सामान्य ज्ञान

भृगु ऋषि
03-Aug-2021 12:05 PM
भृगु ऋषि

ऋषि भृगु उन 18 ऋषियों में से एक है। जिन्होंने ज्योतिष का प्रादुर्भाव किया था।  भृगु के द्वारा लिखी गई भृगु संहिता ज्योतिष के क्षेत्र में माने जाने वाले बहुमूल्य ग्रन्थों में से एक है। भृगु संहिता के विषय में यह मान्यता है, कि इस शास्त्र को पूजन, आरती इत्यादि करने के बाद ही भविष्य कथन के लिए प्रयोग किया जाता है। यह सब करने के बाद जब प्रश्न ज्योतिष के अनुसार इस शास्त्र का कोई पृष्ठ खोला जाता है, और पृष्ठ के अनुसार प्रश्नकर्ता की जिज्ञासा का समाधान किया जाता है। 
फलित करने वाला व्यक्ति प्रश्नकर्ता के विषय में आधारभूत जानकारी देने के बाद उसके यहां आने का कारण, व्यक्ति के जन्म की पृष्ठभूमि इत्यादि का उल्लेख करता है।  इस ज्योतिष में आने वाले व्यक्ति को उसके परिवार के सदस्यों के नाम भी बताए जाते हैं। भृगु संहिता कुछ प्रतियां ही शेष हंै, जिसमें से एक प्रति पंजाब में सुल्तानपुर स्थान में है।
ऋषि भृगु ने अनेक ज्योतिष ग्रन्थों की रचना की,जिसमें से भृगु स्मृति,भृगु  संहिता ज्योतिष, भृगु संहिता शिल्प , भृगु सूत्र, भृगु  उपनिषद, भृगु  गीता आदि प्रमुख है। वर्तमान में भृगु संहिता की जो भी प्रतियां उपलब्ध है, वे अपूर्ण अवस्था में हैं। इस शास्त्र से प्रत्येक व्यक्ति की तीन जन्मों की जन्मपत्री बनाई जा सकती है। प्रत्येक जन्म का विवरण इस ग्रन्थ में दिया गया है। यहां तक की जिन लोगों  ने अभी तक जन्म भी नहीं लिया है, उनका भविष्य बताने में भी यह ग्रन्थ समर्थ है।
भृगु  संहिता ज्योतिष क एक विशाल ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ की मूल प्रति आज भी नेपाल में सुरक्षित है। प्राचीन काल में इन ग्रन्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए गाडिय़ों का प्रयोग किया जाता था।  ऋषि भृगु को देव ब्रह्मा जी का मानस पुत्र माना जाता है।

 
भास्काराचार्य शास्त्री 
ज्योतिष की इतिहास की पृ्ष्ठभूमि में वराहमिहिर और ब्रह्मागुप्त के बाद भास्काराचार्य के समान प्रभावशाली, सर्वगुण सम्पन्न दूसरा ज्योतिष शास्त्री नहीं हुआ है। उन्होंने ज्योतिष की प्रारम्भिक शिक्षा अपने पिता से घर में ही प्राप्त की।
 भास्काराचार्य जी ने ब्रह्मास्फूट सिद्धांत को आधार मानते हुए, एक शास्त्र की रचना की, जो सिद्धान्तशिरोमणि के नाम से जाना जाता है। इनके द्वारा लिखे गए अन्य शास्त्र, लीलावती, बीजगणित, करणकुतूहल  और सर्वोतोभद्र ग्रन्थ हैं।  इनके द्वारा लिखे गए शस्त्रों से उस समय के सभी शास्त्री सहमति रखते थे। प्राचीन शास्त्रियों के साथ गणित के नियमों का संशोधन और बीजसंस्कार नाम की पुस्तक की रचना की। भास्काराचार्य  न केवल एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थे, बल्कि वे उत्तम श्रेणी के कवियों में से एक थे। ज्योतिष् गणित में इन्होनें जिन मुख्य विषयों का विश्लेषण किया, उसमें सूर्यग्रहण का गणित स्पष्ट, क्रांति, चन्द्रकला साधन, मुहूर्तचिन्तामणि  और पीयूषधारा  नाम के टीका शास्त्रों में भी इनके द्वारा लिखे गये शास्त्रों का वर्णन मिलता है। यह माना जाता है, किउन्होंनें फलित पर एक पुस्तक की रचना की थी परन्तु आज वह पुस्तक उपलब्ध नहीं है। 
 

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