विचार / लेख

काली कोलकाता वाली
27-Jul-2021 2:28 PM
काली कोलकाता वाली

- प्रकाश दुबे

 

ममता से मत कह देना कि दिल्ली दूर है। 26 जुलाई को दिल्ली में पग रखने से पहले ऐलान किया गया है-होशियार खबरदार। तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल की माननीय अध्यक्ष दिल्ली दरबार में पधार रही हैं। मुख्यमंत्री यूं तो विधानसभा सदस्य भी नहीं हैं। सांसदों ने उन्हें फटाफट संसदीय दल का अध्यक्ष चुन लिया। मुलाकात से पहले प्रधानमंत्री जान लें कि लोकसभा के दो दर्जन और राज्यसभा के दर्जन भर से अधिक सांसदों की नेता हैं। हिंदी में पार्टी का नाम सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस है। पहला अवसर नहीं है जब संसदीय दल का अध्यक्ष गैरसांसद को बनाया। लोकसभा में पार्टी नेता शरद पवार थे। संसदीय दल की अध्यक्ष सांनिया गांधी, जो बाद में सांसद बनीं। मुख्यमंत्री के पुराने भरोसेमंद और इन दिनों कट्टर विरोधी सुवेन्दु (शुभेन्दु) अधिकारी दिल्ली में डटे हैं। दिल्ली पहुंचने से पहले गृहमंत्री के साथ सुवेन्दु की बैठकों का हिसाब भाजपा अध्यक्ष के पास भी नहीं है।

जागो मोहन प्यारे
पूछने वाले बार-बार पूछ कर तंग करते रहे-त्यागपत्र मांगा है? दिल्ली में दिया क्या? कब दे रहे हो? डॉ. बूकनाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा सवालों से परेशान थे। दक्षिण में पार्टी की जड़ें मजबूत करने वाले येदि दक्षिण दिल्ली में बेटे-पोते के साथ साधारण कहवाघर में जाकर काफी पीने का दर्द भूल नहीं पाए। बंगलूरु में बड़ा झटका लगा। बंगलूरु के सितारा होटल में रविवार 25 जुलाई को विधायकों के मुंह का जायका बदलना चाहते थे। इस उम्मीद में कि इससे अगली बार मुंह मीठा करने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री पद पर दो साल पूरे करने का जश्न मनाने से आलाकमान ने रोक दिया। यही नहीं, प्रदेशाध्यक्ष नलिन कुमार कटिल के नाम से जारी छोटी सी क्लिपिंग में येदि की विदाई का ऐलान कर दिया गया। गद्दी के वारिस के रूप में तीन दावेदारों के नाम उछाल दिए। येदि पर मठ-महंतों की धमकी और संघ की कृपा काम नहीं आई। चली आलाकमान की। येदि की भी चली। इतनी कि पहले भोजन किया और फिर राजभवन गए।

वीणावादिनी कुलपति दे
डॉ. हरिसिंह गौर को समर्पित सागर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय का नाम नामी गिरामी विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल हो गया है। प्रधानमंत्री के चुनाव क्षेत्र के अंतर्गत बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पूर्णकालिक कुलपति नहीं है। कार्यवाहक से काम चल रहा है। विचार की लड़ाई के प्रमुख केन्द्र जवाहरलाल नेहरू विवि के कुलपति का कार्यकाल जनवरी महीने में समाप्त हो चुका है। देश की राजधानी के दिल्ली विवि में अक्टूबर 2020 से कुलपति नहीं है। करेला और नीम चढ़ा यह कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर के कुलपति के लिए सुझाए गए नाम सरकार को पसंद नहीं आए। पांच महीने से सागर विवि कार्यवाहक कुलपति के भरोसे है। साल भर से विश्वविद्यालय असुरक्षित है-इस मायने में कि वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से मध्य प्रदेश विशेष ध्यान देने की अपेक्षा करेगा ही। आषाढ़ महीने में देवता शयन करने चले जाते हैं। महामारी के कारण सिर्फ ऑनलाईन शिक्षार्थी ही जाग रहे होंगे। देवी सरस्वती जाग रही हों और मंत्री की कोशिश परवान चढ़ी तब भी दर्जन भर केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को देवउठनी एकादशी तक कुलपति मिलने की गुंजाइश नजऱ नहीं आती।  

मणिपुरी सती सावित्री  
सत्यवान और सावित्री की कथा के कलयुगी और मणिपुरी रूप में यमराज के बजाय न्याय की देवी की भूमिका है। मणिपुर के पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत 17 मई को गिरफ्तार किया गया। पत्नी रंजीता ने उच्च न्यायालय को पत्र लिखा। अदालत ने पत्र को याचिका के स्वीकार कर लिया। अदालत उठने से पहले शुक्रवार 23 जुलाई को पांच बजे तक रिहाई का आदेश जारी किया। उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी कसने वाले समाज प्रबोधनकार एरेंद्रो लोचमबाम को कुछ दिन पहले रिहा करने का आदेश जारी किया था। एरेंद्रो और पत्रकार किशोर पर लगाए गए आरोप लगभग समान हैं। प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का निधन हुआ। पत्रकार ने फब्ती कसी-गोबर और गोमूत्र काम नहीं आया। इसे लोग फूहड़ कह सकते हैं। मणिपुर की एन वीरेन्द्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना। गिरफ्तार कर लिया। उनका दोष नहीं है। पार्टी कार्यकर्ता प्रेमानंद मैते का मान रखना मुख्यमंत्री का कर्तव्य है।
  (लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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