संपादकीय
उत्तर प्रदेश में अगले बरस होने जा रहे विधानसभा चुनाव के पहले एक बार फिर राज्य में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण बहुत रफ्तार से शुरू हुआ है। राज्य सरकार ने अभी ऐसे मामले पकडऩे का दावा किया है जिनमें सैकड़ों हिंदुओं को मुसलमान बनाने की बात कही गई है। पुलिस के रोजाना आते हुए बयान यह बताते हैं कि ऐसे धर्मांतरण के लिए लोगों को बाहर से पैसा भी मिला है। इससे परे देश की कुछ जगहों पर इक्का-दुक्का ऐसी शादियां भी हो रही हैं जिन्हें लव जिहाद कहा जा रहा है। आमतौर पर यह भाषा उन शादियों के लिए इस्तेमाल हो रही है जहां एक हिंदू लडक़ी एक मुस्लिम लडक़े से शादी करती है। ऐसे में इतवार को दिल्ली से लगे हुए हरियाणा के गुडग़ांव में एक महापंचायत हुई जिसमें हिंदू समाज के बहुत से लोगों ने बड़े हमलावर भाषण दिए और मुस्लिमों के खिलाफ कई किस्म की बातें कही गई। इनमें से एक तो राज्य भाजपा का एक प्रवक्ता है जो कि करणी सेना का भी प्रमुख है, सूरजपाल अमू नाम के इस नेता ने मंच और माइक से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक बार फिर भडक़ाऊ भाषण दिया। कुछ समय पहले भी यह आदमी किसी और जगह पर इस किस्म का भडक़ाऊ भाषण दे चुका है। यहां पर इसने कहा कि लोग ‘इन लोगों’ के खिलाफ एक प्रस्ताव पास करें ताकि उन्हें देश से बाहर फेंक दिया जाए और सभी समस्याएं अपने आप समाप्त हो जाएं। इस भाजपा प्रवक्ता ने नौजवानों के लिए फतवा दिया कि उन सभी बगीचों से उन सारे पत्थरों को उखाड़ फेंकें जहां पर एक खास समुदाय के लोगों के नाम लिखे हैं। उसने एक गांव के लोगों की तारीफ की जिन्होंने अपने गांव में एक भी मस्जिद नहीं बनने दी और उसने भीड़ से अपील की कि ऐसी इमारत की बुनियाद को खोदकर फेंक दो। उसने कहा कि इतना काफी नहीं है कि इन लोगों को घर किराए पर ना दिया जाए बल्कि इनको देश है उसे बाहर फेंकने का प्रस्ताव अपनाना चाहिए।
पुलिस से जैसी की उम्मीद की जाती है उसने ऐसी कोई बात नहीं सुनी, उसके पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है, उसने किसी भी शिकायत मिलने से इनकार किया है और कहा है कि कोई शिकायत मिलेगी तो वह जांच करेगी। जहां मीडिया के लोगों को, इलाके के बच्चे-बच्चे को ऐसे वीडियो मिल गए हैं, हजारों लोगों ने ऐसी भडक़ाऊ बातें सुनी हैं, वहां पर पुलिस ऐसा मासूम चेहरा बना लेती है कि यह किस बारे में बात की जा रही है। दूसरी तरफ इसी महापंचायत में एक ऐसा नौजवान पहुंचा जिस पर पिछले बरस दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चलाने और उन्हें राष्ट्रवादी धमकी देने का जुर्म दर्ज हुआ था, लेकिन उसके नाबालिग होने से उसे महज सुधारगृह भेज दिया गया था, जहां से कुछ महीनों में वह निकलकर बाहर आ गया था। उसने भी इस महापंचायत में पहुंचकर मंच और माइक से भारी भडक़ाऊ बातें कहीं, और मुसलमानों पर हमला करने का आव्हान किया यह भी कहा कि जब उन पर हमला किया जाएगा तो मुसलमान राम-राम चिल्लाएंगे। उसने यह भी कहा कि अगर मुस्लिम हिंदू लड़कियों को ले जाते हैं, तो उसके जवाब में मुस्लिम महिलाओं को अगवा किया जाए। और यह तो जाहिर है ही कि राजधानी से लगे हुए गुडग़ांव की पुलिस ने इस भाषण को भी नहीं सुना है जबकि इसका वीडियो चारों तरफ घूम रहा है।
