सामान्य ज्ञान
रोम की आग इतिहास का वो स्याह पन्ना है जिसमें तबाही का भयानक मंजर छिपा है। वर्ष 1964 में 19 जुलाई को रोम के कारोबारी इलाके से शुरू हुई इस आग ने बहुत जल्द ही पूरे रोम को अपनी आगोश में ले लिया।
रोम के 14 में से 10 जिलों में छह दिन तक यह आग धधकती रही। तीन जिले तो पूरी तरह तबाह हो गए और बाकियों को भी बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। यह आग लगाई गई या हादसा थी यह आज तक पता नहीं चल सका है। इतिहासकारों में इस पर विवाद है कि यह आग तब रोम के शासक रहे नीरो ने लगवाई थी या किसी और ने या फिर यह महज एक हादसा था। कुछ इतिहासकार तो कहते हैं कि नीरो ने नशे में धुत्त दो लोगों को आग लगाने के लिए भेजा और बाद में जलते शहर को अपने महल से देख कर गीत गाता रहा। हालांकि आधुनिक इतिहासकार इससे सहमत नहीं हैं। कुछ जानकारों का कहना है कि उस वक्त नीरो शहर में था ही नहीं और जैसे ही उसने आग की खबर सुनी वह रोम आया और राहत के काम शुरू करवाए। नीरो ने लोगों को शरण देने के लिए अपने महल का दरवाजा भी खोल दिया। रोम की यह आग सबसे बड़ी जरूर थी लेकिन अकेली नहीं इसके बाद विटेलियस और टाइटस के शासन काल में भी आग लगी थी।