सामान्य ज्ञान
क्लियोपेट्रा, मिस्र की टालमी वंश की यवन रानियों का सामान्य प्रचलित नाम। मूलत: यह सिल्युक वंशी अंतियोख महान की पुत्री टालमी (पंचम) की पत्नी का नाम था। किंतु इस नाम की ख्याति 11वें तालेमी की पुत्री ओलीतिज़ के कारण है। उसका जन्म लगभग 69 ई. में हुआ था। उसे क्लियोपेट्रा (सप्तम) कहते हैं।
जब क्लियोपट्रा 17 वर्ष की थी तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की वसीयत के अनुसार उसे तथा उसके छोटे तोलेमी दियोनिसस को संयुक्त रूप से राज्य प्राप्त हुआ और वह मिस्री प्रथा के अनुसार अपने इस भाई की पत्नी होने वाली थी। किंतु राज्याधिकार के लिये कश्मकश के परिणामस्वरूप उसे राज्य से हाथ धोकर सीरिया भाग जाना पड़ा। फिर भी उसने साहस नहीं त्यागा। उसी समय जूलियस सीजऱ पोपे का पीछा करता हुआ मिस्र आया। वहां वह क्लियोपेट्रा पर आसक्त हो गया और उसकी ओर से युद्ध करने को तैयार हो गया। फलस्वरूप तोलेमी मारा गया और क्लियोपेट्रा मिस्र के राजसिंहासन पर बैठी। मिस्र की प्राचीन प्रथा के अनुसार वह अपने एक अन्य छोटे भाई के साथ मिलकर राज करने लगी। किंतु शीघ्र ही उसने अपने इस छोटे भाई को विष दे दिया और रोम जाकर जूलियस सीजऱ की रखेल के रूप में रहने लगी। उससे उसके एक पुत्र भी हुआ किंतु रोमवालों को यह संबंध किसी प्रकार न भाया। इसलिए सीजऱ की हत्या (44 ई. पूर्व) कर दी गई। तब वह मिस्र वापस चली आई।
41 ई. पू. मार्क अंतोनी भी क्लियोपेट्रा की सुंदरता का शिकार हुआ। रोमनों ने उनका विरोध किया। ओक्तावियन (ओगुस्तस) ने उस पर आक्रमण कर 2 सितंबर 31 ई. पू. को आक्तियम के युद्ध में उसे पराजित कर दिया। क्लियोपेट्रा अपने 60 जहाजों के साथ युद्धस्थल से सिकंदरिया भाग आई। अंतानी भी उससे आ मिला किंतु सफलता की आशा न देख ओक्तावियन के कहने पर अंतोनी की हत्या करने पर तैयार हो गई और अंतोनी को साथ साथ मरने के लिये फुसलाकर उस समाधि भवन में ले गई जिसे उसने बनवाया था। वहां अतानी ने इस भ्रम में कि क्लियोपेट्रा आत्महत्या कर चुकी है, अपने जीवन का अंत कर लिया। ओक्तावियन क्लियोपेट्रा के रूप जाल में न फंसा। जनश्रुति के अनुसार उसने उसकी एक डंकवाले जंतु के माध्यम से हत्या कर दी। इस प्रकार 29 अगस्त, 30 ई. पू. उसकी मृत्यु हुई और टालेमी वंश का अंत हो गया। मिस्र रोमनों के अधीन हो गया।
क्लियोपेट्रा का नाम आज तक प्रेम के संसार में उपाख्यान के रूप में प्रसिद्ध है। वह उतनी सुंदर न थी जितनी कि मेधाविनी। कहते हैं वह अनेक भाषाएं बोल सकती थी और एक साथ अन्यवेशीय राजदूतों से एक ही समय उनकी विभिन्न भाषाओं में बात किया करती थी। अंतोनी से उसकी तीन संतानें हुर्इं। धनी वह इतनी थी कि भारत के गरम मसाले, मलमल और मोती भरे जहाज सिकंदरिया के बंदर में खरीद लिया करती थी। अंग्रेजी साहित्य में तीन नाटककारों- शेक्सपियर, ड्राइडन और बर्नाड शा- ने अपने नाटकों को उसके व्यक्तित्व से संवारा है। औद्योगिकरण के साथ क्लियोपेट्रा विज्ञापन में तब्दील हो गई। 1910 में वह पामोलिव साबुन का चेहरा बनाई गई। क्लियोपेट्रा की सुंदरता का इस्तेमाल कॉस्मेटिक सामानों में किया जाने लगा। क्लियोपेट्रा पर कई फिल्में बनीं। मूक फिल्मों में भी उनका चरित्र इस्तेमाल हुआ। लिज टेलर 1960 में क्लियोपेट्रा बनी। अब फिर एक फिल्म उन पर बनने वाली है और क्लियोपेट्रा बनेंगी एंजेलीना जोली।