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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : घर-परिवार के भीतर क्या नहीं हो सकता? इसलिए सब सावधान रहें
26-Jul-2021 7:20 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : घर-परिवार के भीतर क्या नहीं हो सकता? इसलिए सब सावधान रहें

राजस्थान के भीलवाड़ा की एक खबर है कि वहां दहेज प्रताडऩा के बाद एक बहू ने आत्महत्या कर ली, और इसके पहले उसने एक वीडियो बनाकर यह बयान सबके सामने रखा कि उसके पति सहित ससुराल के लोगों ने उसके साथ कई बार मारपीट की, एक बार उसे बहुत बुरी तरह पीटते हुए उसके ससुर के सामने ही सारे कपड़े फाडक़र उसे नंगा कर दिया। इस मानसिक प्रताडऩा से विचलित होकर उसने इस बारे में बयान वीडियो रिकॉर्ड किया और फिर जहर खा लिया। इस अकेली घटना पर लिखना आज शायद जरूरी नहीं लगता लेकिन एक दूसरी घटना और हुई है। वह घटना अलग किस्म की है, और एक अलग इलाके की भी है। लेकिन जिस तरह की सामाजिक प्रताडऩा का शिकार राजस्थान रहता है, उसी तरह की सामाजिक प्रताडऩा का शिकार रहने वाले एक और प्रदेश हरियाणा के हिसार में एक महिला ने पुलिस में ब्लैकमेलिंग की रिपोर्ट लिखाई है और उसने अपने बेटे पर ही ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। महिला ने कहा कि उसका पति बीमार रहता है, घर की आर्थिक हालत खराब है, और बेटा शराबी है। ऐसे में वह घर चलाने के लिए खुद पड़ोसी के खेत में मजदूरी करती है। वहां एक दिन उसके बेटे ने खेत मालिक के साथ उसका आपत्तिजनक हालत में मोबाइल पर वीडियो रिकॉर्ड कर लिया और फिर वीडियो वायरल करने की धमकी देकर नशे के लिए पैसे ऐंठने लगा। पिछले कुछ महीनों में दो लाख रुपये बेटा वसूल चुका है, और जब उसने और पैसे देने से मना कर दिया तो बेटे ने यह अश्लील वीडियो व्हाट्सएप के कई ग्रुप में भेज दिया।

अब इन दो घटनाओं को देखें तो लगता है कि और क्या सुनना और देखना बचा है? ससुर और बहू के बीच में जिस तरह के वर्जित संबंध रहते हैं, उसका ख्याल रखते हुए पुराने वक्त में जब ससुर घर के भीतर आते थे तो कोई भी दोहा-चौपाई या राम का नाम बोलते हुए भीतर घुसते थे, ताकि बहू पर्दा कर ले। ऐसा माना जाता था कि बहू और ससुर-जेठ के बीच रिश्तों का एक फासला रहना चाहिए, और सामाजिक प्रतिबंध इसे कड़ाई से लागू भी करते थे। अब अगर दहेज के लिए एक पूरा परिवार बहू को इस हद तक प्रताडि़त करे कि वह खुदकुशी कर ले, तो ऐसी खुदकुशी के पहले की उसकी बातों को सच के अलावा और क्या माना जा सकता है? इसलिए अगर पूरा परिवार बहू को पीट-पीटकर उसे सबके सामने नंगा कर दे, तो ऐसे परिवार का अदालत में नंगा होना जरूरी भी है। दूसरी तरफ एक महिला जो कि बीमार पति और शराबी बेटे को पालने के लिए मजबूरी और मजदूरी कर रही है, उसके ही किसी संबंध को लेकर बेटा उसे ब्लैकमेल करने के लिए वीडियो बना रहा है, तो फिर अब इससे घटिया और हरकत बची क्या है?अभी-अभी छत्तीसगढ़ में एक गिरफ्तारी हुई है जिसमें एक शराबी बाप ने अपनी ही बेटी से बलात्कार किया था। लेकिन वह तो फिर भी नशे में था, हरियाणा का यह बेटा तो सोच-समझकर वीडियो बनाकर अपनी मां को ब्लैकमेल कर रहा था और आखिर में वसूली बंद हो जाने पर उसने वह वीडियो जगह-जगह पोस्ट कर दिया।

इंसानी रिश्तों का यह सिलसिला हैरान करता है और सदमा भी देता है। लोग बात-बात पर इंसान की घटिया हरकतों के लिए जानवरों की मिसालें देने लगते हैं। और हम भी इंसानों की इस बेइंसाफी के बारे में कई बार लिखते रहते हैं। लेकिन इंसान हैं कि वे सदमा देना बंद ही नहीं करते। कई बार तो यह भी लगता है कि इस तरह की भयानक खबरों को छापने से क्या समाज में परिवार के भीतर भी लोगों का एक दूसरे के ऊपर से भरोसा नहीं उठ जाएगा? क्या ऐसी खबरों के बाद लोगों का एक-दूसरे के साथ जीना मुश्किल नहीं हो जाएगा? लेकिन फिर यह भी लगता है कि ऐसी खबरों की जानकारी लोगों को इसलिए भी रहना चाहिए कि वे बाकी जिंदगी अपने आसपास के दायरे से सावधान रहें और याद रखें कि आसपास के लोग भी किसी भी हद तक गिर सकते हैं, किसी भी हद तक हिंसक हो सकते हैं, इसलिए जितना भरोसा करना जरूरी हो उतना तो ठीक है लेकिन उसके बाद एक सावधानी रखना जरूरी है। परिवारों के भीतर भी लोगों को ऐसी सावधानी बरतनी चाहिए कि किसी कमजोर घड़ी में ऐसी कोई हरकत ना हो जाए जो बाद में जिंदगी भर जीना मुहाल कर दे, और किसी लडक़ी की अगर ससुराल में लगातार हिंसक प्रताडऩा चल रही है, तो उसके मां-बाप को भी उस लडक़ी को वापस वहां नहीं भेजना चाहिए, बाद में लाश पर रोने से वह लडक़ी जिंदा तो नहीं हो जाएगी।

आज की दोनों खबरें एक दूसरे से बिल्कुल ही अलग किस्म की हैं, इन दोनों को लेकर कोई एक निष्कर्ष निकालना भी बहुत आसान या मुमकिन नहीं है, लेकिन इन दोनों के साथ एक बात जरूर है कि दोनों परिवार के भीतर की हिंसा की बात हैं। इन दो मामलों से बिल्कुल अलग किस्म की एक बात यह भी है कि जितने बच्चे सेक्स शोषण के शिकार होते हैं उनमें से अधिकांश बच्चों के साथ ऐसी हिंसा परिवार के भीतर, परिवार के लोग करते हैं, या परिवार के बहुत करीबी लोग करते हैं जिनका बड़े हक और भरोसे के साथ उस घर में आना जाना होता है। इनके अलावा बच्चों का सेक्स शोषण वे लोग करते हैं जो शिक्षक होते हैं, या उनके खेल प्रशिक्षक होते हैं, या उन्हें स्कूल लाने ले जाने वाले घरेलू कामगार होते हैं। इसलिए हर परिवार को अपने भीतर जुर्म और हिंसा के ऐसे खतरों के बारे में जरूर सोचना चाहिए और इन्हें लेकर सावधान भी रहना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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