विचार / लेख

छत्तीसगढ़ एक खोज : एक अवांतर कथा
18-Sep-2021 2:20 PM
छत्तीसगढ़ एक खोज : एक अवांतर कथा

-रमेश अनुपम

बचाइए हुजूर! प्रदेश के संस्कृति विभाग से किशोर साहू को बचाइए

इस बार आप सबसे क्षमा मांगते हुए किशोर साहू के संबंध में कुछ जरूरी बातें करना चाहता हूं।

शायद यह आप सब लोगों की शुभेच्छा का असर है कि छत्तीसगढ़ शासन लंबी नींद से जागकर किशोर साहू को इस वर्ष याद करने जा रहा है।

कांग्रेस शासन सत्तानशीन होने के दो वर्ष के पश्चात् किशोर साहू अलंकरण की सुधि ले रहा है। पर इसमें अफसरशाही के रवैए से मुझे कुछ तकलीफ हो रही है। जाहिर है कि सच्चाई जानकर आप सबको भी कोई कम तकलीफ नहीं होगी।

14 सितंबर 2021 को संस्कृति विभाग का एक विज्ञापन समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है। जिसमें संस्कृति विभाग ने इस वर्ष के किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण के लिए देश के निर्देशकों से आवेदन पत्र भेजने का निर्देश दिया है। जैसे कि देश के नामी फिल्म निर्देशक इसके निर्धारित प्रपत्र को भरकर इसके लिए आवेदन पत्र संस्कृति विभाग को भेजने के लिए आतुर बैठे हों। बलिहारी हो संस्कृति विभाग की।

क्या कहें अफसरशाही और वह भी संस्कृति विभाग में, बिना साहित्य और संस्कृति की समझ वाले अधिकारी जहां होंगे वहां ऐसा ही होगा, जैसे वे लोक निर्माण विभाग का कोई टेंडर निकाल रहे हों।

संस्कृति विभाग के पिछले बीस वर्षों के कारनामों को देख लें और एक बार उनके द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘बिहनियां’ का दर्शन कर लें तो वैसे ही इनकी समझ की एक झलकी तो जरूर मिल जायेगी कि इन्हें साहित्य और संस्कृति की कितनी गहरी और गंभीर समझ है।

किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण पिछले तीन वर्षों से बंद था। मैं व्यक्तिगत स्तर पर इस कोशिश में जुटा था कि यह सम्मान बंद न हो चलता रहे। यह छत्तीसगढ़ के सपूत किशोर साहू के नाम पर दिया जाने वाला राष्ट्रीय और प्रादेशिक अलंकरण हमारे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गौरव की बात है।

सन 2017 का किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण (10 लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र) प्रख्यात फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल को प्रदान किया गया और प्रादेशिक अलंकरण (2 लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र) मनोज वर्मा को 2018 में दिया गया।

सन 2016 में मेरी पहल पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी ने राजनांदगांव में दो दिवसीय किशोर साहू जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन करवाया और उसमें किशोर साहू की अब तक अप्रकाशित आत्मकथा को राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित करवाया था।

मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण और प्रादेशिक अलंकरण की घोषणा भी की। यह घोषणा उन्होंने किशोर साहू की अभिनेत्री सुपुत्री नयना साहू, सुपुत्र विक्रम साहू और राजनांदगांव के हजारों लोगों के सामने की, जिसे उन्होंने सन 2017 में निभाया भी।

अब थोड़ी सी कहानी इस अलंकरण के बारे में भी। सन 2017 में प्रदेश में संस्कृति सचिव निहारिका बारीक जी थी। एक दिन वे अपने संस्कृति विभाग के अमले के साथ मुख्यमंत्री आवास में अपने लैपटाप के द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी को यह बता रही थीं कि उन्होंने किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण के लिए आवेदन पत्र का प्रारूप तैयार कर लिया है। संस्कृति सचिव ने अपना लैपटॉप खोला ही था कि सी.एम. साहब ने मुझे इस अंदाज में देखा कि बरखुरदार तुम्हारा क्या ख्याल है ?