कोई अगर यह सोचे कि यह सब कुछ अनायास हो रहा है तो ऐसी बात नहीं है। उत्तर प्रदेश से लगे हुए हरियाणा के इस हिस्से का भी दिल्ली के राजधानी क्षेत्र से वैसा ही गहरा संबंध है, और यहां से निकली हुई बात देश की राजधानी से उठी हुई बात ही मानी जाती है। ऐसे में एक तरफ असम में आबादी नियंत्रित करने के लिए बच्चों की सीमा तय करने की बात की जा रही है, उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मामले पकडऩे का दावा करते हुए लोगों की गिरफ्तारियां हो रही है, उधर कश्मीर में 2 सिख लड़कियों के मुस्लिम लडक़ों से शादी करने के खिलाफ वहां सिख समुदाय आज उबला हुआ है। इसके साथ साथ जब यह देखें कि किस तरह हैदराबाद में केंद्रित मुस्लिम राजनीति करने वाले ओवैसी लखनऊ जाकर अभी से चुनावी ताल ठोकने लगे हैं, तो यह समझ पड़ता है कि इस पूरी तैयारी का मकसद क्या है। हाल के वर्षों में असदुद्दीन ओवैसी ने अलग-अलग प्रदेशों में जाकर बिना किसी जमीन के जब मुस्लिम वोटरों के बीच अपने उम्मीदवार खड़े किए, तो उन्होंने मानो भाजपा की जीत के लिए ओवैसी शामियाना वाले जैसा काम किया। भाजपा की चुनावी सभाओं के पहले हरे रंग का एक ऐसा शामियाना बांधा कि जिसे देख-देखकर भाजपा के लिए भीड़ अधिक जुटती रहे। कुछ वैसा ही अभी यह महापंचायत कर रही हैं और जिस जुबान में वहां पर मुसलमानों के बारे में बातें हो रही हैं क्या वहां की पुलिस को इसकी कोई उम्मीद नहीं थी और क्या पुलिस ने वहां रिकॉर्डिंग का इंतजाम नहीं रखा था और क्या राज्य सरकार का किसी कार्यवाही का जिम्मा नहीं बनता है ? ऐसे बहुत से सवाल उठ खड़े होते हैं और लोगों को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इसी मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर जिस तरह हिंदू और मुस्लिम का डीएनए एक ही होने जैसी बहुत सी बातें कहीं हैं, और जिस तरह से कुछ बातें मुसलमानों को हिंदू साबित करने वाली कहीं हैं, और कुछ बातें मुसलमानों को हिंदुस्तानी बने रहने के हक की हैं, उन सबसे भी तरह-तरह के मिले-जुले संकेत उठते हैं और एक भ्रम फैलने के अलावा और कुछ नहीं हो रहा है।
भाजपा की सरकारों वाले हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जिस तरह की खबरें उठ रही हैं, वहां संघर्ष से लेकर ओवैसी तक की जिस तरह की तैयारियां दिख रही हैं, जिस तरह से चुनाव के महीनों पहले से योगी और ओवैसी एक दूसरे के सामने मोर्चा संभालने के अंदाज में बयान देते दिख रहे हैं, वह सब कुछ ऐसा लगता है कि मानो किसी एक बड़ी चित्र पहेली के अलग-अलग टुकड़े हैं जिन्हें जोडक़र देखा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटों का नक्शा उस राज्य के नक्शे पर कैसा दिखता है। जिन लोगों को यह लगता है कि भडक़ाऊ बयान की राज्य सरकार को फिक्र भी नहीं करना चाहिए, वे लोग देश पर मंडराते हुए इस खतरे को नहीं देख रहे हैं जिसमें एक धार्मिक ध्रुवीकरण को सोच समझ कर लाया जा रहा है। जिस दिन हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक चुनावों के नाम पर देश में धार्मिक आधार पर जनमत संग्रह कराया जाएगा, उस दिन लोकतंत्र की रही सही उम्मीद और खत्म हो जाएगी लेकिन लोगों को यह मानकर चलना चाहिए कि हम उसी तरफ बढ़ रहे हैं।