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ओलिंपिक से रूस के गायब होने की बहुत सनसनीखेज कहानी...
02-Aug-2021 4:17 PM
ओलिंपिक से रूस के गायब होने की बहुत सनसनीखेज कहानी...

-गिरीश मालवीय

बहुत से लोगो ने ध्यान दिया होगा कि रूस टोक्यो ओलंपिक प्रतियोगिता से गायब है, कुछ लोग जानते हैं कि उसके गायब रहने की वजह वाडा द्वारा लगाए गए प्रतिबंध है लेकिन चंद लोग ही जानते हैं कि इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है?

546, यह संख्या है रूस के ओलंपिक में जीते गए पदकों की। इनमें 148 स्वर्ण ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में और 47 स्वर्ण शीतकालीन ओलंपिक में जीते गए थे। ओलंपिक में भाग लेने वाले 60 से ज्यादा देशों के कुल पदकों को जोड़ भी लिया जाए, तो भी इस नंबर के आधे तक नहीं पहुंच पाएंगे।

तो फिर यह सब कैसे शुरू हुआ ? यह सब शुरू हुआ कुछ बहादुर खोजी पत्रकारो द्वारा जो खेल को साफ सुथरा बनाए रखना चाहते थे
जर्मनी के टेलीविजन चैनल एआरडी ने 2014 में एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए रूस के डोपिंग कांड का भंडाफोड़ किया जिसमें खुद रूस के खेल अधिकारियों ने भी मदद की। रूस की 800 मीटर रेस की एथलीट यूलिया स्टेपानोवा और रूसी एंटी डोपिंग एजेंसी के पूर्व कर्मचारी रहे उनके पति विटाले ने इस डॉक्यूमेंट्री में रूस में चल रही गड़बड़ी से पर्दा उठाया, जो बाद में रूसी डोपिंग कार्यक्रम के रूप में सामने आया था।

इसके बाद वाडा यानी अंतरराष्ट्रीय डोपिंग नियंत्रण संस्था ने इसकी जांच कराई और 2015 में रूस के खिलाडिय़ों पर अनिश्चित काल के लिए प्रतिबंध लग गया। बाद में वाडा ने इस शर्त पर प्रतिबंध हटा लिया कि रूस अपने मॉस्को प्रयोगशाला से एथलीटों के डेटा को डोपिंग नियामक संस्था को सौंप देगा।

2016 में हुए रियो ओलंपिक में रूस ने हिस्सा लिया और विश्व चौथे स्थान पर रहा।
यह मामला लगभग सुलझ ही गया था लेकिन एक भूचाल आया जिसने खेलो की दुनिया मे विश्व स्तर पर बनी रूस की साख को एक झटके में धूल में मिला दिया।

2017 में एक डॉक्यूमेंट्री ‘इकारस’ रिलीज हुई ओर रूस की सारी पोल खुल गयी, एक साइकिलिस्ट ब्रायन फोगेल ने यह डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, ब्रायन एक खिलाड़ी थे और वह खुद भी इस चीट के शिकार हुए, उसके बाद उन्होंने एक योजनाबद्ध तरीके से इस डोपिंग के खेल को पूरी तरह से बेनकाब करने का फ़ैसला किया। निर्देशक ब्रायन फोगेल ने 2014 से 2015 के बीच डोपिंग के प्रभाव को समझने के लिए स्वयं पांच महीने तक शक्तिवर्धक दवाईयों के इंजेक्शन लिए ओर टूर डी फ्रांस जैसी बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।

उन्होंने डोपिंग के लिए ग्रेगॉरी रॉडशेनकॉफ़ की मदद ली, और यह पूरी डाक्यूमेंट्री उन्ही की गतिविधियों पर बेस है ग्रेगॉरी रॉडशेनकॉफ़ 2014 सोची विंटर ओलंपिक के दौरान रूस की एंटी-डोपिंग लेबोरेटरी के डायरेक्टर थे।

2014 में हुए सोची शीतकालीन ओलंपिक में लगभग सभी रूसी खिलाडिय़ों ने डोप किया और यह सब रूसी सरकार के इशारे पर यह सब कुछ किया गया, इस ओलंपिक में रूस टॉप पर रहा और राष्ट्रपति पुतिन ने इस सफलता का पूरा श्रेय लिया, पुतिन इन खेलों का आयोजन के बाद लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गए, और इसके ठीक बाद उन्होंने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया, इस डाक्यूमेंट्री में रूस की एंटी-डोपिंग लेबोरेटरी के डायरेक्टर रह चुके ग्रीगोरी रॉडशेनकॉफ ने खुलासा किया कि उन्होंने ऐसे पदार्थ बनाए थे, जिससे रूसी ओलंपिक एथलीटों को बेहतर खेलने में मदद मिले। उसके बाद डोपिंग की जाँच में वह यूरिन के नमूनों की सेल्फ-लॉकिंग ग्लास बोतलों को बदल देते थे जिससे, जाँच में ड्रग का पता नहीं चलता था।

डाक्यूमेंट्री में  उदाहरण के साथ बताया गया है कि किस तरह अलग-अलग खेलों के खिलाडिय़ों ने टेस्ट टाले और वाड्रा के डोपिंग नियंत्रण अधिकारियों को चकमा देने की कोशिश की गई।

इस डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने पर हंगामा मच गया इसके बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति, वाडा और अन्य महासंघों ने इस पर जाँच बिठाई। इसके बाद रूसी एथलीटों के नमूनों की दोबारा जाँच हुई और खिलाडिय़ों पर प्रतिबंध लगाए गए और मेडल वापस लिए गए।

2019 में वल्र्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा)  ने रूस को सभी तरह के प्रमुख खेलों से चार साल के लिए बैन कर दिया है। बाद में डोपिंग मामलों को लेकर रूस पर लगे चार साल का प्रतिबंध हटाकर दो साल कर दिया गया। अब ये पाबंदी दिसंबर 2022 तक ही है। वैसे रूस के जिन खिलाडिय़ों पर कोई आरोप नहीं थे। उन्हें टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने की अनुमति दी गई है और ये ही वो खिलाड़ी हैं जो आरओसी के बैनर तले इस साल टोक्यो ओलंपिक खेलों में भाग ले रहे हैं।

ओलंपिक में डोपिंग पर आधारित ब्रायन फोगेल की ‘इकारस’ को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री का एकेडमी अवार्ड मिला था। (यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद है) निर्देशक ब्रायन फोगेल ने पिछले साल पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘द डिसिडेंट’ भी रिलीज की है जिसे दिखाने की हिम्मत बड़े बड़े मीडिया हाउस की भी नही है अब डोपिंग के मामले में भारत की स्थिति भी जान लीजिए डोपिंग में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। साल 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और इटली के बाद सबसे ज्यादा डोपिंग भारत में होती है यहाँ तक कि क्रिकेट में भी...

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