मैंने बिना समय गंवाए सी.एम. साहब से कहा सर क्या मृणाल सेन और श्याम बेनेगल जैसे निर्देशक आवेदन पत्र भरकर संस्कृति विभाग के सचिव को भेजेंगे कि हुजूर मैं भी सम्मान पाने के लिए लाइन में खड़ा हुआ हूं। मैंने कहा कि सर मध्यप्रदेश की तर्ज पर तीन लोगों की ज्यूरी बनवाइए और उन्हें इसका निर्णय लेने दीजिए।

सी.एम. साहब ने मुस्करा दिया और संस्कृति सचिव और उनके हुक्मरान उस दिन मुझ पर कितना बरसे होंगे, इसका मुझे अनुमान नहीं।

बहरहाल सन 2017 में बिना आवेदन के श्याम बेनेगल को यह राष्ट्रीय अलंकरण प्राप्त हुआ। उस वर्ष संस्कृति विभाग ने मुझे निमंत्रित करने लायक भी नहीं समझा। हालांकि बकायदा एक आदमी को मेरे घर भेजकर मुझसे पिछले वर्ष का निमंत्रण पत्र मंगवाया गया और हुबहू वैसा ही निमंत्रण पत्र सन 2017 में भी छपवाया गया।

अब फिर 14 सितंबर को प्रकाशित विज्ञापन की चर्चा कर लें। इस विज्ञापन में किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण और किशोर साहू प्रादेशिक अलंकरण की तो कैटेगरी ही गायब है। इस अलंकरण की दो कैटेगरी है राष्ट्रीय और प्रादेशिक।
 
इस विज्ञापन में आवेदन की अंतिम तिथि 11 अक्टूबर है। किशोर साहू का जन्मदिवस 22 अक्टूबर है। क्या दस दिन के पश्चात आने वाले किशोर साहू के जन्मदिन तक किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण की तैयारी संस्कृति विभाग के आला अधिकारी संभव कर पाएंगे ?

मैंने पूर्व में सुझाव दिया था कि हर वर्ष अगस्त माह में किशोर साहू राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक अलंकरण की तीन सदस्यीय ज्यूरी (दोनों के लिए पृथक-पृथक ) बना ली जाए और 22 अगस्त तक इसकी घोषणा कर दी जाए, ताकि जिसे सम्मान प्राप्त हो रहा है 22 अक्टूबर को अपनी तिथि खाली रख सके।

मैंने ज्यूरी के लिए नाम भी सुझाए थे...

राष्ट्रीय अलंकरण-
1. श्री श्याम बेनेगल
2. श्री जावेद अख्तर
3. श्री जयप्रकाश चौकसे

प्रादेशिक अलंकरण-
1. श्री मनु नायक
2. श्री मनोज वर्मा
3. श्री जयंत देशमुख

यह भी कि ज्यूरी की बैठक रायपुर में हो। ज्यूरी की सम्मति अलंकरण समारोह के दिन प्रकाशित कर एक बुकलेट के रूप में वितरित की जाए ताकि अलंकरण संबंधी पारदर्शिता का परिचय मिल सके।

पर संस्कृति विभाग तो मदमस्त हाथी की तरह है उसे इस तरह का सुझाव या किसी जानकार आदमी की क्या दरकार। वहां तो वैसे भी एक से एक नगीने हैं।

अब आप ही तय करें कि हमारे संस्कृति विभाग के अधिकारी कितने जवाबदेह और गंभीर संस्कृति की समझ रखने वाले अधिकारी हैं। जब ऐसे अधिकारियों के हाथों छत्तीसगढ़ की साहित्य, कला, संस्कृति हो तो सोच लीजिए कि आगे क्या होने वाला है।

किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण का जो हश्र होने वाला है उसे सोचकर ही अभी से मन कांप रहा है।

(अगले सप्ताह पैतीसवीं कड़ी हिंदी सिनेमा का नायाब सितारा : किशोर साहू...)

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