सामान्य ज्ञान
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र तमिलनाडु के कुडनकुलम में स्थित है। इस संयंत्र ने काम करना शुरू कर दिया है। परमाणु संयंत्र में काम शुरू करने के बाद सभी परमाणु प्रक्रिया सफल रही और उसके सभी मानक उम्मीदों पर खरे उतरे हैं।
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र देश का 21 वां संयंत्र है और इसमें पहली बार लाइट वाटर कैटेगरी के प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर का इस्तेमाल किया गया है। परमाणु संयंत्र के निदेशक आरएस सुंदर हैं। रूस के सहयोग से स्थापित इस संयंत्र में उत्पादित बिजली का इस्तेमाल दक्षिणी राज्यों द्वारा किया जाना है, लेकिन उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा बिजली आपूर्ति के संकट को झेलने वाले तमिलनाडु को दिया जाना है। संयंत्र में कुल उत्पादित 1000 मेगावाट बिजली में से तमिलनाडु को 463 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जानी है। इस संयंत्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उन्नत सुरक्षात कनीक लगाई गई है। यहां एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के सेफ्टी सिस्टम लगाए गए हैं जिससे संयंत्र, लोगों और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। संयंत्र के यूनिट प्रथम में अक्टूबर 2012 में लगभग 80 टन परमाणु ईंधन यूरेनियम ऑक्साइड डाला गया था।
परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जा है जिसे नियंत्रित परमाणु अभिक्रिया से उत्पन्न किया जाता है। वाणिज्यिक संयंत्र वर्तमान में बिजली उत्पन्न करने के लिए परमाणु विखंडन अभिक्रिया का उपयोग करते हैं। नाभिकीय रिएक्टर से प्राप्त उष्मा पानी को गर्म करके भाप बनाने के काम आती है, जिसे फिर बिजली उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वर्ष 2009 में विश्व की बिजली का 15 प्रतिशत परमाणु ऊर्जा से प्राप्त हुआ।
परमाणु संयंत्र ताप का स्रोत होता है। इस रिएक्टर में ताप की मदद से पानी को भाप बनाया जाता है और इसी भाप से जनरेटर के टर्बाइन को गतिशील कराया जाता है। इस तरह टर्बाइन के घूमने से बिजली का निर्माण किया जाता है। मानक रिएक्टर जो कि क्वथन जल या दाबानुकूलित भारी जल रिएक्टर होता है, इस रिएक्टर में ईधन के लिए यूरेनियम 235 का प्रयोग किया जाता है। रिएक्टर के अन्दर यूरेनियम 235 की श्रृंखला अभिक्रिया होती है, इसी अभिक्रिया से ऊर्जा मिलती है जो कि पानी को भाप में बदल देती है। यूरेनियम 235 प्रकृति में स्वतंत्र रूप से नहीं पाया जाता। प्रकृति में स्वतंत्र रूप से यूरेनियम 238 पाया जाता है। ईधन के लिए यूरेनियम 238 का प्रयोग करने से पहले इसे यूरेनियम 235 में बदलना होता है।
इस संयंत्र में छह रिएक्टर होंगे। ये भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा संयंत्र होगा। इस संयंत्र की क्षमता एक हज़ार मेगावाट की है। इस संयत्र को लेकर विरोध भी हो रहा है। इसके विरोधियों का कहना है कि इस संयंत्र की वजह से मछुआरों और ग्रामीणों को रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा। दरअसल 2004 में आई सूनामी के कारण तमिलनाडु का यह तटवर्ती इलाक़ा काफ़ी प्रभावित हुआ था। जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र का हवाला देते हुए इस संयंत्र की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को सुरक्षित बताते हए उसे शुरू करने की इजाजत दे दी है। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक हित और देश की आर्थिक वृद्धि को देखते हुए यह संयंत्र बहुत जरूरी है।