सामान्य ज्ञान
.32 बोर रिवॉल्वर भारतीय आयुध निर्माणी, कानपुर द्वारा निर्मित एक छोटा हथियार है जो अब भारत में आम शस्त्र लाइसेंस धारकों के लिए उपलब्ध है। 6 फॉयर वाला यह रिवॉल्वर पूरी तरह से भारतीय आयुध निर्माणी फैक्ट्रियों द्वारा भारत में बनाया जाने लगा है। इसमें .32 बोर के स्मिथ एण्ड वेसन (लांग रेंज) वाले 7.65 मिलीमीटर के कारतूस प्रयोग किए जाते हैं।
यह रिवॉल्वर विदेशी वेब्ले सर्विस रिवॉल्वर (मार्क-ढ्ढङ्क) की तर्ज पर बनाया गया है। विदेशी वेब्ले स्कॉट कम्पनी का .38 बोर एस. एण्ड डब्लू. मॉडल रिवॉल्वर सिंगापुर की पुलिस द्वारा आज भी प्रयुक्त होता है। इसका सेफ्टी कैच लॉक हो तो चाहकर भी ट्रिगर नहीं दब सकता। रिवॉल्वर में पूरी गोलियंा भरी होने पर भी फायर नहीं हो सकता। इसका बट यानी कुन्दा भी विदेशी वेब्ले स्कॉट रिवॉल्वर के मुकाबले आकार में बड़ा होता है जिससे इसकी पकड़ मजबूत रहती है। इसमें बट के नीचे एक कुण्डा भी लगा हुआ है जिसमें सेफ्टी कॉर्ड (सुरक्षा डोरी) आराम से लगायी जा सकती है। वैसे यह कुण्डा वेब्ले स्कॉट रिवॉल्वर में भी होता है।
माइसीनियाई यूनानी
माइसीनियाई यूनानी (यूनानी-मुकिनाइकी दिआलेक्तोस) यूनानी भाषा का सब से प्राचीन ज्ञात रूप है। यह यूनान के मुख्य प्रायद्वीप, क्रीत के द्वीप और साइप्रस पर 16वीं से 12वीं सदी ईसापूर्व में बोली जाती थी। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि इस काल के बाद यूनानी सभ्यता के दक्षिणी क्षेत्र में डोरियाई आक्रमण हुआ जिस से उत्तरी यूनान कि उपभाषाओं ने दक्षिणी यूनानी उपभाषाओं का अंत कर दिया। इस भाषा का नाम यूनान की राजधानी एथंस से 90 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित माइसीने पुरातत्व स्थल पर रखा गया है।
माइसीनियाई भाषा रेखीय बी नामक लिपि में लिखी जाती थी जिसमें लगभग 200 चिन्ह थे। यह लिपि रेखीय ए नामक लिपि की संतान थी जो क्रीत के द्वीप पर बोली जाने वाली मिनोआई भाषाओं के लिए विकसित की गई थी। अधिकतर इतिहासकार और भाषावैज्ञानिक मानते हैं कि यह मिनोआई भाषाएं यूनानी से कोई पारिवारिक सम्बन्ध नहीं रखती थीं, इसलिए यह संभावना है कि रेखीय बी के चिन्ह पूरी तरह से माइसीनियाई भाषा की ध्वनियों को प्रदर्शित नहीं करते। फिर भी अध्ययन के आधार पर यह मानना है की माइसीनियाई में उसकी हिन्द-यूरोपीय जड़ों की कुछ चीजें सुरक्षित थीं जो आगे चलकर यूनानी से लुप्त हो गई।
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