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नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पार्टी को सौंपे गए दस्तावेज़ों में ये दावा किया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूत एस जयशंकर ने साल 2015 का संविधान पारित करने के ख़िलाफ़ चेताया था.
द हिंदू अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल (यूएमएल) की स्टैंडिंग कमेटी की 19 सितंबर को बैठक हुई थी और ओली ने इसी कमेटी को ये 'राजनीतिक दस्तावेज़' सौंपे हैं.
सोमवार को इस संविधान की सालगिरह थी और ये मीटिंग इसी सिलसिले में बुलाई गई थी.
ओली की ओर से सौंपे गए डॉक्यूमेंट में ये दावा किया गया है, "भारत के प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में आए भारतीय डिप्लोमैट ने राजनीतिक दलों के नेताओं को इस संविधान को नहीं अपनाने के लिए चेतावनी दी थी और कहा था कि अगर ये भारत के सुझावों के ख़िलाफ़ किया गया तो इसे नहीं माना जाएगा. उन्होंने कहा कि इसे नकारात्मक नतीज़े हो सकते हैं."
नेपाल का लोकतांत्रिक संविधान 20 सितंबर, 2015 को लागू किया गया था. उस वक़्त विदेश सचिव रहे एस जयशंकर ने इससे ठीक पहले काठमांडू की यात्रा की थी और पुष्प कुमार दहल प्रचंड समेत नेपाल के अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की थी.
ओली का कहना है कि, "संविधान का मसौदा तैयार होने के बाद से ही भारत सरकार इस बात पर असंतोष जाहिर कर रही थी कि उसकी चिंताओं पर ग़ौर नहीं किया जा रहा है. भारत ने नेपाल की सरकार पर इस संविधान को नहीं अपनाने के लिए दबाव डाला था." (bbc.com)