सामान्य ज्ञान

हिण्डन नदी
02-Aug-2021 12:06 PM
हिण्डन नदी

हिण्डन नदी, उत्तरी भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है। इसका पुरातन नाम हरनदी या हरनंदी भी था।  इसका उद्गम सहारनपुर जिला में निचले हिमालय क्षेत्र के ऊपरी शिवालिक पर्वतमाला में स्थित है। यह पूर्ण वर्षा-आश्रित नदी है और इसका बेसिन क्षेत्र 7 हजार 83 वर्ग किमी है। यह गंगा और यमुना नदियों के बीच लगभग 400 किमी की लंबाई में मुजफ़्फरनगर जिला, मेरठ जिला, बागपत जिला, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा से निकलते हुए दिल्ली से कुछ दूरी पर यमुना मिल जाती है। 
कभी महानगर की पहचान मानी जाने वाली हिंडन नदी का अस्तित्व खतरे में है। इसका पानी पीने लायक तो कभी रहा नहीं, अब इस नदी में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि जलीय प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। ऐसे में हिंडन नदी अब केवल शोध करने तक ही सीमित रह गई है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है। वर्षा ऋतु में भी यह लगभग जल विहीन रहती है। नदी में लगातार औद्योगिक अपशिष्ट और पूजन सामग्री आदि डाले जाने से उसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा दो से तीन मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई है।  
हिंडन नदी में मोहन नगर औद्योगिक क्षेत्र से डिस्टलरी का अपशिष्ट, वेस्ट डिस्चार्ज, धार्मिक पूजन सामग्री और मलमूत्र मिलते हैं। इसके बाद छगारसी ग्राम में पशुओं को नहलाना और खनन आदि होता है, जिसके कारण प्रदूषण में बढोत्तरी होती है। लगभग दस साल पहले तक नदी में अनेक कशेरुकी प्राणी, मछलियां व मेढक़ आदि मिलते थे, जो कि वर्तमान में मात्र सूक्ष्मजीव,काइरोनॉमस लार्वा, नेपिडी, ब्लास्टोनेटिडी, फाइसीडी, प्लैनेरोबिडी परिवार के सदस्य ही बचे हैं। 
 दून घाटी से निकलती काली नदी, 150 किमी की यात्रा में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ और गाजियाबाद होते हुए हिंडन नदी में इसके यमुना में मिलन से पूर्व ही मिलती है। काली नदी भी उच्च प्रदूषण लेकर चलती है, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बहुत सा प्रदूषित जल यमुना को पहुंचाती है। 
 

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