सामान्य ज्ञान
दुनिया भर में हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। यह दिवस जागरूकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जंगली बाघों के निवास के संरक्षण और विस्तार को बढ़ावा देने के साथ बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाने का फैसला वर्ष 2010 में सेंट पिट्सबर्ग बाघ समिट में लिया गया था क्योंकि तब जंगली बाघ विलुप्त होने के कगार पर थे। इस समिट में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक वे बाघों की आबादी दुगुनी कर देंगे।
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1913 में दुनिया में करीब एक लाख जंगली बाघ थे जो वर्ष 2014 में सिर्फ 3 हजार रह गए। अनुमान के मुताबिक भारत में वर्ष 2006 में 1411 जंगली बाघ थे जिनकी संख्या वर्ष 2010 में बढक़र 1706 हो गई थी। बाघों की आबादी वाले 13 देशों में भारत में बाघों की संख्या सबसे अधिक है।
बाघों को उनके फर के रंग से वर्गीकृत किया जाता है और इसमें सफेद बाघ (10 हजार बाघों में से एक ) भी शामिल है। फिलहाल बाघों की छह प्रमुख प्रजातियां हैं- साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रण बाघ और साउथ चाइना बाघ।
इसके अलावा, बाघों की कई उपप्रजातियां हैं जो पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं-इनमें बाली बाघ और जावा बाघ भी हैं।
विश्व के बाघों की सबसे अधिक आबादी सुंदरवन के इलाके में पाई जाती है और यह हिन्द महासागर के उत्तरी तट पर स्थित है।