विचार / लेख

चुनाव पर भारी किसान रुदाली
05-Oct-2021 1:02 PM
चुनाव पर भारी किसान रुदाली

-प्रकाश दुबे

 

भारत के नक्शे में रुदौली तलाशना आसान नहीं है। राजा रुद्रमल्ल पासी के राज का रुद्रावली घिसते-घिसते रुदौली हो गया। अनजान कस्बे की किस्मत जागी। अयोध्या की संगत में रुदौली चर्चा में आ गया। मजलिस ए इत्तहादुल मुसलमीन के सर सेनापति सांसद ओवैसी चुनाव मौसम में पहुंचे। उन्होंने फैजाबाद इलाके के रुदौली कस्बे को क्यों चुना? बताते हैं। वाक्या यूं हुआ कि योगी बाबा और उनके सूरमा भिड़ गए-जानते नहीं, जिला अयोध्या है। फैजाबाद खत्म। ओवैसी की चुनावी तैयारी हो चुकी है। ओवैसी ने फरमाया-हमारी नजऱ लोकसभा क्षेत्र फैजाबाद के रुदौली है। जिला भले अयोध्या होगा। अब इस सवाल का जवाब, कि रुदौली क्यों? सूफी संत मख्दूम साहब की प्रसिद्ध दरगाह रुदौली में है। योगी और ओवैसी दोनों जानते हैं कि कस्बे में कलह नहीं होता। अमन चैन है। चुनाव में माहौल बिगडऩे से भी तो फायदे की गुंजाइश होती है। इसलिए शब्दों के नेजे-बरछे चमकने लगे। बंगाल में एमआईएम का जादू नहीं चला। इस बीच किसान हत्या से योगी बाबा के खेमे में हडक़ंप मच गया है।

पीड़ पराई जाने रे
कहा बापू ने। उनकी तस्वीर के नीचे विराजमान लोगों ने अमल किया। दिनू बोगाभाई सोलंकी ने तरह-तरह के अपराधों का खाता खोल रखा है। पुलिस से पुराना नाता है। बात यहां तक पहुंची कि सूचना के अधिकार का प्रयोग भांडा फोडऩे वाले अमित जेठवा की हत्या के कारण दिनू सोलंकी आजीवन कारावास प्राप्त कर चुके हैं। सोलंकी-सेना ने धरना, प्रदर्शन के साथ अदालत का सहारा लिया। दिनू सांसद थे। अपनी पार्टी की सरकार में कृष्ण जन्मस्थली पहुंचे। समर्थकों का दावा है कि आपसी खींचतान के कारण दुश्मनों ने भाई को फंसा दिया। अदालत को याद आया-गांधी जी ने कहा था-पाप से घृणा करो। पापी से नहीं। केस डायरी और दलीलें सुनकर अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि दिनू को बेगुनाही के विकल्प का मौका नहीं मिला। गांधी जयंती पर अपराधी 2 अक्टूबर को छूटें या नहीं, दिनू बोगाभाई सोलंकी के विरुद्ध आजीवन कारावास का मामला बेकार रहा। इस बार भी पराजय का ठीकरा सीबीआई के मत्थे मढ़ा जाएगा। विशेष अदालत में मामला उन्होंने चलाया। नए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल को कुछ नहीं करना पड़ा।

के बोले मां, आमी अबले
संसदीय परंपरा और इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों  का ध्यान पश्चिम बंगाल की गुत्थी ने खींच रखा है। आम तौर पर विरोधी दल के सदस्य को लोक लेखा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। मुकुल राय भारतीय जनता पार्टी की तरफ से जीत कर आए। विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी का पलड़ा भारी रहा। वर्षाकालीन मेंढक की नफासत के साथ वापस दीदी सेना में भर्ती हो गए। दीदी ने भी उन्हें लोक लेखा समिति का अध्यक्ष नियुक्त करा दिया। करा दिया, इसलिए कि निर्णय विधानसभा अध्यक्ष के नाम पर होता है। चुनावी हार के बाद दूसरी चपत पडऩे से बौखलाए भाजपा विधायक अम्बिका राय से लेकर अब नेता प्रतिपक्ष सुवेन्दु अधिकारी तक ने न्यायालय के दरवाजे पर दस्तक दी। अदालत ने मध्य मार्ग अपनाया। पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष को निर्णय लेने का निर्देश दिया।  दल बदल के कारण मुकुल की सदस्यता रद्द करने की मांग पर अदालत ने अध्यक्ष विमान बंद्योपाध्याय को ही फैसला करने का अधिकार दिया। उधर राज्यपाल ने विधान सभा अध्यक्ष से नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने का अधिकार छीन लिया।       

लंका विजय
कोई अदना इंसान अदानी की आत्मनिर्भरता का बखान नहीं कर सकता। बंदरगाह संभालने और माल की आवाजाही में उनकी महारत अचूक है। मुंद्रा से लेकर नवी मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट तक सब जानते हैं। कभीकहीं छापापड़ा तब भी चूं पटाक नहीं होती। दुश्मन ताकते रहे। अदानी समूह ने लंका जीत ली। कोलंबो बंदरगाह बनाने, संचालित करने और तैयार कर सौंपने के बारे श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण से करार हो चुका है। यह जीत है बड़ी। इससे पहले भारत सरकार के साथ समझौता होने वाला था। विरोध हुआ। अब निजी क्षेत्र को सौंपने पर सुलह हो गई। समूह के अध्यक्ष गौतम भाई ने भारत सरकार को विशेष रूप से धन्यवाद दिया है। जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को खुश होना चाहिए। केन्द्र में मंत्री बने। निर्विरोध राज्यसभा के लिए चुन लिए गए। जहाज चल रहे हैं। मंत्रालय की फजीहत मत माना। सागर दर्शन के दौरान हजार किलो नशीले पदार्थ पकड़े गए लेकिन असली अपराधी और इसकी खबर सामने नहीं आई। कुछ ग्राम खबर ने तहलका मचा रखा है। सुपर स्टार का लाडला जो गिरफ्त मे आया। विकास की दिशा में बड़ा कदम।
  (लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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