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जर्मनी में बाढ़: ‘फिर से मच सकती है भारी तबाही’
23-Jul-2021 5:47 PM
जर्मनी में बाढ़: ‘फिर से मच सकती है भारी तबाही’

बाढ़ का पानी उतर गया है, लेकिन स्थानीय लोग चिंतित हैं कि जिस तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उससे आने वाले दिनों में और भी भीषण आपदाएं आ सकती हैं.

  (dw.com)

बारबरा अंगेरेअर पेशे से किसान हैं. वह अपने चारों ओर नजरें घुमाते हुए कहती हैं कि कुछ दिनों पहले तक यहां घास का हरा-भरा मैदान हुआ करता था जहां हमारे मवेशी चरते थे. "अब यह चांद की सतह जैसा दिख रहा है. यहां की स्थिति पूरी तरह बदल गई है. आप इसे कभी नहीं पहचान पाएंगे."

दक्षिणी बवेरिया के बिशोफश्वाइजेन गांव में बने फॉर्म हाउस से थोड़ी ऊंचाई पर स्थित इस जगह पर अब चारों ओर चट्टान, उखड़े हुए पेड़ और पहाड़ से टूट कर आए मलबे भरे पड़े हैं. यहां से नीचे खलिहान और खेत दिख रहे हैं जहां बाढ़ आने के तीन दिन बाद तक कीचड़ और पानी भरा हुआ था. इन्हें हाल ही में साफ किया गया है.

अंगेरेअर बताती हैं कि पानी कहां से आया. वह सामने की ओर इशारा करती हुई उस सुंदर से झरने को दिखाती हैं जो इस ढ़ालान से कुछ सौ मीटर ऊपर है. वह कहती हैं, "शनिवार को भारी बारिश शुरू हुई और उस झरने से तेजी से पानी नीचे आने लगा. इसकी धारा इस खेत के सबसे ऊपरी हिस्से की ओर बढ़ने लगी. फिर रात में जोरदार धमाका हुआ. एक बड़ी चट्टान लुढ़क कर नीचे आ गई."

उनका परिवार मूसलाधार बारिश में घर के बाहर रखे सामान को बचाने की कोशिश कर रहा था. जब उनके बेटे ने देखा कि पहाड़ से बड़े-बड़े पत्थर टूट कर आ रहे हैं, तो उन्होंने जोर से आवाज दी, ‘भागो! भागो! खुद को बचाओ'. इस समय में वे आपातकालीन नंबर पर कॉल करने और अपने घर में रहने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे थे.

भयानक मंजर

गांव में रहने वाले लोगों को पहले ही चेतावनी दे दी गई थी कि शनिवार को भारी बारिश होने की संभावना है. इसके बावजूद, अंगेरेअर और उनके परिवार ने घर छोड़कर नहीं जाने का फैसला किया, क्योंकि उनका खेत ऊंची जमीन पर था.

संयोग अच्छा रहा कि उनके फॉर्महाउस को नुकसान नहीं हुआ. हालांकि, मछलियों से भरे तीन तालाब और उनके कई मुर्गे बाढ़ में बह गए. वहीं, खतरे का अंदेशा पाकर उनके मवेशी पहले से सुरक्षित चारागाह की ओर भाग गए थे.

अंगेरेअर रविवार की सुबह दिन के उजाले में देखे गए उस भयानक मंजर को याद कर सिहर जाती हैं. उनके परिवार के सदस्य, पड़ोसी और बुंडेसवेयर के दर्जनों सैनिकों ने उनके खेत और खेत के बाहर के मलबे को साफ किया. उन्होंने जो स्थिति देखी उसे वह पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पा रही थीं. उन्हें विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि ऐसा हो सकता है.

‘खतरा अभी टला नहीं है'

बाढ़ के महज कुछ दिनों बाद ही वह इस घटना से जुड़े कारणों पर विचार कर रही हैं. इस बाढ़ ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया. अंगेरेअर कहती हैं, "हमने सिर्फ मकान का बीमा करवाया था. इस पूरे 20 हेक्टेयर जमीन का बीमा आप नहीं करवा सकते हैं. इतना खर्च कोई भी वहन नहीं कर सकता है."

