विचार / लेख

डोनारामा जिन्दाबाद
12-Jul-2021 9:06 PM
डोनारामा जिन्दाबाद

-बादल सरोज
हैरी केन के इंग्लैंड के कप्तान होने और 1 मिनट 57 सेकंड में ही लूक शॉ के पहला गोल दाग देने और करीब एक घंटे तक 1-0 का स्कोर टँगे रहने के बावजूद मैच के शुरू से ही इटली के साथ थे।

पेनल्टी शूटआउट की जीत धुप्पल की जीत - फ्लूक - नहीं होती।  यह तो बिलकुल नहीं  क्योंकि इसी यूरो कप का सेमीफाइनल भी  इटली ने शूटआउट में स्पेन को हराकर जीता था।

कितनी मजबूर रगों की जरूरत होती होगी अकेले गोल मुहाने पर खड़े कीपर की ; सारी शिराओं की ताकत निचुड़कर समा जाती होगी हाथ और पाँव और निगाहों में ; यह जीत यकीनन डोनारामा की जीत है। माराडोना के साथ सिर्फ ध्वनिसाम्य ही नहीं इस युवा खिलाड़ी के नाम में। एकदम क्रिटिकल समय की इसकी तस्वीरों को ज़ूम करके देखने से पता लग जाता है कि कुछ है जो इसे बाकियों से अलग और विशेष बनाता है।  

कहावत है कि हर महान फूटबाल टीम के पीछे एक विश्व-स्तरीय गोलकीपर होता है।  आज सुबह तड़के ढाई बजे के करीब इटली के डोनारामा Gianluigi Donnarumma ने इसे एक बार फिर साबित करके दिखा दिया।  यह संयोग ही नहीं है कि सारे फुटबॉल विशेषज्ञों के मत में अब तक के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर जो बुफोन माने जाते हैं उनका पहला नाम भी डोनारामा जैसा ही था Gianluigi Buffon.

जिन गोलकीपर्स के बचावों को देखने की सुध है उनमे ओलिवर_खान Oliver Kahn कमाल ही थे - एकदम पहलवान जैसा शरीर, हिरण जैसी चपलता और पूरे स्टेडियम (और टीवी स्क्रीन्स के जरिये पूरी दुनिया) को थरथरा देने हाथी जैसी चिंघाड़।  वे दुनिया के - संभवतः - अकेले गोलकीपर हैं जिन्हे गोल्डन बूट अवार्ड मिला।  यह अवार्ड फीफा वर्ल्डकप आदि में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है।
रिनात_दसायेव की गोलकीपरी अलग ही थी।  सोवियत रूस की टीम भले कोई जलवा नहीं दिखा पाई लेकिन Rinat Dasayev की चमक शीर्ष के कीपर्स में कायम है। देखने को मैनुअल नुएर और हेराल्ड शूमेकर को भी खेलते देखे हैं।  अर्जेन्टीना फैन हैं सो पॉम्पीदू की याद है।

लेकिन सबसे मजेदार लगे वर्ल्डकप फाइनल के पेनल्टी शूटआउट में इटली की दो पेनल्टीज को रोकने वाले ब्राजील के क्लॉडिओ टफरेल Claudio Taffarel ; 
 
यूं तो फुटबॉल के सारे महान खिलाड़ी सचमुच में महान होते हैं।  (चक दे इंडिया के डायलॉग में कहें तो  इसलिए कि  फुटबॉल में -- - - - - नहीं होते।)  वे खेल के जरिये की हर तरह की कमाई का इस्तेमाल लोगों की शक्ति भर मदद करने के लिए करते हैं।
  
वे अपनी लोकप्रियता धन सम्पदा को मानवता के कल्याण में लगाते हैं।  हाल ही में क्रिस्टिआनो रोनाल्डो इसकी झलक दिखा चुके हैं। कंपनियों के माल ढोने वाले गधे नहीं होते। इस ब्राज़ीली गोलकीपर टफरेल और उनकी पत्नी ने 15 अनाथ बच्चे गोद लिए थे।

अगले साल होने वाले वाले फीफा वर्ल्ड कप 2022 के सेमी फाइनल्स की टीम्स तय हो गयी हैं ;  कंपनियों के माल ढोने वाले गधे नहीं होते। अर्जेंटीना, इंग्लैंड, इटली, ब्राजील !

(कोपा_अमेरिका American Cup टूर्नामेंट पर कुछ लिखना संभव नहीं है।  ब्राजील और अर्जेंटीना दोनों के बीच मुकाबला होता है तो गत सेरेना और वीनस के पिता रिचर्ड विलियम्स जैसी हो जाती है।)

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