विचार / लेख

अब क्या ही कहा जाए !
03-Sep-2021 6:58 PM
अब क्या ही कहा जाए !

-गिरीश मालवीय

 

कल ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने तबलीगी जमात की मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर एक याचिका में वेब पोर्टल ओर 4शह्व ह्लह्वड्ढद्ग चैनलों पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा कि उन पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। वो जो चाहे चलाते हैं। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं है। वो हमें कभी जवाब नहीं देते। वो संस्थाओं के खिलाफ बहुत बुरा लिखते हैं। लोगों के लिए तो भूल जाओ, ज्यूडिशियरी और जजों के लिए भी कुछ भी मनमाना लिखते रहते हैं।’

आज अखबारों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव जी का वह फैसला छपा है जिसमें उन्होंने सरकार से गाय को ‘राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने की अनुशंसा की है दरअसल हाई कोर्ट ने गोकशी के एक आरोपी की बेल याचिका को खारिज करते हुए 12 पेज का आदेश दिया था। इस आदेश में जस्टिस शेखर कुमार यादव जी ने गाय के अनोखे श्वसन तंत्र का की भूरि भूरि प्रशंसा की है और गाय अद्भुत विशेषताएं पर प्रकाश डाला है वे अपने फैसले में लिखते हैं  कि ‘वैज्ञानिक मानते हैं कि गाय इकलौता ऐसा पशु है जो सांस लेते समय ऑक्सीजन ही लेता है और ऑक्सीजन ही बाहर निकालता है।

हिंदी में लिखे अपने आदेश में जस्टिस शेखर कुमार यादव ने दावा किया है, ‘भारत में यह परंपरा है कि गाय के दूध से बना हुआ घी यज्ञ में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है जो अंतत: बारिश का कारण बनती है।’

जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा, ‘चूंकि गाय का अस्तित्व भारतीय सभ्यता के अभिन्न है इसलिए किसी भी नागरिक का बीफ खाना उसका मौलिक अधिकार नहीं हो सकता।’ आदेश में कहा गया कि संसद को कानून बनाकर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और जो लोग गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करते हैं उनके खिलाफ कड़े कानून लाने चाहिए।

गाय को एक राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में रखा जाए क्योंकि हम जानते हैं कि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था पर चोट होती है तो देश कमजोर होता है। चाणक्य ने लिखा है कि किसी भी देश को नष्ट करना है तो सबसे पहले उसकी संस्कृति को नष्ट कर दो, देश अपने आप नष्ट हो जाएगा।’

फैसले के आखिर में जस्टिस शेखर कुमार यादव ने लिखा है ‘हम जब-जब अपनी संस्कृति भूले हैं, तब-तब विदेशियों ने हम पर आक्रमण किया है और आज भी हम न चेते तो अफगानिस्तान पर तालिबान का आक्रमण और कब्जे को भी हमें नहीं भूलना चाहिए।’
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