सामान्य ज्ञान

हरी चाय
02-Aug-2021 12:07 PM
हरी चाय

हरी चाय या ग्रीन टी (ष्4द्वड्ढशश्चशद्दशठ्ठ ष्द्बह्लह्म्ड्डह्लह्वह्य)अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। हरी चाय की पत्तियों का तेल तैयार किया जाता है। यह उत्तेजक, चक्कर को दूर करने वाला होता है। आमाशय के विकार के लिए यह एक बहुमूल्य औषधि है। कालरा, (हैजा), रोग में उल्टी होने पर इसका सेवन करने से लाभ होता है। इसके तेल से मालिश करने से पुरानी वातवेदना दूर होती है।  
विभिन्न भाषाओं में नाम-हिन्दी-गन्धतृण, बृतण, हरी चाय, संस्कृत- भूस्तृण, मराठी- हरीचाय,  राजस्थानी- हरी चाय, गुजराती- लीलीचा, बंगला- गंधवेना, गंधतृण, पंजाबी- खावी, तमिल-वसानाप पिल्लु, मलयालम-वसानाप पिल्लु, तेलुगू-निम्मागद्दी, लैटिन- सिम्बोपोगोन सिट््रेटस।
 

शंख स्मृति  
शंख स्मृति 18 अध्यायों 350 श्लोकों में रचित है। इस स्मृति का 12-13 अध्याय गद्य-पद्य मय है। इसके 18 अध्यायों के वर्णित विषयों में चारों वर्णों के कर्तव्य कर्म, गर्भाधान से लेकर यज्ञोपवीत-संस्कार तक वर्णन, ब्रह्मचारी के धर्म, सदाचार, अष्टविधि विवाहों का संक्षिप्त वर्णन, पंचमहाचज्ञों के अनुष्ठानों का विधान, वानप्रस्थ-संन्यास धर्म निरूपण-योग-प्राणायाम वर्णन, ध्यान का महत्व, नित्यनैमित्तिक काम्य, क्रियांग षड्विधानों का वर्णन, क्रियास्नान, तीर्थस्थान विधि एवं महिमा, हाथों में विविधतीर्थ का निरूपण, आचमन विधि, अंगस्पर्श, सन्ध्या की महिमा, अघमर्षण विधि, गायत्रीजप विधि-विधान, गायत्री महिमा वर्णित है।
इनके अतिरिक्त तर्पण विधि, श्राद्धकर्मादि, श्राद्धाधिकारी ब्राह्मणों की योग्य ता, जन्ममरण अशौच का वर्णन, द्रव्य शुद्धि, पात्र शुद्धि, प्रायश्चित्त विधान एवं प्रायश्चित्त व्रतों का भी वर्णन मिलता है।
 

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