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चीन की बड़ी रियल एस्टेट कंपनी ने बढ़ाई बाजारों की चिंता
21-Sep-2021 7:17 PM
चीन की बड़ी रियल एस्टेट कंपनी ने बढ़ाई बाजारों की चिंता

चीन का एवरग्रांदे समूह अरबों डॉलर के ऋण को चुकाने से चूक सकता है, जिसे लेकर वैश्विक निवेशक चिंता में हैं. कंपनी का कहना है कि उस पर निर्माण और दूसरे क्षेत्र में 38 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां निर्भर हैं.

(dw.com)

चीन के नियामकों ने अभी तक यह नहीं कहा है कि वो एवरग्रांदे समूह को लेकर क्या कर सकते हैं. अर्थशास्त्री उम्मीद कर रहे हैं कि अगर समूह और बैंकों में ऋण चुकाने को लेकर समझौता नहीं हो पाया तो ऐसे में सरकार हस्तक्षेप कर सकती है. लेकिन आशंका है कि कोई भी आधिकारिक समाधान बैंकों और बॉन्ड धारकों के लिए घाटे नहीं बचा पाएगा.

ऑक्सफर्ड इकोनॉमिक्स के टॉमी वू ने एक रिपोर्ट में कहा कि सरकार "कंपनी को बचा लेने की कोशिश करती हुई दिखाई नहीं देना चाहती है", लेकिन संभव है कि "व्यापक जोखिम को घटाने और आर्थिक उथल पुथल को समेटने" के ऋण के स्वरूप को बदलने" की व्यवस्था कर सकती है.

क्या है एवरग्रांदे

चीन की कई बड़ी कंपनियों का ऋण बढ़ता जा रहा है और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरा मानती है. सरकार ने कंपनियों के ऋण पर लगाम लगाने के लिए कई कोशिशें की हैं और एवरग्रांदे समूह इन कोशिशों के सबसे बड़े पीड़ितों के रूप में सामने आया है.

23 सितंबर को एवरग्रांदे को ब्याज का भुगतान करना है और निवेशकों देखना चाह रहे हैं कि समूह इस भुगतान के बारे में क्या करता है. समूह का मुख्यालय हांग कांग के पास शेनजेन शहर में है. इसकी स्थापना 1996 में की गई थी और धीरे-धीरे ये चीन में घर, ऑफिस टावर और शॉपिंग मॉल बनाने वाला सबसे बड़ा समूह बन गया.

कंपनी का कहना है कि उसके पास दो लाख से भी ज्यादा कर्मचारी हैं और निर्माण और दूसरे क्षेत्रों में 38 लाख से भी ज्यादा लोगों की नौकरियां उस पर निर्भर हैं. कंपनी का यह भी दावा है कि उसके पास 280 शहरों में 1,300 परियोजनाएं चल रही हैं और उसके पास कुल 350 अरब डॉलर की संपत्ति है.

एवरग्रांदे का संस्थापक शू जिआइन 2017 में चीन का सबसे अमीर उद्यमी था. हुरुन रिपोर्ट के मुताबिक तब उसके पास 43 अरब डॉलर की संपत्ति थी. इंटरनेट उद्योगों की सफलता के साथ वो सूची में नीचे आ गया है, लेकिन फिर भी पिछले साल वो देश का सबसे अमीर रियल एस्टेट डेवलपर था.

2020 में हुरुन की परोपकारी व्यक्तियों की सूची में भी उसका नाम सबसे ऊपर था. अनुमान है कि उसने उस साल करीब 42 करोड़ डॉलर दान में दिए. एवरग्रांदे अब इलेक्ट्रिक गाड़ियां, मनोरंजन पार्क, स्वास्थ्य क्लिनिक, मिनरल वाटर और दूसरे उद्योगों में चली गई है.

अभी तक क्या असर हुआ है

इस साल की शुरुआत से लेकर अभी तक हांग कांग शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों में 85 प्रतिशत की गिरावट आई है. शू ने कंपनी को ऋण के आधार पर ही बनाया था. वैसे तो पूरा रियल एस्टेट उद्योग ही उधार के पैसों पर चलता है, लेकिन संभव है कि शू ने बाकियों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही ऋण ले लिया हो.

