सामान्य ज्ञान
आकाशगंगा में वरुण यानी नेप्च्यून ग्रह को एक रहस्यमयी ग्रह माना जाता है। इस ग्रह के एक और चांद का पता चला है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया कि हबल टेलीस्कोप ने इस चांद को खोजा गया है। यह वरुण का 14 वां चांद है।
अनुमान लगाया गया है कि इस चांद का व्यास कोई 20 किलोमीटर है और यह करीब एक लाख किलोमीटर की दूरी से वरुण ग्रह का चक्कर लगा रहा है। वरुण से जुड़े दूसरे दस्तावेजों और आंकड़ों की बारीकी से पड़ताल के बाद यह निश्चित किया गया कि यह उसका एक उपग्रह यानी चांद है। वैज्ञानिक अब इसका नाम तलाश रहे हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय खगोलविज्ञानी संघ को दिया जाएगा। नाम की पुष्टि यही संगठन करता है।
वरुण ग्रह को सागरों का देवता माना जाता है। इस उपग्रह के सभी 13 चंद्रमाओं या उपग्रहों के नाम ग्रीक मिथकों के अनुसार ही रखे गए हैं। वरुण का पता लगने के कुछ ही समय बाद वर्ष 1846 में इसके सबसे बड़े चांद ट्रिटॉन का पता लगा। नेराइड नेप्च्यून का तीसरा बड़ा चांद है, जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने 1949 में खुलासा किया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वोयेजर 2 अंतरिक्ष यान ने वरुण के दूसरे सबसे बड़े चांद प्रोटियुस और पांच छोटे चांदों नायाद, थालासा, डेस्पीना, गालाटिया और लारिसा का पता लगाया।
जमीन पर स्थित टेलीस्कोपों से हालिमेडे, लाओमेडिया, साओ और नेस्टर नाम के उपग्रहों का पता 2002 में लगा। एक और चांद सामाथे का पता 2003 में लगाया गया। नए खोजे गए चांद को फिलहाल एस/2004 एन1 कहा जा रहा है और यह लारिसा और प्रोटियुस के बीच है। यह करीब 23 घंटे में वरुण का एक चक्कर लगा रहा है।