सामान्य ज्ञान
पौराणिक आख्यानों के अनुसार तक्षक पाताल में निवास करने वाले आठ नागों में से एक है। यह माता कद्रू के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। इसके पिता ऋषि कश्यप थे।
तक्षक कोशवश वर्ग का था। यह काद्रवेय नाग है। एसा माना जाता है कि तक्षक का राज तक्षशिला में था। श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डंसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। इससे गुस्सा होकर बदला लेने की नीयत से परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया था, जिससे डरकर तक्षक इंद्र की शरण में गया। इस पर जनमेजय की आज्ञा से ऋत्विजों के मंत्र पढऩे पर इंद्र भी खिंचने लगे, तब इंद्र ने डरकर तक्षक को छोड़ दिया। जब तक्षक अग्निकुण्ड के समीप पहुंचा, तब आस्तिक ऋषि की प्रार्थना पर यज्ञ बंद हुआ और तक्षक के प्राण बचे। यह नाग ज्येष्ठ मास के अन्य गणों के साथ सूर्य रथ पर अधिष्ठित रहता है। यह शिव की ग्रीवा के चारों ओर लिपटा रहता है। पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार भारत में तक्षक जाति थी, जिसका जातीय चिह्न सर्प था। इसका युद्ध राजा परीक्षित से हुआ था, जिसमें परीक्षित मारे गये थे। जनमेजय ने तक्षशिला के समीप इन तक्षकों से युद्ध किया और इन्हें परास्त किया था। गरुड पुराण के अनुसार - इस पुराण में महर्षि कश्यप और तक्षक नाग को लेकर एक सुन्दर उपाख्यान दिया गया है।