अंतरराष्ट्रीय
ऑस्ट्रेलियाई फिनटेक कंपनी 'आफ्टरपे' सात साल पहले "अभी खरीदो, भुगतान बाद में करो" के सपने के साथ शुरू की गई थी. अब इसे अमेरिकी डिजिटल भुगतान कंपनी 'स्क्वायर' 29 अरब डॉलर में खरीद रही है.
'स्क्वायर' ट्विट्टर के संस्थापक और सीईओ जैक डॉर्सी की कंपनी है. कहा जा रहा है कि 'आफ्टरपे' को खरीदने का यह सौदा इतना बड़ा है जितना बड़ा ऑस्ट्रेलिया में आज तक नहीं देखा गया. आफ्टरपे का ऐप उपभोक्ताओं को छोटी छोटी खरीदारी भी नियमित किश्तों में करने की सुविधा देता है.
यह क्रेडिट कार्ड के जैसा लग सकता है, लेकिन इसमें किश्तों में भुगतान करने के लिए ना कोई ब्याज चुकाना पड़ता है और ना जुड़ने का शुल्क. इसके अलावा खर्च की सीमा को कम ही रखा जाता है. हालांकि जो निर्धारित भुगतान नहीं करते हैं उन्हें देरी करने का शुल्क जमा करना पड़ता है.
कैसे कमाती है कंपनी
ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ताओं के लिए यह शुल्क खरीदे गए सामान की कीमत का 25 प्रतिशत तक हो सकता है, लेकिन इसमें प्रति आर्डर 68 डॉलर की सीमा है. कंपनी की अधिकतर कमाई विक्रेताओं से लेन देन शुल्क लेकर होती है. आफ्टरपे का इतेमाल करने वाली दुकानों की लागत लेन देन के कुल मूल्य के करीब चार प्रतिशत के आस पास बैठती है, लेकिन बाकी नकद वो सीधा कमा लेती हैं.उन्हें भुगतान ना होने का जोखिम भी नहीं उठाना पड़ता है. 'आफ्टरपे' की स्थापना 2014 में ऑस्ट्रेलिया में ही रहने वाले ऐंथनी आइसेन और निक मोलनार ने की थी. मोलनार 31 साल के हैं और 'आफ्टरपे' शुरू करने से पहले इंटरनेट पर आभूषण बेचने का काम किया करते थे.
उनके पड़ोसी आइसेन कई सालों से फाइनेंस और निवेश के क्षेत्रों में काम कर चुके थे. दोनों ने जब हाथ मिलाया तो मोलनार के घर में ही 'आफ्टरपे' का जन्म हुआ. इसे बनाने के पीछे दोनों का उद्देश्य कैशलेस जीवनशैली अपना रहे मिलिनियलों को लुभाना था.
युवाओं में लोकप्रिय
'स्क्वायर' के साथ हुए इस सौदे के पहले ही दोनों अरबपति बन चुके थे, लेकिन माना जा रहा है कि अब दोनों की संपत्ति में काफी इजाफा हो जाएगा. 'आफ्टरपे' अब ऑस्ट्रेलिया के अलावा अमेरिका, कनाडा, यूके, फ्रांस और इटली में भी मौजूद है. दुनिया भर में ऐप के 1.6 करोड़ से भी ज्यादा उपभोक्ता हैं और लगभग 100,000 विक्रेता इसका इस्तेमाल करते हैं."अभी खरीदो, भुगतान बाद में करो" सुविधा देने वाली दूसरी सेवाओं के अलावा, इस ऐप को युवाओं के ऑनलाइन खर्च के तरीके को पूरी तरह से बदल देने का श्रेय भी दिया जाता है. कुछ आलोचकों ने चिंता व्यक्त की है कि इस तरह के ऐप लोगों को वो पैसा खर्च करने के लिए लुभा सकते हैं जो असल में उनके पास है नहीं.
इस तरह की सेवाएं अधिकांश देशों में अनियंत्रित हैं, जिसकी वजह से नियामकों से मांग भी की जा रही है कि वो उपभोक्ताओं की रक्षा करने के लिए हस्तक्षेप करें. इसी साल मार्च में 'आफ्टरपे' और सात दूसरी ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों ने एक स्वैच्छिक औद्योगिक आचार संहिता बनाई और उस पर हस्ताक्षर किए.
विनियमन की जरूरत
कैलिफोर्निया के नियामकों ने जब 'आफ्टरपे' पर बिना लाइसेंस के ऋण देने का व्यापार चलाने का आरोप लगाया, तो कंपनी ने लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना स्वीकार किया. 'स्क्वायर' के पास पहले से 'कैश ऐप' नाम की एक मोबाइल भुगतान सेवा है, जिसे हर साल करीब सात करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं.
कंपनी की योजना है कि 'आफ्टरपे' की सेवाओं को अपनी मौजूदा सेवाओं के साथ समाहित कर लिया जाए. इन सेवाओं में 'सेलर' भी शामिल है. कंपनी का कहना है कि ये सेवाएं क्रेडिट के पारंपरिक तरीकों से दूर जा रही युवा पीढ़ी को आकर्षित करती हैं. दोनों कंपनियों का कहना है कि इस सौदे से दोनों को और विस्तार करने में मदद मिलेगी और वो नए ग्राहकों और विक्रेताओं तक पहुंच पाएंगी. उम्मीद की जा रही है कि सौदा 2022 की शुरुआत में पूरा हो जाएगा. (dw.com)
सीके/ (एएफपी)