया है कि पाकिस्तान किसी भी हालत में अमेरिका को अपने सैन्य अड्डे इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं देगा.

'मोदी ने घुटने टेक दिए'

भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत प्रशासित कश्मीर के 14 नेताओं को कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करने के लिए दिल्ली आने की दावत दी है.

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती समेत कई नेताओं ने दावत मिलने की पुष्टि की है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यह बैठक 24 जून को दिल्ली में होने वाली है.

अख़बार एक्सप्रेस ने इस ख़बर को भारत की हार क़रार देते हुए लिखा है कि 'नरेंद्र मोदी ने घुटने टेक दिए हैं और कश्मीर की सभी पार्टियों की बैठक बुलाने का फ़ैसला किया है.'

अख़बार लिखता है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरियों के ठोस इरादे और दृढ़ निश्चय के आगे घुटने टेक दिए और विशेष राज्य की बहाली समेत दूसरी समस्याओं के हल के लिए कश्मीर की सभी पार्टियों के साथ बैठक करने का फ़ैसला किया है."

अख़बार के अनुसार, 'केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की लोकप्रियता तेज़ी से गिरती जा रही है और पाँच अगस्त 2019 को कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने के फ़ैसले में आगे-आगे रहने वाले अमित शाह अब भारत प्रशासित कश्मीर के बदलते हालात पर सिर जोड़ कर बैठ गए हैं. इस सिलसिले में गृहमंत्री ने कश्मीर के उप-राज्यपाल और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लंबी बैठक की है.'

अख़बार का यह भी कहना है कि 24 को होने वाली बैठक में कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 की बहाली के बारे में कोई बात नहीं होगी और मोदी सरकार सिर्फ़ राज्य में चुनावी प्रक्रिया शुरू करने के बारे में बातचीत करेगी.

भारत ने पाँच अगस्त, 2019 को कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था और उसे राज्य की जगह पर दो केंद्र प्रशासित राज्यों में तब्दील कर दिया था. (bbc.com)

 

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