30 जून तक एवरग्रांदे का बॉन्डधारकों, बैंकों, ठेकेदारों और दूसरे ऋणदाताओं पर 310 अरब डॉलर की देनदारी थी. इसमें से 37.3 अरब डॉलर तो साल भर के अंदर देना है जो कंपनी की नकद पूंजी (13.5 अरब डॉलर) का लगभग तीन गुना है.  एवरग्रांदे तब फंसी जब नियामकों ने रियल एस्टेट से संबंधित ऋण लेने पर नई पाबंदियां लगाईं.

ये पाबंदियां ऋण पर निर्भरता को कम करने के कम्युनिस्ट पार्टी के लंबे अभियान के तहत लगाईं गईं. अर्थशास्त्री एक दशक से भी ज्यादा समय से चेतावनी दे रहे हैं कि चीन के ऋण का बढ़ता स्तर खतरे का कारण बन सकता है. कम्युनिस्ट पार्टी ने 2018 तक इस तरह के वित्तीय जोखिमों को कम करने को एक प्राथमिकता बनाया हुआ है.

लेकिन इसके बावजूद पिछले साल कुल कॉर्पोरेट, सरकारी और आम लोगों का ऋण आर्थिक उत्पादन के 300 प्रतिशत पर पहुंच गया. यह 2018 में 270 प्रतिशत था. यह एक मध्यम आय वाले देश के लिए असामान्य रूप से ज्यादा है.

कम्युनिस्ट पार्टी क्या करना चाह रही है

कम्युनिस्ट पार्टी व्यापार और ऋण-आधारित निवेश की जगह देश के अंदर खपत पर आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा देना चाह रही है. इस वजह से वो ऋण पर लगाम रही है. 2014 के पहले तक तो वित्तीय बाजारों में डर फैलने से बचाने के लिए वो हस्तक्षेप करके कंगाल हो रहे उधारकर्ताओं को बचा लेती थी.

2014 में पार्टी ने उधारकर्ताओं और ऋणदाताओं को जबरदस्ती अनुशासन की राह पर लाने के लिए कई कदम उठाए. इन कदमों के तहत उसने 1949 के बाद पहली बार कॉर्पोरेट ऋण चुकाने में असमर्थता की अनुमति दी. तब से इस तरह की और भी अनुमतियां दी गई हैं, लेकिन उनमें कोई भी उधारकर्ता एवरग्रांदे जितना बड़ा नहीं था. 

वैसे तो दूसरी बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों का हाल ऐसा नहीं है, लेकिन 2017 के बाद से सैकड़ों छोटी कंपनियां बंद जरूर हुई हैं. उस साल से नियामकों ने निर्माण से पहले मकान बेचने जैसी पैसे इकट्ठे करने के तरीकों पर अंकुश लगाना शुरू कर दिया था.

चीन के बाहर असर

हालांकि माना जाता है कि चीन के आवासीय रियल एस्टेट से देश की वित्तीय व्यवस्था को ज्यादा खतरा नहीं है, क्योंकि ज्यादातर मकान नकद पैसों से खरीदे जाते हैं, ना कि ऋण से. इस वजह से अमेरिका में 2008 में जो हुआ था वैसा कुछ यहां होने की संभावना कम है.

कुछ टिप्पणीकारों ने कहा है कि एवरग्रांदे कहीं चीन का "लेहमन लम्हा" ना बन जाए, लेकिन अर्थशास्त्री कहते हैं कि वित्तीय बाजार में इसके व्यापक असर का खतरा कम है. एवरग्रांद के पास 18 अरब डॉलर के बकाया विदेशी मुद्रा के बॉन्ड हैं जिनमें से अधिकांश चीनी बैंकों और अन्य संस्थानों के पास हैं.

इसके अलावा कंपनी के पास 215 अरब डॉलर की जमीन और स्थिर दामों वाले आंशिक रूप से तैयार प्रोजेक्ट भी हैं. इसके बावजूद अगर कंपनी ऋण चुकाने से चूक ही जाती है तो चीन की बैंकिंग व्यवस्था में इतना पैसा है कि वो उस घाटे को पचा लेगी. लेकिन निवेशक नियामकों के कदमों का इंतजार कर रहे हैं.(dw.com)

सीके/एए (एपी)

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