सामान्य ज्ञान
कैफ़ी आज़मी (असली नाम-अख्तर हुसैन रिजवी) उर्दू के एक अज़ीम शायर थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए भी कई प्रसिद्ध गीत व गज़़लें भी लिखीं, जिनमें देशभक्ति का अमर गीत - कर चले हम फिदा, जान-ओ-तन साथियों भी शामिल है।
उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिले के छोटे से गांव मिजवां में 14 जनवरी 1919 में जन्मे। कैफ़ी ने 11 साल की उम्र में अपनी पहली गज़ल लिखी। किशोर होते-होते मुशायरे में शामिल होने लगे। वर्ष 1936 में साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित हुए और सदस्यता ग्रहण कर ली। 1943 में साम्यवादी दल ने मुंबई कार्यालय शुरू किया और इसतरह कै$फी मुंबई आ गए। वहीं जीवनसंगिनी शौकत से मुलाकात हुई। मई 1947 में दो संवेदनशील कलाकार विवाह बंधन में बंध गए। उनते दो बच्चे हैं शबाना और बाबा आजमी। शबाना फिल्म अभिनेत्री हैं और बाबा आजमी जाने-माने सिनेमेटोग्राफर हैं।
वर्ष 1973 में ब्रेनहैमरेज से लड़ते हुए जीवन को एक नया दर्शन मिला - बस दूसरों के लिए जीना है। अपने गांव मिजवान में कैफी ने स्कूल, अस्पताल, पोस्ट ऑफिस और सडक़ बनवाने में मदद की।
उनकी रचनाओं में आवारा सज़दे, इंकार, आखिऱिे-शब आदि प्रमुख हैं। क़ैफ़ी आज़मी को राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। वर्ष 1974 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
कैफी आजमी के नाम पर 16 जुलाई 2014 को एक वेबसाइट का शुभारंभ हुआ है। ‘कैफी आजमी- एक विद्रोही शायर’ शीर्षक से बनी यह वेबसाइट पांच भागों में विभक्त है। इस वेबसाइट में कैफी आजमी की जिंदगी से जुड़े विभिन्न पहलूओं के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई गई है।