सामान्य ज्ञान

सिकंदर महान
20-Jul-2021 8:35 AM
सिकंदर महान

सारी दुनिया जीतने वाले सिकंदर महान का जन्म 20 जुलाई ईसा पूर्व 356 में हुआ था।  प्राचीन ग्रीस के उत्तर में मौजूद मैसेडोनिया के इस राजा ने पेला में आंखें खोली और 16 साल की उम्र तक अरस्तू से ज्ञान अर्जित किया। अपना तीसवां जन्मदिन मनाने तक सिकंदर ने दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया था जिसका विस्तार भूमध्यसागर से लेकर हिमालय तक था। जंग के मैदान में सिकंदर अविजित रहे और इतिहास उन्हें सबसे सफल कमांडर मानता है।
 सिकंदर ने अपने पिता फिलिप द्वितीय की हत्या के बाद मैसेडोनिया की गद्दी संभाली थी और विरासत में उन्हें एक मजबूत साम्राज्य और अनुभवी सेना मिली थी। सिकंदर ने सेना के विस्तार की अपनी पिता की योजनाओं को आगे बढ़ाया। ईसा पूर्व 334 में सिकंदर ने पहला धावा बोला और फिर अगले 10 सालों तक चले विजय अभियान के पूरा होने तक उसकी सेना भारत तक जा पहुंची थी। आज भी दुनिया भर की सेनाएं सिकंदर की रणनीतियों और तौर तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। महज 32 साल की उम्र में ही सिकंदर की बीमारी से मौत हो गई थी। 

समझदार चाकू
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आधुनिक चाकू बनाया है जो कैंसर की सर्जरी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। लंदन के इम्पीरियल कॉलेज की टीम ने इस  समझदार  चाकू को बनाया है। शोधकर्ताओं को आशा है कि इससे कैंसर सर्जरी के दौरान ट्यूमर की कोशिकाएं शरीर में छूटने के खतरे और समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कई बार यही कोशिकाएं फिर से ट्यूमर को जन्म देने लगती हैं। 
विज्ञान पत्रिका  ट्रांसलेशनल मेडिसिन  में प्रकाशित आरंभिक परिणामों के अनुसार  आई नाइफ़ ऑपरेशन के दौरान कैंसर उत्तकों की सही-सही पहचान कर पाने में सक्षम था। अब इस उपकरण का चिकित्सीय परीक्षण हो रहा है ताकि पता लगाया जा सके कि क्या यह वास्तव में लोगों की जान बचाने में सहायक होगा।
 इम्पीरियल कॉलेज की टीम ने ऑपरेशन में काम आने वाले चाक़ू में कुछ तकनीकी सुधार किए हैं। इस नए चाकू में कोशिका को काटने के लिए ऊष्मा का प्रयोग किया जाता है। दुनिया भर के अस्पतालों में इस तरह के सर्जिकल चाकू का प्रयोग होता रहा है। अब इस चाकू (आई नाइफ़) की ऊष्मा से कट रही कोशिका के धुंए से सर्जन जान सकेंगे कि कोशिका में कैंसर है या नहीं। इस चाकू में तकनीकी रूप से उन्नत  मास स्पेक्टोमीटर  लगा है जो इसकी नाक की तरह काम करता है। यह स्वस्थ और कैंसर वाले धुएं के अंतर बता देता है। अब तक 91 मरीज़ों पर इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। इसके नतीजे बताते हैं कि इसे कई तरह के कैंसर के ऑपरेशन में प्रयोग किया जा सकता है। 
 

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