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अमेरिका और ब्रिटेन ने कहा, 'तालिबान नागरिकों का नरसंहार कर रहे हैं'
03-Aug-2021 2:57 PM
अमेरिका और ब्रिटेन ने कहा, 'तालिबान नागरिकों का नरसंहार कर रहे हैं'

अफगानिस्तान में अमेरिका और ब्रिटिश दूतावासों ने तालिबान पर नागरिकों से संभावित बदले की भावना से हत्या करने का आरोप लगाया है. तालिबान ने इस आरोप से इनकार किया है.

 (dw.com)

ऐसे समय में जब तालिबान को सबसे बड़े शहर पर कब्जा करने से रोकने के लिए अफगान सेना कड़ी मेहनत कर रही है, अमेरिका और ब्रिटेन ने तालिबान पर पाकिस्तानी सीमा के पास हाल ही में कब्जा किए गए शहर में "नागरिकों की हत्या" करने का आरोप लगाया है.

दोहा स्थित तालिबान वार्ता दल के सदस्य सुहैल शाहीन ने रॉयटर्स को बताया कि आरोपों वाले ट्वीट "निराधार रिपोर्ट" हैं.

तालिबान के खिलाफ युद्ध अपराधों के आरोप
अमेरिकी दूतावास ने एक बयान ट्वीट कर तालिबान पर दक्षिणी कंधार प्रांत के स्पिन बोलदाक क्षेत्र में दर्जनों नागरिकों की हत्या करने का आरोप लगाया. यहां भारी लड़ाई हुई थी. बयान को ब्रिटिश दूतावास ने भी ट्वीट किया था.

अमेरिका और ब्रिटेन का बयान अफगान स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग (एआईएचआरसी) की एक रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें कहा गया है कि आतंकवादियों ने स्पिन बोलदाक में "बदले के लिए हत्या" की थी.

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "तालिबान ने मौजूदा और पूर्व सरकारी अधिकारियों की पहचान की और उनके खिलाफ जवाबी कार्रवाई की. उन्होंने उन लोगों को भी मार डाला जिनकी संघर्ष में कोई भूमिका नहीं थी." अमेरिकी और ब्रिटिश दूतावासों ने अलग-अलग ट्वीट में कहा कि हत्याएं "युद्ध अपराधों के समान" थीं.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी तालिबानी नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि यह खबर "बेहद परेशान करने वाली और पूरी तरह से अस्वीकार्य" है. उन्होंने कहा कि तालिबान जो अंतरराष्ट्रीय मान्यता चाहता है इन ज्यादतियों के कारण संभव नहीं होगा.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक बयान में कहा, "तालिबान के हमले दिखाते हैं कि उनके मन में मानव जीवन के लिए कोई सम्मान नहीं है. अगर वे बातचीत के जरिए विवाद का हल निकालने में वाकई ईमानदार हैं तो उन्हें इस तरह के भीषण हमलों को रोकना होगा."

तालिबान के लड़ाकों ने 31 जुलाई और 1 अगस्त को भारी लड़ाई के बाद 2 अगस्त को तीन प्रांतीय राजधानियों लश्कर गाह, कंधार और हेरात पर धावा बोल दिया. जिसके बाद हजारों नागरिकों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

अफगान सरकार द्वारा सैकड़ों कमांडो की तैनाती की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद तालिबान ने हेलमंद की राजधानी लश्कर गाह में सिटी सेंटर और जेल पर एक साथ हमला किया.

इस बीच तालिबान ने लश्कर गाह पर दबाव बढ़ा दिया है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर तालिबान का वहां नियंत्रण हो जाता है, तो यह सरकार के लिए यह एक बड़ा सैन्य और मनोवैज्ञानिक झटका होगा.

"अमेरिका जिम्मेदार"
अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. विदेशी सैनिकों की वापसी का जिक्र करते हुए गनी ने अफगान संसद में कहा, "हमारी मौजूदा स्थिति का कारण यह है कि यह फैसला अचानक लिया गया. सुरक्षाबलों की वापसी के गंभीर परिणाम होंगे."

राष्ट्रपति का बयान तब आया जब वॉशिंगटन ने घोषणा की कि वह देश में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर हजारों और अफगान शरणार्थियों को निकालने के लिए तैयार है. इसमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने सालों से अमेरिका के लिए काम किया है.

वॉशिंगटन ने पिछले दो दशकों में अमेरिकी सेना और दूतावास में सेवा देने वाले हजारों अनुवादकों और उनके परिवारों को देश से निकालना शुरू कर दिया है.

एए/वीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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