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सुर्खियों में क्यों हैं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा
14-Jul-2021 2:18 PM
सुर्खियों में क्यों हैं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अपने विवादास्पद बयानों और एजेंडे को लेकर लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं. इस मामले में वो पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बिल्कुल अलग हैं.

  (dw.com)

हिमंत बिस्वा सरमा ने चुनाव से पहले कहा था कि सत्ता में आने पर पार्टी गो रक्षा के साथ ही लव जिहाद कानून भी बनाएगी जो हिंदू-मुसलमान दोनों पर लागू होगा. उसके बाद कुर्सी संभालते ही उन्होंने अल्पसंख्यकों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों वाली नीति को कानूनी जामा पहनाने का एलान किया.

हाल ही में उन्होंने पुलिस एनकाउंटर में अपराधियों का मार गिराने को सही ठहरा कर भी विवाद खड़ा कर दिया. कांग्रेस समेत कई संगठनों ने मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना की है. असम के एक एडवोकेट ने राज्य में दो महीने के दौरान होने वाली मुठभेड़ों और उनमें करीब एक दर्जन कथित अपराधियों की मौतों के मामले की मानवाधिकार आयोग से शिकायत भी की है. इसी बीच सरकार ने गो रक्षा विधेयक सदन में पेश कर दिया है. मुख्यमंत्री का कहना है कि अब दो बच्चों वाली नीति और लव जिहाद कानून भी जल्दी ही पेश किया जाएगा.

गोरक्षा विधेयक
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मवेशी का वध, उपभोग और परिवहन विनियमित करने के लिए एक विधेयक सोमवार को असम विधानसभा में पेश किया. सरमा ने कहा कि नए कानून का मकसद सक्षम अधिकारियों की ओर से चिन्हित जगहों के अलावा बाकी जगहों पर गोमांस की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाना है. इस नए कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे. कानून का उल्लंघन करने की स्थिति में दोषियों को कम से कम आठ साल की कैद और  5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. नए कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार दोषी पाया जाता है तो सजा दोगुनी हो जाएगी.

इस कानून के कारण पूर्वोत्तर के ईसाई-बहुल राज्यों में गोमांस की सप्लाई में बाधा पहुंचने का अंदेशा है. नागालैंड और मिजोरम ने तो फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने कहा है कि अगर इस कानून का असर राज्य में पशुओं की सप्लाई पर पड़ा तो वे केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे. ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अमीनुल इस्लाम कहते हैं, "बीजेपी ध्रुवीकरण के मकसद से इस कानून के जरिए एक खास तबके को निशाना बना रही है.” अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ ने सरकार से लोगों की खान-पान की आदतों में दखल नहीं देने को कहा है.

दो बच्चों की नीति
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि राज्य में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दो बच्चों वाला नियम अनिवार्य किया जाएगा. यानी जिनको दो से ज्यादा बच्चे होंगे उनको सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा. हालांकि अनुसूचित जाति, जनजाति और चाय बागान के आदिवासी मजदूरों को इससे छूट दी गई है. इस फैसले पर विवाद हो रहा है. माना जा रहा है कि उनके निशाने पर राज्य के अल्पसंख्यक हैं. इससे पहले मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यकों से जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन उपायों को अपनाने की सलाह दी थी.

मुख्यमंत्री ने बीते दिनों इस मुद्दे पर राज्य के करीब डेढ़ सौ अल्पसंख्यक नेताओं के साथ बैठक की थी. उसके बाद इस मुद्दे पर सिफारिशों के लिए आठ उप-समितियां बनाने का फैसला किया गया था. कांग्रेस समेत तमाम अल्पसंख्यक संगठन सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं. इसके जरिए एक खास समुदाय को निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं. जमीयत-ए-उलेमा ने कहा है कि सरकार ने अगर मुसलमानों में दो बच्चों वाली नीति को जबरन लागू करने का प्रयास किया तो इसका विरोध किया जाएगा. उधर मुख्यमंत्री ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा है कि यह गरीबी उन्मूलन के लिए जरूरी है और इसके पीछे कोई सांप्रदायिक मकसद नहीं है.

लव जिहाद कानून
मुख्यमंत्री हिमंत ने अब कहा है कि राज्य सरकार शीघ्र एक कानून लाएगी जिसके तहत वर-वधू को शादी से एक महीने पहले आधिकारिक तौर पर अपने धर्म और आय का खुलासा करना होगा. उनकी दलील है कि इस कानून का मकसद लव जिहाद के खतरे को रोकना है और यह हिंदू व मुसलमान दोनों तबकों पर समान रूप से लागू होगा. मुख्यमंत्री की दलील है कि लव जिहाद का मतलब सिर्फ एक मुसलमान की ओर से एक हिंदू को धोखा देना ही नहीं है. अगर कोई हिंदू लड़का किसी हिंदू लड़की को फंसाने और उससे शादी करने के लिए संदिग्ध तरीकों का इस्तेमाल करता है तो यह भी लव जिहाद का ही एक रूप है.

मुठभेड़ पर बयान विवादों में
मुख्यमंत्री इससे पहले मुठभेड़ पर भी बयान देकर विवादों में आ चुके हैं. असम में बीते दो महीने में कथित तौर पर हिरासत से भागने का प्रयास कर रहे करीब 12 संदिग्ध अपराधियों को मार गिराया गया है. विपक्ष की ओर से उठे सवालों के बाद इसे उचित ठहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आरोपी पहले गोली चलाए या भागने की कोशिश करे तो कानूनन पुलिस को गोली चलाने का अधिकार है.

असम के एक एडवोकेट ने दो महीने पहले हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से हुई तमाम मुठभेड़ों को लेकर असम पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में शिकायत दर्ज कराई है और इन घटनाओं की जांच करने का भी अनुरोध किया है.

असम के कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा ने कहा है कि मुख्यमंत्री के गोली मार देने वाले बयान के गंभीर नतीजे होंगे और असम पुलिस राज्य में बदल जाएगा. मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजीत भुइयां कहते हैं, "कांग्रेस से आकर बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री बनने वाले हिमंत लगता है कि संघ का एजेंडा लागू करने की हड़बड़ी में हैं. इसलिए सत्ता संभालने के बाद से ही अपने बयानों और कामकाज के जरिए वे लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं.” समाजशास्त्रियों का कहना है कि खासकर दो बच्चों वाली नीति पर मुख्यमंत्री भले अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को साथ लेकर चलने का दावा कर रहे हैं लेकिन उनका एजेंडा पहले से तय है. इससे समाज में हिंदू-मुस्लिम तबके के बीच खाई और बढ़ेगी.
 

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