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म्यांमार में सैन्य जुंटा ने दो साल बाद चुनाव कराने का वादा किया
02-Aug-2021 7:16 PM
म्यांमार में सैन्य जुंटा ने दो साल बाद चुनाव कराने का वादा किया

विद्रोह समाप्त होने के छह महीने बाद 1 अगस्त को राष्ट्र को संबोधित करते हुए, म्यांमार के सेना प्रमुख ने अगस्त 2023 तक देश में बहुदलीय चुनाव कराने का वादा किया.

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म्यांमार सेना के प्रमुख मिन आंग हलिंग ने रविवार को एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि "कुछ आतंकवादी हमलों" को छोड़कर, देश पिछले छह महीनों में स्थिर रहा है. उन्होंने अगस्त 2023 तक "किसी भी मामले में" बहुदलीय चुनाव कराने का भी वादा किया.

सेना ने 1 फरवरी को नागरिक नेता आंग सान सू ची की पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंका और सत्ता पर कब्जा कर लिया. सेना प्रमुख हलिंग ने सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के सदस्यों को "आतंकवादी" कहा और उन पर विद्रोह के बाद से देश में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया. सेना के जनरल ने भी 2023 तक देश से आपातकाल हटाने की घोषणा की.

सेना प्रमुख ने और क्या कहा?

जनरल हलिंग ने देश में लोकतंत्र बहाल करने का वादा किया है लेकिन तारीख तय नहीं की है. उन्होंने कहा, "मैं देश में लोकतंत्र और संघ पर आधारित एक सरकार की स्थापना की गारंटी देता हूं."

सैन्य नेता ने कहा कि "कुछ आतंकवादी हमलों" को छोड़कर पूरा देश पिछले छह महीनों में "स्थिर" बना हुआ है. सैन्य जुंटा ने 2020 के आम चुनाव में सत्ता की अपनी जब्ती को सही ठहराने के लिए धांधली का आरोप लगाया है. सेना ने पिछले चुनाव परिणाम को रद्द कर दिया था.

इस घोषणा का क्या अर्थ है?

सेना ने शुरू में कहा था कि वह तख्तापलट के बाद एक साल तक सत्ता में रहेगी. जनरल हलिंग ने यह भी दावा किया कि तख्तापलट संविधान के दायरे में है. सेना प्रमुख द्वारा चुनाव की घोषणा के बाद अब देश पूरी तरह से सेना के नियंत्रण में है. दूसरी ओर, लोकतंत्र समर्थक और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विपक्ष के खिलाफ सेना की क्रूर कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि म्यांमार में हिंसा दक्षिण एशिया को अस्थिर कर सकती है. सैन्य जुंटा के विरोध में शनिवार को छात्रों के छोटे समूह सभी प्रमुख शहरों में सड़कों पर उतर आए.

इस बीच आचार संहिता को लेकर देश में दहशत का माहौल है. अस्पतालों में काम कर रहे लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता काम पर नहीं आ रहे हैं, जिससे अस्पताल खाली हैं. विश्व बैंक ने इस साल देश की अर्थव्यवस्था में 18 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया है.

'सेना पर भरोसा नहीं किया जा सकता'

डीडब्ल्यू से बात करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता मौंग जर्नी ने कहा कि उन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के सेना के वादे पर संदेह है. उन्होंने कहा, "यह कोई नई बात नहीं है." उन्होंने कहा, "चुनाव के नतीजे में सेना की पसंदीदा पार्टी सरकार बनाने में विफल रहती है, तो वे चुनाव परिणाम रद्द कर देती है."

इस बीच सैन्य जुंटा के प्रमुख ने अपने भाषण के दौरान आसियान के साथ सहयोग की घोषणा की. उन्होंने कहा कि वह "आसियान के ढांचे के भीतर" काम करने के लिए तैयार हैं, जिसमें म्यांमार में आसियान के विशेष दूत के साथ बातचीत भी शामिल है.(dw.com)

एए/सीके (रॉयटर्स,एपी, डीपीए)

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