खेती वाली ऊंची जमीन के लिए ज्यादातर लोग बाढ़ का बीमा नहीं करवाते हैं. ऐसे में अंगेरेअर जैसे लोगों को बवेरियन और देश की केंद्रीय सरकार की तरफ से किए गए आर्थिक सहायता के वादे पर भरोसा करना पड़ सकता है. बवेरिया प्रांत के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर ने हर परिवार को 5,000 यूरो की प्रारंभिक सहायता राशि देने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उस परिवार ने बीमा करवाया है या नहीं.

हालांकि, इस आर्थिक मदद से भविष्य की चिंताएं कम नहीं होंगी. अंगेरेअर कहती हैं, "यह बाढ़ निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है. अभी खतरा टला नहीं है. वह झरना अभी भी वहीं है. ऐसी आपदा दोबारा आ सकती है. ऐसा नहीं है कि जल्द ही ऐसी घटना होगी, लेकिन होगी."

तेजी से बदल रहा मौसम

पड़ोसी शहर शोनाऊ में रहने वाले 21 वर्षीय फ्लोरियान स्लामनिकू अपने माता-पिता के घर के तहखाने से मिट्टी निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वह कहते हैं कि गंदगी और पानी की वजह से सारी चीजें भारी हो गई हैं. उनके चारों ओर साइकिल और बगीचे में काम आने वाले उपकरण बिखरे पड़े हैं. सभी कीचड़ में सने हुए हैं और धूप की वजह से उनके ऊपर लगी मिट्टी कठोर हो गई है.  

फ्लोरियान के बुजुर्ग पड़ोसी 70 साल पहले आई विनाशकारी बाढ़ के बारे में कहानी सुनाते हैं. इसके बाजवूद, पिछले सप्ताह जो हुआ वह हैरान करने वाला था. फ्लोरियान कहते हैं, "यहां इतनी बारिश कभी नहीं हुई." वे और उनके माता-पिता शहर के इस हिस्से के अधिकांश निवासियों के साथ घर छोड़कर दूसरी जगह चले गए थे. रविवार की सुबह ही उन्हें नुकसान का एहसास हुआ. मकान का पहला तल्ला पूरी तरह कीचड़ से भर गया था.

गांव में विशेष रूप से बुरी तरह प्रभावित चार घरों के आसपास सफाई अभियान जोरों पर है. जर्मनी की तकनीकी संघीय राहत एजेंसी के सैनिक और स्वयंसेवक रविवार से वहां मौजूद हैं. उनमें से कई लोग चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं.

योसेफ वांकेर भी शोनाऊ के रहने वाले हैं. वह एक स्वंयसेवक हैं जो पिछले कुछ दिनों से बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं. उनका मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से यह विनाशकारी बाढ़ आई है. वह मिट्टी हटाने वाली मशीन पर काम करते हुए कहते हैं, "मौसम बहुत तेजी से बदल रहा है. यह पहले की अपेक्षा ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडा हो रहा है."

सामान्य हो रही स्थिति

प्रभावित क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे बवेरिया के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर ने जलवायु परिवर्तन को लेकर ज्यादा काम करने का वादा किया. बवेरिया ने 2040 तक क्लाइमेट न्यूट्रल होने का लक्ष्य रखा है जो पूरे जर्मनी से पांच साल आगे है. इसके लिए, हरियाली और पर्यावरण के क्षेत्र में भारी निवेश की योजना है. हालांकि, बवेरिया के सबसे बड़े विपक्षी दल ग्रीन पार्टी का कहना है कि फिलहाल जलवायु परिवर्तन को लेकर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की जा रही है.

इन सब के बीच, फ्लोरियान को संदेह है कि हाल में आई बाढ़ का कारण जलवायु परिवर्तन है. वह कहते हैं, "यह स्पष्ट है कि मौसम हर साल खराब हो रहा है, लेकिन इससे आगे क्या होगा यह कहना मुश्किल है."

बेर्ष्टेडेन क्षेत्र में अगला कदम भूवैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों के लिए यह पता करना है कि बाढ़ कहां से आई और इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है. इस बीच, आपातकाल की स्थिति को हटा दिया गया है और कई लोगों के लिए चीजें सामान्य हो रही है. 

 

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