सामान्य ज्ञान
अमरीकन डायमंड एक प्रकार का सफेद पत्थर है जिसे ज्वैलरी में इस्तेमाल किया जाता है। इस पत्थर को हीरो की तरह ही तराशा जाता है, लेकिन चमक के मामले में यह हीरे की बराबरी नहीं कर सकता है।
अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में सारासोता इलाके में बाकायदा अमरीकन डायमंड की खेती की जाती है। यहां हीरे के एक छोटे से टुकड़े का बीज की तरह इस्तेमाल किया जाता है। कार्बन के साथ मिलाकर हीरे के टुकड़े को एक ग्रोथ चैंबर में डाला जाता है। फिर इन्हें एक रिएक्टर में लाया जाता है। इस रिएक्टर का तापमान और दबाव बिलकुल पृथ्वी के गर्भ जैसा होता है। 3 हजार डिग्री सेल्सियस और 50 हजार एट्मोस्फियर के दबाव में ग्रेफाइट हीरा बनने लगता है।
सिंथेटिक या आम भाषा में अमेरिकन डायमंड बनाने में 82 घंटे लगते हैं। इतने समय में हीरे का छोटा टुकड़ा कच्चा हीरा बन जाता है। इसे एसिड के घोल में डालकर अलग किया जाता है। अमरीकन डायमंड के एक कैरट का दाम सात से 10 लाख रुपये तक होता है, लेकिन कृत्रिम डायमंड दो लाख रुपयों का भी मिल जाता है। इस कीमती पत्थर के दीवाने इसके कृत्रिम रूप से भी खुश हैं। और इस खुशी की खास वजह यह है कि प्राकृतिक हीरों और फैक्ट्री में बनाए गए हीरों के बीच फर्क बताना बहुत ही मुश्किल है। केवल एक खास उपकरण से असली हीरे की पहचान होती है।
असली हीरे के अंदर की बनावट ऊबड़ खाबड़ होती है, लेकिन कृत्रिम हीरा अंदर से सामान्य दिखता है। कीमती पत्थरों के जानकार इसे भले ही कृत्रिम हीरे की कमी मानें, लेकिन उद्योग जगत सिंथेटिक डायमंड से काफी उत्साहित है।