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पानी शहर से निकल नहीं पा रहा..
13-Sep-2021 12:36 PM
पानी शहर से निकल नहीं पा रहा..

-पुष्य मित्र

कल दिल्ली में जो हुआ और जो दो साल पहले पटना में हुआ था। मुंबई में लगभग हर साल हो रहा है और दुनिया भर के शहरों में यह अब न्यू नॉर्मल है। मगर यह न्यू नॉर्मल कोई अच्छी खबर नहीं है।

इस मसले को इस तरह समझिये कि कल महज एक दिन में दिल्ली में 390 मिमी बारिश हो गयी। अगर आप बारिश के आंकड़ों को समझते हैं तो इसका मतलब समझ ही रहे होंगे। अगर नहीं समझ रहे तो यूं समझिये कि अगर किसी जगह पूरे साल में 1200 मिमी बारिश हो जाये तो उसे अब सामान्य से बेहतर बारिश मानते हैं। दिल्ली में सिर्फ एक दिन में इतनी बारिश हो गयी जो पूरे साल की बारिश का एक चौथाई थी।

आप यह समझिये कि 2019 में पटना में चार दिन में 476 मिमी से अधिक बारिश हुई थी तो शहर दो तीन हफ्ते पानी में डूबा रहा। एक बार नेपाल में तीन दिन में 500 मिमी बरसात हो गयी तो बिहार में जबरदस्त बाढ़ आ गयी थी। अब आप एक दिन में बरसे 390 मिमी पानी का मतलब समझ सकते हैं। मतलब यह कि इतना पानी बरसा कि पूरी दिल्ली में हर जगह औसतन 39 सेमी पानी जमा हो गया होगा।

यही वजह थी कि दिल्ली के एयरपोर्ट तक पर आपको पानी बहता नजर आया। अब जबकि यह बारिश रुक गयी या कम हो गयी होगी तो जलजमाव की स्थिति क्या होगी यह देखने वाली बात होगी। हम तो पटना के अपने अनुभव से जानते हैं कि अगर एक दिन में इतनी बारिश हुई होती तो हम फिर हफ्तों डूबे रहते।

मगर यह कैसा संकट है और क्यों है? इन दिनों क्यों दुनिया के अलग अलग इलाकों से ऐसी बारिश की खबर आ रही है? क्या हम इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं?

दरअसल यह वह संकट है जिसे बार-बार क्लाइमेट क्राइसिस कहा जा रहा है। धरती लगातार गर्म हो रही है और इस बुखार की हालत में ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं लगातार हो रही हैं। आने वाले वर्षों में बारिश की ऐसी घटना आम होने वाली है।

यह तो वह संकट है जिसे हम अकेले रोक नहीं सकते। जलवायु संकट और ग्लोबल वार्मिंग किसी एक शहर या एक देश की परिस्थिति नहीं। यह पूरी दुनिया का संकट है और पूरी दुनिया गम्भीरता से एक साथ कोशिश करेंगी तभी धरती का बुखार कम होगा।

मगर एक काम तो हमें ही करना है। इस संकट का सामना कैसे करें इसकी तैयारी। अगर ऐसी बारिश साल में तीन चार दफे हो जाये तो क्या हमने ऐसी व्यवस्था की है कि पानी शहर की गलियों में लम्बे समय तक ठहरेगा नहीं। अभी कल ही मैंने मुजफ्फरपुर में हफ्तों से जमे पानी की तस्वीर दिखायी थी। सामान्य बारिश का पानी शहर से निकल नहीं पा रहा।

यह दोहरा संकट है। एक ही दिन टूट कर बरस जाने वाले बादल अब रूटीन हो चले हैं मगर हमारे शहरों में बारिश का पानी निकालने का सिस्टम लगातार बिगड़ रहा है। ड्रेनेज सिस्टम फेल हो रहे हैं। कहीं उनपर अतिक्रमण कर घर बनाये जा रहे तो अमूमन हर जगह पॉलिथीन की वजह से ये चोक हो रहे हैं। नगर निगम की अपनी विशेषज्ञता भी उस स्तर की नहीं है कि वह इन परिस्थितियों का सामना कर सके। शहरों में लगातार बढ़ रही आबादी भी मसले को और गम्भीर बना रही।

और क्या शहर का पानी ड्रेन कर नदियों में डाल देना ही इसका समाधान है? क्या शहरों में फिर से तालाबों, झीलों को जिंदा करना और वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाना वैकल्पिक समाधान हो सकता है? यह सब अब गम्भीरता से सोचना का वक्त आ गया है। बदलता मौसम तो यही इशारा कर रहा है।

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